जर्नलिज्म वर्ल्ड

“पड़ताल” के साथ नाइटशेड की धमाकेदार इंट्री

नाइटशेड मीडिया प्रोडक्शंस की धमाकेदार इंट्री बिहार में हो रही है.
नाइटशेड मीडिया प्रोडक्शंस दक्षिण भारत में अबतक काम कर रही न्यूज
प्रोडक्शन नामक मीडिया हाऊस की एक इकाई है,जो अब बिहार झारखंड के एक
क्षेत्रीय चैनल हमार टीवी के लिए अब पड़ताल नाम से एक  कार्यक्रम बना रही
है. कार्यक्रम के नाम के साथ श्लोगन है कितना बदला बिहार और कहां पहुंचा
झारखंड. खास बात यह है कि यह कार्यक्रम विशेष शोध पर आधारित होगा और
बिहार–झारखंड से जुड़े मुद्दे इस कार्यक्रम में शामिल किए जाएंगे.

कंपनी सूत्र बताते हैं कि इस कार्यक्रम की शुरुआत बिहार विभाजन जैसे विषय के
साथ होगा. इसकी शुरुआत अप्रैल के दूसरे सप्ताह से होना है. पड़ताल प्रोजेक्ट के समाचार संपादक हैं पटना के वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त. प्रमोद दत्त ही रिसर्च विभाग को भी हेड करेंगे. प्रमोद दत्त इसके पहले ईटीवी बिहार के लिए भी सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार कार्यक्रम का रिसर्च हेड रह चुके हैं. कार्यक्रम का प्रोजेक्ट हेड हैं मुकेश कुमार सिन्हा. इनके पास भी प्रिंटऔर इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का लंबा अनुभव है. मुकेश स्क्रिप्ट भी लिखेंगे. स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर आलोक शर्मा भी
कंपनी से जुड़ रहे हैं. इसके साथ साथ रिसर्च के लिए कंपनी ने संतोष सुमन
जैसे कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को जोड़ा है.

कंपनी के प्रबंध निदेशक सह प्रबंध संपादक ए के प्रभात रंजन भी मीडिया से
जुड़े रहे है. शुरुआत इन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से की थी. बिहार में य़े
वर्षों तक नाटक भी करते रहे हैं ,लेकिन फिलवक्त ये अपनी कंपनी दक्षिण भारत से चला रहे हैं. गृहप्रदेश बिहार होने के कारण इन्हें बिहार से खासा प्रेम है यही
कारण है कि ये बिहार में भी  अपना कार्यक्रम शुरु कर रहे हैं। खबर यह भी है कि नाइटशेड मीडिया प्रोडक्शन कंपनी अपना चैनल लाने की तैयारी भी कर रही है. इसके लिए कंपनी किसी चैनल समूह से बातचीत भी कर रही है.अगर बात बन जाती है तो न्यूज के साथ साथ इंटटेनमेंट चैनल भी यह कंपनी लेकर आएगी. कंपनी के प्रबंध निदेशक कहते हैं कि चैनल में बिहार के प्रोड्यूसरों को भी भरपूर जगह दी जाएगी और प्राइवेट प्रोड्टूसरों को भी मौका दिया जाएगा।

 

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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