लिटरेचर लव
सूर्य की नव किरणों के साथ…(कविता)
सुप्रभात
सुप्रभात!
सूर्य की नव किरणों के साथ,
नई आशा,नई उमंगें,
नई स्फूर्ति,नई ताज़गी,
नव विहान,नव उड़ान,
लेकर आया है,
आज का नया दिन…!
नारी
नारी !
तू कितनी है न्यारी,
तू कितनी है प्यारी,
कभी बनती है बेचारी,
कभी बनती है चिंगारी…!
अर्थ
आज
अर्थ ही जीवन है,
जीवन ही अर्थ है,
अर्थ के बिना,
सब-कुछ व्यर्थ है,
अर्थ का यह,
कैसा अनर्थ है!
आंसू
नयनों के आंसू गिरने से
ना कुछ बनता है,
ना कुछ बिगड़ता है.
किन्तु सीता द्रौपदी के आंसू ,
यूं ही व्यर्थ नहीं जाते!
वाल्मिकी और व्यास,
मसि-पात्र में भर लेते हैं.
फिर डुबो उसी में,
अपनी कलम से,
रामायण-महाभारत लिख देते हैं.
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aap bahut achchha likhte hai
i like your kavita very much arth and ashoo, my wish is that one day you will become superstar of indian kaveeta.. sanjeev….