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भोजपुरी फिटनेस आइकान विक्रांत सिंह राजपूत बने फॉरेस्ट ऑफिसर

फिल्म ‘अम्बा’ के सेट पर अभिनेता विक्रांत सिंह राजपूत से मिले सांसद रवि किशन

रवि किशन की तरह भोजपुरी पर्दे पर विशुद्ध अभिनेता के रूप में अपनी पहचान कायम करने वाले और नच बलिए, बिग बॉस (गेस्ट एपीयरेंस), विद्या, अगर तुम ना होते (जी टीवी) जैसे मशहूर टीवी शोज से सबों के दिलों में उतरने वाले अभिनेता विक्रांत सिंह राजपूत फॉरेस्ट ऑफिसर बन गए हैं। विक्रांत सिंह राजपूत के लिए यह नई भूमिका है, जिसे वे अपनी आने वाली भोजपुरी फिल्म ‘अम्बा’ में निभाते नजर आएंगे। उनकी यह फिल्म एक सस्पेंस थ्रीलर है, जिस पर अभी से सबों की नजर है। वहीं गोरखपुर के सांसद सह लोकप्रिय अभिनेता रवि किशन ने इस फिल्म के लिए विक्रांत सिंह राजपूत को शुभकामनाएं दी। वे इस फिल्म के सेट पर भी आए थे, जहां उन्होंने विक्रांत सिंह राजपूत की जमकर सराहना भी की और फिल्म की सफलता की कामना की।

फिल्म ‘अम्बा’ का निर्माण अक्स पाठशाला एंटरटैनमेंट के बैनर से हो रहा है। इस फिल्म के निर्माता विवेक सिन्हा और लेखक – निर्देशक राकेश त्रिपाठी हैं। फिल्म थ्रीलर के साथ – साथ रोमांचक भी होने वाला है। फिल्म के 60% भाग की शूटिंग जंगलों में हुई है। इसके बारे में विक्रांत ने बताया कि ‘अम्बा’ अपने आप में अनोखी फिल्म होने वाली है। फिल्म में मेरा किरदार फॉरेस्ट ऑफिसर का है, जिसके लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी है। हमारी फिल्म बेहद अलग और खास है, जिस वजह से इसकी मेकिंग भी बड़ी संजीदगी से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म के लिए मुझे हमारे मेंटोर रवि किशन की ब्लेसिंग मिली है। यह हम सभी कलाकारों को और बेहतर काम करने को प्रेरित करता है। मेरे हिसाब से ‘अम्बा’ भोजपुरी बॉक्स ऑफिस की अनोखी फिल्म होने वाली है, जिसे हर किसी को देखना चाहिए।

आपको बता दें कि फिल्म ‘अम्बा’ में विक्रांत सिंह राजपूत के साथ मुख्य भूमिका में अभिनेत्री आकांक्षा अवस्थी भी हैं। उनके अलावा फिल्म में विनीत सिंह, देव सिंह, संजय वर्मा और मोना भी मुख्य भूमिका में नजर आएंगी। वहीं भोजपुरी पर्दे के मशहूर खलनायक संजय पांडेय इस फिल्म में अतिथि भूमिका में दिखेंगे। फिल्म के गाने बेहद मेलोडियस हैं, जिसके संगीतकार मधुकर आनंद हैं। पीआरओ रंजन सिन्हा हैं। एक्शन दिनेश यादव का है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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