लुबना (फिल्म स्क्रीप्ट, पार्ट-1)
फिल्म स्क्रीप्ट लेखन एक तकनीकी काम है। तेवर आनलाईन पर फिल्म स्क्रीप्ट लेखन को लेकर एक एजुकेशनल अभियान चलाने की योजना बहुत दिनों से थी। इसके तहत हम फिल्म लेखन की कला को सीखने और सीखाने का काम करना चाहते हैं। इसी उद्देश्य को दिमाग में रखकर तेवर आनलाईन पर एक स्क्रीप्ट सिलसिलेवार तरीके से पोस्ट किया जा रहा है। इस फिल्म का नाम है लुबना। श्मशान घाट में मुर्दा जलाने वाले एक परिवार की वह सदस्य है। फिल्म की पूरी कहानी इसी के इर्दगिर्द घूमती है। लुबना की कहानी को यहां पर स्क्रीप्ट शैली में रखा जा रहा है। फिल्म स्क्रीप्ट लेखन के ग्रामर का यहां पूरा ख्याल रखा गया है। उनके रहन सहन और आपसी संबंधों को इस स्क्रीप्ट में रियलिस्टिक स्तर पर उकेरा गया है। सीन, कैरेक्टर्स और इफेक्ट को भी व्यवस्थित तरीके से दिया गया है ताकि व्यवहारिक स्तर पर स्क्रीप्ट लेखन के तौर तरीके को समझा जा सके। इस कहानी में कई चरित्र में मिलेंगे, जो अपने आप में खास है। फिल्म स्क्रीप्ट लेखन से संबंधित किसी भी तरह के प्रश्न पर डिस्कशन करने के लिए आप कामेंट्स बाक्स का सहारा ले सकते हैं। इस अभियान का एक मात्र उद्देश्य फिल्म स्क्रीप्ट लेखन की तकनीक को सहजता के साथ समझना और समझाना है। यहां पर चार सीन दिये जा रहे हैं।
Scene 1
Characters – Lubana
Ent/ Night/ In side a hut.
(धुसर के चेहरे पर पसीने की बूंदे छलक रही है, उसकी आंखें बंद है। लुबना पेट के बल लेटी है। धुसर पीछे से उसके साथ संभोग कर रहा है। धूसर के नाखून का दबाव लुबना को अपने कंधे पर महसूस हो रहा है।)
Scene 2
Characters–शंभू, मुनका, मुनका की पत्नी रतिया, सरोज, तीन बच्चे व चार लोग।
Ext/ Night/Luban’s hut
(सिर पर गमछा-गुमछा लगाये हुये चार लोग झोपड़ी के सामने आते हैं।
एक आदमी
(शंभू की ओर देखते हुये)…महाराज, आग चाहिये ….पुरानिया आदमी थे…
शंभू
(उनकी तरफ देखता है, और फिर झोपड़ी की ओर मुंह करके जोर से चिल्लाते हुये)…धूसरा .. ओ धूसरा….
इंटर कट
शंभु की आवाज बाहर से आ रही है।
धुसर…कहां मर गया…बहिर हो गया है क्या …
(लुबना के कंधे पर धूसर के नाखून धंसते जा रहे हैं। लुबना दोनों होठों को दबाये इस नाखून के दर्द को जब्त कर रही है। लुबना की पीठ से खून निकलता है। और फिर धूसर के नाखूनों की पकड़ ढीली हो जाती है।)
शंभू की आवाज
(चिल्लाहट बढ़ जाती है) धुसर….घाट पर लहास पड़ा है…..
(धूसर बाहर की ओर देखता है…)
शंभू की आवाज
भुतनी के, सुनाई नहीं दे रहा….
इंटर कट….
(झोपड़ी से बाहर निकल कर धूसर शंभू के पास आता है, जहां पर चार लोग पहले से ही खडे़ हैं. धूसर बिना कुछ कहे उन चार लोगों के साथ एक ओर चल देता है।)
कट टू….
Scene 3
Charaters : धूसर,पंद्रह-बीस लोग, एक मूर्दा.
Ext/night/ Murdhaghat.
(15-20 लोग मुर्दाघाट पर एक चिता के पास खड़े हैं। लाश के ऊपर राम नाम का चादर रखा हुआ है, और उसके ऊपर कुछ लकड़ी। लाश के चारों ओर अगरबत्ती जल रही है। धूसर लाश के पास खड़ा है, सभी लोग उसी की तरफ देख रहे हैं. कुछ दूरी पर दो चिताएं जल रही हैं। एक चिता की आग कुछ कमजोर पड़ गई है, जबकि दूसरी चिता में बांस की सहायता से चार लोग एक लाश को जलाने में लगे हुये हैं)
धूसर
(लाश की ओर देखते हुये, नाटकीय अंदाज में स्टिरियो टाइप)
बहुत भगशाली थे…नाती-पोता से घर भर दिये…अब घर से विदाई ले ही रहे हैं त कुछ लेने आएंगे ?…अब अंतिम बार ही जो लेके जाना है जाएंगे…
एक आदमी
(धूसर से) महाराज बोलिये क्या लिजिएगा….रात बहुत हो गया है…इनको फूंक- फांक के हमलोग भी घर जाये और आप भी आराम से सोइये…
धूसर
(पूरे आत्मविश्वास के साथ एक सांस में बोलता है ) दो तोला सोना..चार बीघा खेत…25 हजार रुपया दे दिजीये…
दूसरा आदमी
( शब्दों पर जोर देते हुये) फाइनल बोल…
धूसर
(थोड़ा झूंझलाते हुये) अब एतना भी न देब त का देब …
पहला आदमी
(धूसर को समझाने वाले मूड में) इनके साथ का परिवार के सभी लोग चले जाएंगे…? कंगाल बनाएगा का.. ?. ठीक-ठीक बोल केतना दे..
धूसर
(समझौता के मूड में आते हुये)
आपकी ही बात…खेत बघारी और सोना-चांदी छोडि़ये…(पांचों उंगली दिखाते हुये) पांच हजार नगदी..
तीसरा आदमी
(उसके पांचों उंगलियों की ओर देखते हुये)
एकावन रुपया ले और जल्दी कर..
धूसर
(बिदकते हुये) मजाक कर रहे हैं…??जब आपकी बारी आएगी तब आपके परिवार से एको रुपया नहीं लेंगे…
पहला आदमी
अब नखड़ा बंद कर और 101 पर मान जो….
धूसर
(नाराजगी के साथ) ऐतना पर न होगा…कहां रखिएगा सब धन बचा के…एक दिन आपको भी ऊपरे जाना है..
पहला आदमी
151 फाइनल ! (इसके पहले कि धूसर कुछ बोल पाता वह चालू रहता है)…अब कोई बखेड़ा नहीं..
धूसर
प्रसाद के लिए सौ का पत्ता अलग से दे दिजीएगा…
पहला
(उसके हाथ में 251 रुपये पकड़ते हुये…अगल-बगल खड़े लोगों से, मानो बहुत बड़ा जंग जीत लिया हो)..पीने खाने के लिए इ सब लेता ही है…
धुसर
(धूसर अपनी माचिस निकाल पुआल के एक बंडल में आग लगाता है)
जय महाकाल!! इनका लेनी-देनी, भूल-चूक सब माफ करना…..जय महाकाल…(जलता हुआ पुआल सफेद वस्त्र पहने सिर मुड़ाये एक व्यक्ति को पकड़ा देता है।)
धूसर
(आग पकड़ाते हुये) इनका समान सब कहां है …
दूसरा आदमी
ऊ सब उधर जीप के पास है…सब ले जाइये
धूसर
जय महाकाल
(धूसर उस आदमी के कहे हुये स्थान की ओर बढ़ जाता है। एक साथ चार लोग राम नाम सत्य हैं। सफेद कपड़े वाला आदमी जलते हुये पुआल से चिता चलाता है।)
कट टू….
(इसके सीन के बैक ग्राउंड में जलती हुई दो चिताओं को लेंगे तो सीन ज्यादा प्रभावी होगा।)
Scene 4
Characters : Dhusar, Shashani
Ext/night/Besides a jeep.
(एक जीप के बगल में ओढ़ने-बिछाने के साथ-साथ कुछ बर्तन भी पड़े हैं। एक श्मसानी सामान को इधर से उधर उलट-पलट कर देख रहा है। एक गांधीवादी जैकेट उसे अच्छा लगता है, वह अपने फटे पुराने गंदे कपड़े के ऊपर उस जैकेट को पहन लेता है। तभी धूसर वहां आता है और श्मसानी पर नजर पड़ते ही उसकी आंखों में गुस्सा उतर आता है।)
धूसर
(श्मसानी को धक्का देते हुये) हमारे सामान पर हाथ साफ कर रहा है…चल भाग यहां से…(जैकेट की ओर देखते हुये)…निकाल यह जैकेट…
(श्मसानी इस तरह से जैकेट पर हाथ फेरता है मानों वाकई में वह जैकेट उसे बहुत प्रिय है।)
धूसर
(घुड़की देते हुये) निकाल साला…(दांत पीसकर मुठ्ठी बांधते हुये) नहीं तो….
(श्मसानी जैकेट निकालकर गुस्से में उसे जमीन पर फेंकता है, और वहां से चला जाता है। धूसर पहले कपड़े की गठरी को कंधे पर रखता है फिर झुककर जैकेट उठाता है।
कट टू….
जारी है…..
sir kishi hit film ki script likhi hui milegi
ye.. inter cut our cut to kya hota hai ,
dear koi acchi hit film ki script bataiye.
आपकी फिल्म टीवी पटकथा लेखन को सिखाने और प्रोत्साहित करनेवाली योजना मुझे पसंद आई .मैंने ज्ञानोदय के सम्पादक रविन्द्र कालिया से पटकथा लेखन को प्रकाशित करने के लिए कहा था .आप इसमें तकनीकी जानकारी भी दें. केमरा एंगिल वगैरह.तब इसकी उपयोगिता और बढ़ जायेगी . मेरा मानना है कि लेखकों को पट कथा लेखन भी करना चाहिए .इससे फिल्मों की गुणवत्ता में बड़ा अंतर आएगा ……..