लिटरेचर लव

लुबना (फिल्म स्क्रीप्ट,भाग-2)

खादी के जैकेट का सांकेतिक इस्तेमाल किया गया है इसमें। सारे चरित्र अपना नेचर ले रहे हैं और खादी का जैकेट एक के पास होते हुये दूसरे के पास पहुंच रहा है। कहानी के मूल में लुबना ही है, धूसर भी अपनी गति से आगे बढ़ रहा है, श्मसानी से दूसरा काउंटर भी इसमें हो रहा है। शंभू भूतों की बात बनाता रहता है, और इससे उसके स्टेट्स में इजाफा होता है। कम से कम उस सोसाइटी में तो होता ही जिसका वह हिस्सा है। सीन 5, 6 और 7 यहां पर दे रहे हैं। डायलोग में इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि वे परिवेश को अच्छी तरह से रिफ्लेक्ट करें…..      

 Scene 5

Characters–शंभू, लुबना, मुनका, रतिया, सरोज, उसका पति सुखु और सौखी, शनिया और मंगला।

Ext/day/in front of hut.

(शंभू और सुखु चटाई पर बैठे हुये हैं. बच्चे वहीं पर इधर- उधर दौड़ रहे हैं। कुछ दूरी पर बैठी लुबना सरोज के बालों में तेल लगाकर कंघी कर रही है। रतिया भी उसी के बगल में बैठी हुई है।)

                लुबना

(सरोज के बालों में कंघी करते हुये) बाल को तू इस तरह से चिपचिपी रखेगी तो तेरा भतार एक दिन भाग जाएगा…..

                 रतिया

(थोड़ा मजा लेते हुये, सरोज से) दीदी को देखो….हमेशा बनी ठनी रहती है…तभी धूसर इसके पीछे पागल है…

                सरोज

…तो तू क्यों जल रही हो ….तू भी इससे कुछ सीख…

                रतिया

तू सीख ली क्या….? (सुखु की ओर देखते हुये)…पूछू तुम्हारे मरद से …कैसे कमाल दिखाता है ….??

                 लुबना

(सहजता से) चुप बेशरम…

                              इंटर कट

                   शंभू

(सुखु से कुछ नाटकीय अंदाज में)….एतना आसान है भूत  के वश में करना….कोई-कोई तो बड़ा हरामी होता है….साला सुनेगा ही नहीं….कभी प्यार  से त कभी फटकार से इनको वश में रखना पड़ता है….नहीं त फिर उसका गर्दन पकड़ना आना चाहिये……(मुठी को इस तरह से भींचता है मानो वह भूत का गर्दन पकड़ रहा है।)

                   सुखु

अभी आपके पास कै गो भूत है…..??

                  शंभू

पांच ठो…..दू ठो को श्मसान में पकड़ा था…..एगो साला तो एतना हरामी था कि उसको बांध के पेड़ में चार दिन तक लटकाना पड़ा….

                  सुखु

(कुछ आश्चर्य और रोमांच से आंख फाड़ते हुये) अच्छा….!!! फिर….

(सुखु को पूरा यकीन है कि शंभू के पास भूतों को वश में करने की शक्ति है, और शंभू से इस कला को सीखना चाहता है। सुखु और शंभू के बीच की कैमिस्ट्री यही है।)

                   शंभू

(थोड़ा और मूड में आते हुये)….फिर बाप-बाप करने लगा….तब साले से पूछे कि ….मेरा कहा मानेगा कि नहीं….टेकुआ जइसन सोझ हो गया….एक बार कह देंगे कि मूतो त छूर छूर मूतेगा….

(मंगला दौड़ते हुये आता है और शंभू के शरीर पर फांद जाता है…शंभू को जोरदार चोट लगती है, थोड़ी के लिए उसे गुस्सा आता है , लेकिन मंगला को संभालकर गोद में बैठा लेता है। सौखी और शनिया भी दोनों ओर से उस पर लिपट जाते हैं…)

                                  इंटर कट

(मनकु वही खादी का जैकेट पहने झोपड़ी से बाहर निकलता है, जिसे धूसर ने श्मसानी से छिना था। उसे अपने जैकेट पर गर्व है…

                                           इंटर कट

सुखु की नजर उसके जैकेट पर पड़ती है, और जैकेट को लेकर वह थोड़ा ललचा जाता है, लेकिन उसे पता है कि मनकु उसे जैकेट देने वाला नहीं है, वह शंभू को झांसे में लेने की कोशिश करता है)

                   सुखु

मनकू रंगदार जैकेट पहने है….आप पर त ई बहुत फिट बइठेगा…..

                                 इंटरकट

                 लुबना

(जैकेट में निकल रहे मनकू की ओर देखते हुये, रतिया से) देख, तेरा भतार तो नेता लग रहा है…. 

                 रतिया

(थोड़ा मुंह बनाकर) इ तो ठंडा है….नेता का बनेगा…??                

                                     लुबना

(रतिया को झिड़कते हुये) तेरी जुबान बहुत लंबी है…

(मनकु से थोड़ी ऊंची आवाज में) जंच रहे हो… कहीं नजर न लग जाये…

(मनकु थोड़ा और कांफिडेंस के साथ जैकेट पर  हाथ फेरता है, तभी शंभू आवाज देता है)

               शंभू

मनकु इधर आ….

(मनकु शंभू के पास जाता है)

इ जैकेट दो…

                मनकु

(थोड़ा प्रतिरोध करते हुये) इ हम धूसर से लिये है….आपको क्यों दे…??

                शंभू

भुतनी के , बहस नहीं…जैकेट निकाल….

(मनकु जैकेट निकल के गुस्से से शंभू के ऊपर फेंक देता है, और आफ मूड में बुदबुदते हुये वहां से चला जाता है….

                  सुखु

(शंभू को बातों में उलझाते हुये)…एक भूत मुझे भी दिजीये…

                   शंभू

 ई सब तुमरे वश का नहीं है….जदि बिगड़ गया तो तुम्ही को परेशान कर देगा….

(बच्चे अभी भी शंभू की गोद और कंधे पर खेल रहे हैं)

                   सुखु

(जैकट उसके हाथ से लेते हुये) तो फिर आप तो संभाल ही लेंगे ना…

                  शंभू

(वापस जैकेट सुखु के हाथ से लेते हुये) उ तो है….लेकिन अभी रिस्क लेवे से का फायदा….आगे देखा जाएगा….(जैकेट को पहनाते हुये)……नेतवन सब यही पहिन के न राज करता है…

 (इधर उधर देखते हुये) धूसर कहा हैं….?

                                  कट टू

                                   Scene 6

Characters: Dhusar and Shamshani

Ext/morning/ wine shop

(धूसर एक गुमटी वाले शराब की दुकान से एक बोतल शराब खरीदता है, कुछ दूरी से श्मसानी उसे शराब खरीदते हुये देखता है, और फिर उसके पीछे हो लेता है। अचानक रास्ता में मौका मिलने पर वह धूसर के हाथों से बोतल झपट लेता है और एक ओर भागता है। धूसर पूरी शक्ति से उसके पीछे दौड़ता है, लेकिन पकड़ नहीं पाता। रुककर हांफते हुये वह श्मसानी को भागते हुये देखता है और फिर अपनी जेब टटोलकर पैसे निकलता है,                                        

                                                                   कट टू….

                                      Scene -7

Character-Lubana, Sambhu and Sukhu

Ent/day/in side hut

(झोपड़ी के अंदर लुबना कपड़े बदल रही है। अपने दोनों हाथों से अपनी चोली का बटन लगाने की कोशिश कर रही है, सुखु झोपड़ी में दाखिल होता है, लुबना को लगता है कि रतिया आई है।)

                 लुबना

(सुखु की ओर देखे बिना ही अपनी चोली को कसने की कोशिश करते हुये)…

रतिया.. बटन लगा दे….

(सुखु ललचाई हुई नजर से उसके पीठ की ओर देखते हुये आगे बढ़ता है और उसके चोली के बटन लगाने लगता है।)

                 लुबना

(उसकी ओर देखे बिना ही) दो महीना पहले ही सीलवाई थी…. कसने लगी है…

(चोली को कसने के बजाये सुखु अपना हाथ उसके अंदर घुसाकर आगे ले जाने की कोशिश करता है, लुबना पलटकर देखती है, सामने सुखु को देखकर उसका पारा गरम हो जाता है, जबकि सुखु उसे अपनी बाहों में भरने की कोशिश करता है)

                 सुखु

(लुबना को बाहों में लेने की कोशिश करते हुये)

बस एक बार मेरा नाव पार लगा दे….

(इसके पहले सुखु कुछ समझ पाता, बगल में रखे हुये कालिख में लिपटे एक मिट्टी के घड़े को वह तेजी से उठाती है, और उसके सिर पर दे मारती है। उसके मुंह से जोरदार चीख निकल जाता है। चीख सुनकर सरोज और रतिया एक साथ दौड़ते हुये झोपड़ी के अंदर आते हैं। सुखु का पूरा चेहरा काला हो गया है। बात को समझते ही रतिया जोर-जोर से हंसने लगती है, जबकि सरोज सुखु पर भड़क उठती है)

                सरोज

(कोसते हुये) मरद कुत्ते की जात है…..इधर-उधर मुंह मारे बिना संतोष नहीं होता….

                 लुबना              

(रतिया की ओर पीठ करते हुये) जरा बटन लगा….(रतिया बटन लगाने लगाने लगती है, लुबना सुखु की ओर देखते हुये) ….बिलार जैसा चुपके से कब पीछे आया पता ही नहीं चला…..

                  शंभू

(शंभू झोपड़ी में दाखिल होते हुये, उसकी नजर सुखु के काले चेहरे पर पड़ती है)…भुतनी के… ई बानर जैसा मुंह काहे बनएले है….?

               लुबना

(बुदबुदाती है)…इ बिलार के घोड़ी चढ़े के शौक हो रहा था…..

                  शंभू

 (डपटते हुये) चुप कर….. खुदे उछलते हुये घूमती रहती है….(सुखु से)…और भुतनी के तुझे एक हड़ियां से मन नहीं भरता….??

               लुबना

(गुस्से में) अपना जात कैसे छोड़ेगा….

(वह बाहर निकल जाती है.)

                               कट टू….

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