पहला पन्ना

विकास से कोसों दूर टीकारामपुर पंचायत के लोग कर रहे हैं पलायन

लालमोहन महाराज, मुंगेर
मुंगेर जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत टीकारामपुर पंचायत अब भी विकास से कोसों दूर है .आजादी के सात दशक बाद भी यहां के लोग सड़क, शिक्षा स्वास्थ्य जैसे मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। साल के दो महीने पानी में जलमग्न रहने वाले इस पंचायत के लोग सरकारी योजनाओं में बंदर बाट होने से परेशान हैं। सरकारी योजनाएं धरातल पर दिखे और इसका लाभ पंचायत की भोली भाली जनता को कैसे मिले, इसको लेकर पंचायत के सरपंच शिवनंदन महतो एवं दीपक सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने बैठक कर निर्णय लिया कि जब तक सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता नहीं दिखेगी तब तक हमारे पंचायत का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है। ग्रामीणों ने कहा कि हम लोग अपने पंचायत के साथ साथ अपने बच्चों के भविष्य को लेकर सरकार , उनके प्रशासन सहित जनप्रतिनिधि से सवाल पूछेंगे कि आखिर हम लोगों की गलती क्या है जिसकी सजा हम लोगों को मिल रही है। सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाएं यहां आती तो है पर इससे सिर्फ बिचौलिये, भ्रष्ट पदाधिकारियों व ठेकेदारों का जेब गर्म हो जाता है। मनरेगा के तहत इस पंचायत में लगभग 3 करोड रुपए खर्च किए गए है ,जिसमें सिर्फ घोटाला ही हुआ है। इस घोटाले की शिकायत भी हम लोगों ने लिखित एवं मौखिक रूप से शासन प्रशासन तक पहुंचाने का काम किया है . दुर्भाग्यवश कार्रवाई के नाम पर आज तक यहां कुछ नहीं हो पाया है। यहां के किसान खेती तो करते हैं लेकिन फसल कोई और काट ले जाते हैं। इस तरह के कई समस्याओं से हम पंचायत वासी पिछले कई वर्षों से जूझ रहे हैं। इसलिए हम लोगों ने अब मन बना लिया है कि अपने अधिकारों के साथ पंचायत एवं बच्चों के भविष्य को लेकर किसी भी हद तक जाने को तैयार है। ग्रामीणों ने पंचायत के विकास के लिए मुंगेर के डीएम अवनीश कुमार सिंह से उचित कार्रवाई की गुहार लगाई . बैठक में शिव पासवान, किरण देवी, निरंजन सिंह, अमर,बुलेरी, देवेंद्र ,नंदलाल महतो, आशीष, सुधीर, आनंदी सिंह सहित अन्य थे

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button