मजदूरों को चूसता हिंडाल्को व दुम हिलाते पत्रकार
शिवदास
एशिया की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी हिंडाल्को का कहर संविदा श्रमिकों पर निरंतर जारी है। कंपनी के जुर्म से आजीज आकर रेणकूट इकाई के हजारों मजदूर आए दिन धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। बीती चार अक्टूबर को कंपनी प्रबंधन के उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मजदूरों पर कंपनी के सुरक्षाकर्मियों समेत जिला प्रशासन ने लाठी चार्ज किया। साथ ही जिला प्रशासन, कंपनी प्रबंधन और कुछ तथाकथित पत्रकारों की सह पर मजदूर नेताओं पर फर्जी मुकदमा लादकर लोकतंत्र की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। हिण्डालको प्रबंधन और जिला प्रशासन की इस कार्रवाई से जनपद की राजनीति गरमा गई है। जन संघर्ष मोर्चा समेत कई मजदूर संगठनों एवं राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनीधियों ने औद्योगिक क्षेत्र में काम को ठप कराने की चेतावनी जिला प्रशासन एवं कंपनी प्रबंधन को दिया है।
गौरतलब है कि हिण्डालको कंपनी प्रबंधन के उत्पीड़न एवं शोषण के खिलाफ बीते दिनों संविदा मजदूर रेणुकूट में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। जिलाधिकारी पनधारी यादव की अपील पर बीती चार अक्टूबर को हिण्डालको के संविदा मजदूरों ने अपने आन्दोलन को स्थगित कर दिया था। मजदूरों के साथ वार्ता में जिलाधिकारी पनधारी यादव ने आश्वासन दिया था कि दो दिन के अन्दर उपश्रमायुक्त पिपरी के साथ वार्ता कर संविदा मजदूरों की लम्बित समस्याओं का समाधान करा दिया जायेगा। साथ ही उन्होंने किसी भी मजदूर का उत्पीड़न, छंटनी, मजदूरों पर लादे गये फर्जी मुकदमों को वापस लेने, बीती चार अक्टूबर को हुई घटना की जांच पुलिस से कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि वर्तमान समय में जारी पंचायत चुनाव को देखते हुए हम लोग आन्दोलन को स्थगित कर दें। आगे उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के बाद वह पूरे औद्योगिक क्षेत्र के संविदा श्रमिकों की समस्याओं के निस्तारण के लिए विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के प्रबन्ध तंत्र व संविदा मजदूरों के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता की पहल करेंगे। जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद राष्ट्रहित, प्रदेशहित एवं औद्योगिकहित को देखते हुए मजदूरों ने आन्दोलन को स्थगित कर दिया। लेकिन आन्दोलन समाप्ति के बाद प्रबन्ध तंत्र ने संविदा मजदूरों का जबरदस्त उत्पीड़न करना शुरु कर दिया है। लगभग 200 से भी ज्यादा मजदूरों को काम से निकाल दिया गया । संचार क्रांति के इस युग में संविदा मजदूरों के मोबाइल को फैक्ट्री के अन्दर ले जाने पर रोक लगा दी गयी। मजदूरों से हिण्डालको सुरक्षा कर्मियों द्वारा जबरन गेट पास छिना जा रहा है। मजदूर नेताओं और उनके प्रतिनिधियों की घेराबंदी शुरु कर दी गयी है । जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने आरोप लगाया है कि हिण्ड़ालको के इशारे पर कुछ तथाकथित पत्रकारों ने प्रशासन व पुलिस से मिलकर संविदा श्रमिकों के नेताओं पर मुकदमा कायम कराया है। उन्होंने आगे कहा कि मोर्चा ने प्रशासन एवं प्रबन्ध तंत्र को घटना की स्थिति से बार-बार अवगत कराया, लेकिन मजदूरों के उत्पीड़न को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कोई विधिक कार्रवाई नहीं की। प्रशासन का इस गैरजिम्मेदाराना एवं लापरवाही भरे रुख से मजदूरों में गहरा आक्रोश है, जो रेणुकूट में बहुत बड़ी विषम स्थित को जन्म दे सकता है। जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर, श्रम संविदा संघर्ष समिति के अध्यक्ष व नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल सिंह, प्रगतिशील मजदूर सभा के अध्यक्ष द्वारिका सिंह, मजदूर मोर्चा के संयोजक राजेश सचान, कांग्रेस पीसीसी सदस्य बिन्दू गिरि, ठेका मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाल ने जिला प्रशासन एवं कंपनी के प्रबंधन तंत्र को चेतावनी दी है कि वे मजदूरों का उत्पीड़न बंद करे नहीं तो पूरे औद्योगिक क्षेत्र में काम को ठप करा दिया जाएगा।
मजदूर नेताओं ने कहा कि हिण्डालको से लेकर अनपरा, ओबरा, रेनूसागर, लैंको, सीमेन्ट, कोयला व बिजली की औद्योगिक इकाईयों में हजारों की संख्या में काम कर रहे संविदा श्रमिक निर्मम शोषण के शिकार एक ही कार्यस्थल पर बीस-पचीस वर्षों से कार्यरत रहने के बावजूद उन्हें नियमित नहीं किया जाता है। उन्हें न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दी जाती है । कानूनी प्रावधान होने के बाद भी हाजरी कार्ड, वेतन पर्ची, रोजगार कार्ड, बोनस, डबल ओवर टाइम, सार्वजनिक अवकाश नहीं दिया जाता है। यहां तक कि इपीएफ की कटौती के बावजूद उसकी कोई रसीद नहीं दी जाती है। यदि कोई मजदूर अपनी जायज मांग को उठाता है तो उसे बिना किसी नियम कानून के काम से ही निकाल दिया जाता है। इसके बाद भी हिण्डालको प्रबंधन कहता है कि हम उन्हे सुविधाएं दे रहे हैं। कंपनी के झुठे आश्वासनों और उत्पीड़न ने मजदूरों को आंदोलन करने पर मजबूर कर दिया है। मजदूर नेताओं की मानें तो जिला प्रशासन की वादाखिलाफी, गैर जबाबदेही के विरुद्ध मजदूरों ने हड़ताल पर जाने की नोटिस जिलाधिकारी एवं उप श्रमायुक्त को दी हैं। आंदोलनकारीगण मेहंदी हसन, अजीम खाँ, चन्दन, नसीम, प्रदीप, मारी (सभासद गण), नौशाद, राजेश कुमार राय, राम अभिलाख, सुमन झा, रामजी वर्मा, धर्मेन्द्र, महेन्द्र सिंह ने भी प्राथमिकता के तौर पर कंपनी प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कही।
साभार- http://thepublicleader.blogspot.com/