वामपंथी उग्रवाद पर इरमा की रिपोर्ट को केंद्र ने सेंसर किया (पार्ट 1)
भूमिका कलम, भोपाल।
केंद्र सरकार ने उग्रवाद जैसे अहम मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर हुए एक सर्वे के कई अहम बिंदु ‘सेंसर’ कर दिए हैं। ये ऐसे बिंदु हैं जो केंद्र और राज्य सरकारों की इस समस्या से निपटने की विफलता के कारणों का खुलासा करने वाले हैं।
केंद्र सरकार ने गुजरात की संस्था इरमा द्वारा सर्वेक्षण कराया था। संवादाता के पास इसकी रिपोर्ट के वे अंश मौजूद हैं, जिन्हें सेंसर किया गया है। एक रोका गया हिस्सा बताता है कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बने उग्रवाद का कारण पंचायती राज विस्तारित (अनुसूचित क्षेत्र) अधिनियम 1996 को लागू नहीं कर पाना है। रिपोर्ट के जिन हिस्सों को सेंसर किया गया है, वे ‘देश के नौ राज्यों के प्रभावित जिलों में वामपंथ उग्रवाद और शासन’ तथा ‘भारत के जनजातीय जिलों में सरोकार और चुनौतियां’ विषय में शामिल थे।
सेंसर किए गए मुख्य बिंदु
देश के नौ राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, राजस्थान एवं महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल इलाकों में पीसा कानून 1996 में लागू किया जाना था। हालांकि मप्र और छग को छोड़ किसी भी राज्य में इसे लागू नहीं किया गया, लेकिन इन दोनों राज्यों में भी कानून के तहत ग्राम सभा के अधिकारों को पूर्णता से लागू नहीं किया गया।
रिपोर्ट के भाग 3.4 में बताया गया है कि किस तरह से वामपंथ उग्रवाद पीसा कानून के क्षेत्रों में बढ़ा है। नक्सलवाद की चपेट वाले 76 में से 32 जिले ऐसे हैं, जहां पीसा कानून लागू है।
बिहार, झारखंड़, उड़ीसा, छग और आंध्रप्रदेश के कुछ इलाकों में जहां पीसा कानून लागू है, वहां प्रतिबंधित पार्टी लाल गलियारे के रूप में अधिक सक्रिय है। इसका रोचक तथ्य यह है कि उग्रवादी संगठनों के वरिष्ठ नेता आदिवासी नहीं हैं, जबकि उनकी सारी शक्ति वही आदिवासी लोग हैं, जो स्थानीय शासन से नाराज होकर हिंसा के लिए तैयार हो रहे हैं।
पीसा कानून के तहत राज्यपाल को इसके लागू होने के उद्देश्यों की पूर्ति की जानकारी हर साल केंद्र को भेजनी आवश्यक थी, लेकिन किसी भी राज्य से इस तरह की रिपोर्ट केंद्र को नहीं भेजी गई।
पीसा कानून के लागू होने के बारे में सूचना के अधिकार में जानकारी मांगने पर केंद्र शासन के एक अधिकारी ने तर्क दिया कि यह सार्वजनिक दस्तावेज नहीं है।
आदिवासी इलाकों में संविधान के मूलभूत अधिकारों से वंचित लोग वामपंथ उग्रवाद की चपेट में आसानी से आ जाते हैं। उग्रवादी इसे राज्य की असंवेदनशीलता बताते हुए लोगों को भड़काने में सफल हो जाते हैं। पांचवी अनुसूचि के उग्रवादी सर्वे रिपोर्ट के अनुसार इन इलाकों में तीन चौथाई लोग जीवन सूचकांक से भी निम्न जीवन व्यतीत कर रहे हैं। महिला साक्षरता राष्ट्रीय स्तर से भी कम है। एक चौथाई से भी कम लोग ही पक्के घरों में रह रहे हैं। एक तिहाई से भी कम लोगों के पास बिजली के कनेक्शन हैं।
जारी है….
So not really on the same topic as your post, but I found this today and I just can’t resist sharing. Mrs. Agathe’s dishwasher quit working so she called a repairman. Since she had to go to work the next day, she told him, “I’ll leave the key under the mat. Fix the dishwasher, leave the bill on the counter, and I’ll mail you the check. Oh, and by the way…don’t worry about my Doberman. He won’t bother you. But, whatever you do, do NOT under ANY circumstances talk to my parrot!” When the repairman arrived at Mrs. Agathe’s apartment the next day, he discovered the biggest and meanest looking Doberman he had ever seen. But just as she had said, the dog simply laid there on the carpet, watching the repairman go about his business. However, the whole time the parrot drove him nuts with his incessant cursing, yelling and name-calling. Finally the repairman couldn’t contain himself any longer and yelled, “Shut up, you stupid ugly bird!” To which the parrot replied, “Get him, Spike!”