इन्फोटेन

भोजपुरी फिल्‍म ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ का फर्स्‍ट लुक आउट

अनिल काबरा और प्रदीप सिंह निर्मित भोजपुरी फिल्‍म ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ का फर्स्‍ट लुक आउट हो गया। फिल्‍म के आज जारी हुए पोस्‍टर बहुत हद तक फिल्‍म के कहानी को जस्टिफाई करती है। इंडिया ई-कॉमर्स लिमिटेड व ग्रीन चिल्‍ली मीडिया एंड फिल्‍म्‍स प्रा. लि. के बैनर तले बनी यह फिल्‍म अभी पोस्‍ट प्रोडक्‍शन के अंतिम दौर में है और यह इस दशहरे पर रिलीज होगी। ये जानकारी खुद निर्माता अनिल काब काबरा और प्रदीप सिंह ने दी। उन्‍होंने कहा कि फेमस म्‍यूजिक डायरेक्‍टर से निर्देशन की क्षेत्र में आए रजनीश मिश्रा इस फिल्‍म से भोजपुरिया माटी की सुंगध को में बिखरने को तैयार हैं।

उन्‍होंने कहा कि फिल्‍म ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ में एक बार फिर खेसारीलाल यादव और काजल राघवानी से रजनीश मिश्रा इश्‍क लड़वायेंगे। वे इससे पहले ब्‍लॉक बस्‍टर फिल्‍म ‘मेंहदी लगा के रखना’ बना चुके हैं, जिसमें खेसारीलाल यादव, काजल राघवानी और अवधेश मिश्रा की केमेस्‍ट्री काफी पसंद की गई थी।  फिल्‍म लेकर उत्‍साहित निर्देशक रजनीश मिश्रा की मानें तो ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ से सभी कलाकारों का गहरा लगाव हो गया है, जिस वजह से यह फिल्‍म और भी निखर सामने आई है।

रजनीश कहते हैं कि असल भोजपुरिया सामाजिक और संस्‍कृति के समन्‍वय पर लिखी इस फिल्‍म की पटकथा हमारे दिल के करीब है। इसमें प्‍यार भी है। त‍करार भी है। इंकार भी है। इजहार भी है। मार – धार भी है। कहानी की बुनावट ऐसी है कि फिल्‍म अनाउंसमेंट के बाद से ही लोगों ने इसके लिए अपनी पलकें बिछाये रखी हैं। फिल्‍म ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ में भोजपुरी माटी के उन रंगों को लेकर तैयार है, जो असल मायने में लोगों की जिंदगी में होते हैं।

बता दें कि फिल्‍म की परिकल्‍पना अनंजय रघुराज सिंह ने की है।  फिल्‍म में खेसारीलाल यादव और काजल राघवानी की हिट जोड़ी के अलावा अवधेश मिश्रा, संजय पांडेय, संजय महानंद, किरण यादव, सुमन झा, गोपाल राय, आनंद मोहन पांडेय, धामा वर्मा, देव सिंह, दीपक सिन्‍हा और रोहित सिंह मटरू ने भी मुख्‍य भूमिका निभाई है। फिल्‍म के प्रचारक हैं रंजन सिन्‍हा व संजय भूषण पटलियाला और फिल्‍म के गीतकार प्‍यारेलाल यादव, श्‍याम देहाती, पवन पांडेय और आजाद सिंह हैं।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button