लालूमय हो रहा है मोदी का चरित्र, दिनकर भवन पर मोदी के भतीजे का कब्जा
महेश मोदी बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के भतीजे हैं और लगता है कि लालू-राबड़ी की जंगल राज से बहुत कुछ सीखा भी है, इसलिये राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पटना स्थित भवन के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक से दिनकर के परिजनों ने महेश मोदी से मकान खाली करवाने की गुहार लगाई है, लेकिन उनके कान पर भी जूं तक नहीं रेंग रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पैसिव पोलिट्कस के धुरंधर खिलाड़ी है। यदि सूत्रों की माने तो नीतीश कुमार एक खास रणनीति के तहत इस मामले में चुप्पी साधे हुये हैं। वे चाहते हैं कि इस मामले में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की कुछ और थूका फजीहत हो जिससे कि उन्हें अपना कद बढ़ाने का मौका न मिले। मीडिया में सुशील मोदी के खिलाफ इस खबर को हवा दी जा रही है, जबकि सुशील कुमार मोदी खुद बेहतर मीडिया मैनेजर हैं। पत्रकारों को पर्सनली डील करते हैं। ऐसे में यदि राज्य में सुशील कुमार मोदी के खिलाफ माहौल बन रहा है तो निसंदेह इसके पीछे एक मजबूत लाबी काम कर रही है। हालांकि एक हद तक सुशील कुमार मोदी इसके लिए एक हद तक खुद जिम्मेदार हैं। उनका भतीजा लालू यादव के साले सुभाष यादव और साधु यादव की तर्ज पर बेलगाम हो गया है और कहीं न कहीं सुशील कुमार मोदी की आभा का भी उसके ऊपर असर है।
दिनकर के पौत्र अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि पटना के मछुआ टोली स्थित दिनकर आवास में महेश मोदी की एक दवा की दुकान है। यह जगह उन्हें किराये पर दिया गया था, लेकिन अब वह यह जगह छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। छोड़ने की बात कहने पर महेश मोदी उल्टे अरविंद कुमार को ही धमका रहे हैं। एक तरह से पूरी गुंडागर्दी पर उतर आये हैं।
मजे की बात है कि अरविंद कुमार ने इसकी शिकायत लगभग सभी बड़े आला अधिकारियों से भी की थी, लेकिन इस मामले में सुशील कुमार मोदी का नाम आने से कोई भी अधिकारी कार्रवाई करने के लिए आगे नहीं आया। सीधी सी बात है सुशासन के लाख दावों के बावजूद राजनीतिक आकाओं से पंगा लेने की स्थिति में आला अधिकारी नहीं है। वैसे भी इन्हें अंदर खाते से मना कर दिया गया है कि इस मामले को थोड़ा और उछलने दिया जाये। अब यह मामला नीतीश कुमार के जनता दरबार में भी उठ चुका है और धरना प्रदर्शन भी हो चुके हैं। यानि कुल मिलाकर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार बुरी तरह से इसकी चपेट में आ गये हैं। रुपम मामले में मोदी की भूमिका पहले से ही संदिग्ध है और अब दिनकर भवन पर कब्जा प्रसंग में भी इनके रिश्तेदार जुड़े हुये हैं। लोग यही कहने लगे हैं कि सुकुन के साथ दुबारा सत्ता में आने के बाद मोदी का चरित्र लालूमय होता जा रहा है। जिस तरह से अपने सगे संबंधियों की बेजा करतूतों पर लालू खामोश रहते थे उसी तरह अब सुशील कुमार मोदी भी खामोश रहते हैं।
कहां गया सुशासन!
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nitish aap sahi mein bahut bare politician ho,but saayad now a days susil ji is growing bigger.
plz control him nahi to kal unke ristedaron ko raj bhawan achchha lag gaya to?