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राहुल पैदल तो ‘खाबरी’ की कांग्रेस लक्जरी वाहनों से कर रही भारत जोड़ो यात्रा

ओम प्रकाश सिंह

अयोध्या। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी पैदल चल रहे हैं। यात्रा के रणनीतिकारों ने यात्रा का जब तानाबाना बुना था तो उसमें राहुल को लक्जरी वाहन पर सवार करने की बात थी। राहुल को जब मालूम हुआ तो उन्होंने पैदल चलने का संकल्प लिया। राहुल के संकल्प से इतर उत्तर प्रदेश में ‘खाबरी’ कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के कर्ता-धर्ता लक्जरी वाहनों पर सवार हैं।

कांग्रेस का एक पुराना मर्ज़ है – अमरबेली रोग। दिल्ली वाले इसे “ गणेशी उत्पाद “ कहते हैं। बुंदेल-खंड में इसे “मूसरबाजा” कहते हैं । यह करता – धरता कुछ नहीं सिवाय बड़े नेतृत्व की उपासना के। राहुल की यात्रा को बल प्रदान करने निकले कांग्रेसी जमकर नेतृत्व उपासना करते दिखाई पड़ रहे हैं। लगता है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष खड़गे भी मान चुके होगें कि यूपी में कांग्रेस की जर्जर नैया ‘भइया’ की छवि पर ही डोलेगी।

राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के समर्थन में यूपी कांग्रेस के लड़ाको ने भी गाजे बाजे (कानफोड़ू डीजे)के साथ यात्रा निकाल दिया है। अपनी यात्रा में राहुल पैदल चल रहे हैं लेकिन यूपी वाले लक्जरी गाड़ियों से उस प्रदेश की धरती को नाप रहें हैं जिसके बारे में अब तक कहा जाता था कि दिल्ली का रास्ता यूपी से जाता है। यात्रा में यूपी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ‘अपनों’ के बीच गरज रहे हैं। कह रहे हैं कि भारत जोड़ो पदयात्रा को जिस तरह से आम जनमानस का समर्थन मिल रहा है, उससे सत्ताधारी दल में घबराहट पैदा हो गई है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के सामने केवल कांग्रेस ही एकमात्र विपक्ष है, बाकी सब पार्टियां प्राइवेट लिमिटेड हैं, चली तो चली नहीं तो कभी भी बंद हो जाती हैं।

पंद्रह दिसंबर दिन वृहस्पतिवार को कांग्रेस की एक यात्रा रामनगरी अयोध्या में थी। फैजाबाद शहर के नाका मुहाने पर यात्रा का स्वागत गणेशी उत्पाद के एक समूह ने किया। शहर के अन्य स्थानों पर भी यात्रा का ‘अमरबेली’ स्वागत हुआ। कांग्रेस के एक युवा नेता की टिप्पणी गौरतलब है। उसने कहा कि यदि भारत जोड़ो यात्रा के संदर्भ में यूपी कांग्रेस को यात्रा निकालनी ही थी तो ‘खाबरी’ के रणनीतिकारों को ‘राहुल’ की यात्रा का वीडियो ही देख लेना था।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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