साइबर क्राइम के घेरे में बिहार का सूचना एंव जनसंपर्क विभाग
तेवरआनलाईन टीम, पटना
बिहार के सूचना एंव जनसंपर्क विभाग के टेक्निकल हेड विजय कुमार अभी भी दावा कर रहे हैं कि चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता के संबंध में दिशा निर्देश मिलने के बाद उनकी साइटों पर से सारे सरकारी कार्यक्रम हटा दिये गये हैं, जबकि नीतीश सरकार के गुणगान करने वाले सारे कार्यक्रम पहले की तरह ही चल रहे हैं, या यूं कहें कि उन्हें हटाया ही नहीं गया है। सूचना एवं जनसंपर्क के अन्य अधिकारी इस मसले पर कुछ बोलना तो दूर, तेवरआनलाईन से बात तक करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। चुनाव आयोग भी इस मसले पर टाल-मटोल के मूड में है, और यह कह रहा है कि समय की कमी के कारण सभी चीजों पर हम नजर नहीं रख पा रहे हैं। ऐसे में यदि कोई विभाग आचार संहिता का उल्लंघन कर रहा है तो इसकी जानकारी हमें नहीं है, या अब तक इस तरह का कोई भी मामला हमारी नजर में नहीं आया है।
बिहार से निकलने वाले तमाम समाचार पत्रों में यही प्रकाशित किया जा रहा है कि चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लागू किये जाने के बाद सारे सरकारी वेवसाइटों पर से मंत्रियों के नाम और पते हटा दिये गये हैं। वेवसाइटों पर कौन-कौन से कार्यक्रमों को किस तरीके से प्रमोट किया जा रहा है इसकी जानकारी नहीं दी जा रही हैं।
सूचना एंव जनसंपर्क विभाग के टेक्निकल हेड विजय कुमार सिंह से जब किसी तरह से इस मामले में संपर्क साधा गया तो उन्होंने कहा कि हमलोगों ने सारे कार्यक्रमों को हटा दिया है। जब उनसे यह कहा गया कि अभी भी सारे कार्यक्रम चल रहे हैं, तो उन्होंने इस बात को मानने से ही साफतौर पर इंकार कर दिया। मजे की बात तो यह है कि विभाग के अंदर जब अन्य लोगों से यह पूछा गया कि क्या वे लोग अपने विभाग की साइट देखते हैं, तो जवाब मिला कि उन्हें नेट पर जाकर साइट खोलना ही नहीं आता है। पता चला है कि टेक्निकल हेड विजय कुमार को भी कुछ दिन पहले तक कैसे मेल खोला जाता है इसकी भी जानकारी नहीं थी। बाहर से आयातित कर्मचारियों से काम चलाते थे और अभी भी चला रहे हैं। इसके अलावा यह दावा करते हैं कि पूरे बिहार में वह एकमात्र इलेक्ट्रानिक इंजीनियर हैं और इस नाते हर हालत में वह सूचना और जनसंपर्क विभाग में बने रहेंगे। उनको यहां पर बनाये रखना किसी भी सरकार की मजबूरी है। उनकी धाक पूरे विभाग में चलती है और अन्य नन-टेक्निकल अधिकारी भी उनके काम में टांग नहीं अड़ाते हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले पांच सालों में भले ही बिहार को विकास के पथ पर अग्रसर करने का पुरजोर दावा कर रहे हैं, लेकिन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को देखकर यही लगता है कि भले ही संशाधन जुटा लिया गया है, लेकिन इस पर काम करने वाले लोगों को पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं किया गया है। बहरहाल कारण चाहे कुछ भी हो, फिलहाल सूचना एंव जनसंपर्क विभाग के साइट पर चलने वाले कार्यक्रम चुनाव आचार संहिता की धज्जियां जरूर उड़ा रहे हैं।
राज्य के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी कुमार अंशुमाली से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि हमलोगों के पास इतना समय नहीं है कि हर जगह नजर रखें, फिर हम पूरी कोशिश कर रहें हैं कि आचार संहिता के उल्लंधन के संबंध में किसी तरह की शिकायत आने की स्थिति में हम तुरंत कार्रवाई करें। जब तेवरआनलाईन ने उनका ध्यान सूचना एंव जनसंपर्क विभाग की साइट की ओर दिलाया तो वह बोले कि अभी तक हमलोगों ने इस साइट को नहीं देखा है, लेकिन सभी विभागों को दिशा निर्देश जारी कर दिया है। यह पूछे जाने पर कि क्या इन दिशा निर्देशों पर नजर रखने की आपके पास कोई पुख्ता व्यवस्था है, उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस काम में लगे हुये हैं।
कुमार अंशुमाली भले ही यह कह कर निकलने की कोशिश कर रहे हैं कि सूचना एंव जनसंपर्क विभाग के साइट पर आचार संहिता के उल्लंधन की उन्हें कोई जानकारी नहीं है, लेकिन तेवरआनलाईन पर इस खबर को लगातार चलाने के कारण इसकी चर्चा दिल्ली चुनाव आयोग के कार्यालय में भी हो रही है। चूंकि यह मामला नेट वल्र्ड से जुड़ा है, इसलिए यह साइबर क्राइम के घेरे में आता है, और अभी तक बिहार में चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने साइबर क्राइम से संबंधित कोई मामला दर्ज नहीं किया है। या यूं कहा जाये कि अभी तक बिहार चुनाव आयोग के अधिकारी चुनाव के संदर्भ में साइबर क्राइम के जद को परिभाषित नहीं कर सके हैं। सवाल उठता है कि यदि बिहार सरकार की साइट पर चलने वाले तमाम कार्यक्रम यदि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं तो क्या इन्हें साइबर क्राइम की श्रेणी में रखा जाएगा? चुनाव से जुड़े तमाम मशीनरी को पूरे प्रकरण की पड़ताल करने की जरूरत है। फिलहाल नीतीश सरकार के सारे अधिकारी इस कांफिडेंस में हैं कि अगली सरकार नीतीश कुमार की ही बनने वाली है, ऐसे में वे अपनी सीमा से बाहर जाकर नीतीश कुमार के फेवर में कुछ करते हैं तो इसका लाभ भविष्य में उन्हें जरूर मिलेगा।