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महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट और चाणक्य की कर्मभूमि खगौल को पर्यटक स्थल व मॉडल शहर बनाने की मांग

खगौल | महान गणितज्ञ,खगौलशास्त्री, आर्यभट्ट की कर्मभूमि ‘’ खगौल ” ( खगोल ) को विद्वानों की नगरी से, दुनिया वाकिफ़ है। आर्यभट्ट की वेधशाला, चाणक्य की तपोभूमि,गुरुकुल के संस्थापक पंडित हरिनारायण शर्मा अनेक विभूतियों के चरण रज से यह पावन भूमि धन्य हुआ है \ लेकिन बदलते परिस्थितियों में जहाँ इसे ऊंचाइयों पर होना चाहिए था, आज तंग गलियों, सड़कों से बदहाल है।ईशा पूर्व यह बसा शहर कभी यहां बड़े बड़े तालाब, नदियां थी,जो सरकारी उदासिनता और संरक्षण के अभाव में सब लुप्त के कागार पर है।नदियों, तालाबों में बड़ी बड़ी इमारतें और नये नये नगर बस गए हैं। आर्यभट्ट का वेधशाला और चाणक्य के तपोभूमि कहीं चिन्हित नही है कि जाकर लोग वहां देखें। पुरातत्व विभाग को यहां आकर खुदाई कर के चिन्हित कर स्मारक बनाना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी को कोई दिलचस्पी नहीं है। क्षेत्रीय विधायक और सांसद को अपने -अपने सदन में प्रमुखता से इसके लिए आवाज उठाना चाहिए। सरकार की उदासीनता के कारण खगौल न ही पर्यटक स्थल बन पाया और न ही मॉडल शहर ही । क्षेत्रीय अधिकारी को भी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है।

खगौल में जितना तालाब ,सरकारी जमीन , अनेक धोबी घाट ,बड़ी खगौल से उत्तर दानापुर सोन सोती से लेकर दक्षिण तरफ गांधी विद्यालय नेशनल हाईवे 98 नकटी भवानी चकमुसा तक नदियों के रूप है जो पुनपुन नदी में मिलती है | कालांतर में कैसे इसमें घर,अपार्टमेंट, मुहल्ला बन गया, समझ में नहीं आता है ।अगर सरकार उसे अतिक्रमण मुक्त कर दे तो यहां,प्रेक्षागृह, खेल का मैदान, वाटर पार्क बन सकता है ,बड़े पैमाने पर बृक्षारोपण हो सकता है, फिर तो खगौल एक सुंदर और स्वच्छ मॉडल शहर बन सकता है। खगौल स्वयं अपनी संपदाओं से भरा पूरा है। इसे किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है।बस,जरूरत है कि खगौल की संपत्ति पर से जबरन कुंडली मार के बैठे लोग छोड़ दे। खगौल के लोग आज इसकी कायाकल्प के लिए एकजुट होकर आंदोलन करना शुरू कर दे तो किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होगी।

बिहार की राजधानी पटना के पश्छ्मि बाजू में मात्र 10 किलोमीटर पर आर्यभट्ट और चाणक्य इस नगर खगौल में, रेलवे का दानापुर रेल मण्डल का मुख्यालय साथ ही आसपास दानापुर कैंट में फौजीछावनी,एम्स आदि है | जिसके आँगन में गाँधी, सुभाष चंद्र बोस, राजेन्द्र बाबू,मालवीय, लाजपत राय जैसे मनीषियों आकर अभिभूत हुए, आज स्वयं अभिशप्त है। गाँधी जी खगौल के गांधी आश्रम,चरखा समिति में आते थे | यहीं से चम्पारण, नोवखली में जाकर आंदोलन शामिल होते थे । यहाँ के गांधी विद्यालय की नींव ,गांधी जी ने खुद अपने हाथों से रखे थे | सुभाष चन्द्र बोस कच्ची तालाब मोतिचौक पर सभा किये थे। मुस्तफापुर के गुरुकुल को देश में कौन नहीं जानता है।इसके बाद इनके प्रेरणा और सहयोग से मालवीय काशी में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी बना। नाटककार,अभिनेता पद्मश्री भिखारी ठाकुर,ख्याति प्राप्त जानकी बाई,कज्जन बाई,बेगम अखतर,विस्मिल्ला खाँ,सितारा देवी,अल्लारखा ,गिरजा देवी,पुरुषोतम दास जलोटा, मन्ना डे,मुकेश,उषा खन्ना,शबबीर कुमार जैसे कलाकारों ने यहाँ आ कर अपने –अपने कार्यक्रमों से इस धरती को सुशोभित किए | स्थानीय बड़ी बदलपुरा निवासी नाटककार एवं संगीतकार व्ही वासुदेव के छोटे भाई ,जिसे संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा अपने छोटे भाई फिल्म संगीतकार स्व॰ श्याम सागर दिया है ,उहोने फिल्मी दुनियाँ में एक अलग पहचान वनाए | स्व॰शयम सागर ने हिन्दी फिल्म – काठ बंगला,पल दो पल के साथ, सिलबर जुबली फिल्म- कल हमारा है, भोजपुरी फिल्म – पिया निर्मोहिया ,हमार संसार, मगही – फिल्म ममता गावे गीत जैस अनेक फिल्मों में संगीत दे कर खगौल के साथ- साथ अपने बिहार प्रदेश का नाम रौशन किया है | उहोने हिन्दी फिल्म, तीसरा किनारा में संगीतकार के रूप में आखिरी योगदान दिया था |

यहां एक से बढ़कर एक बैज्ञानिक,रंगकर्मी, खिलाड़ी, चित्रकार,गायक,पत्रकार ,अधिकारी, अधिवक्ता, चिकित्सक, कवि,लेखक,शिक्षक बने जिन्हें गर्व से स्मरण किया जाता हैजमीन से लेकर ब्रह्मांड के रहस्यों को पता करने वाला खगौल एक रहस्यमय होकर रह गया है। जिसका विरासत, इतिहास इतना समृद्ध था, उसका वर्तमान कैसे उपेक्षित हो गया, यह समझ से परे है।स्थानीय पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव, नगर परिषद के उपाध्यक्ष कुमार अविनाश उर्फ पिंटू,अधिवक्ता एवं रंगकर्मी नवाब आलम,प्रशिद्द यादव,आशुतोष श्रीवास्तव,प्रसिद्ध यादव,संगीता सिन्हा,रंजीत प्रसाद सिन्हा,उमा गुप्ता,वार्ड पार्षद रितेश ( उर्फ बिट्टू ),भरत पोद्दार, मानो देवी,महेंद्र सिंह,पूर्व पार्षद देवेन्द्र प्रसाद ( घुटुक ) ,ज्ञानी प्रसाद,राधामोहन ,ऋषिकेश नाथ,अमन,मो॰सज्जाद ,शोएब कुरैशी ,सामाजिक कार्यकर्ता चंदु प्रिंस,नवीन कुमार, विकास कुमार उर्फ पप्पू,ऋषि राज,मोहन पासवान,मो॰रिंकू,आदि से सरकार से मांग किया है कि,खगौल के इस एतिहासिक,सांकृतिक नगर को पर्यटक स्थल व मॉडल शहर नगर के रूप में विकसित किया जाय |

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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