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11राज्यों में ग्राम्य स्वास्थ्य मित्रों का होगा का मनोनयनः प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान

स्वस्थ भारत विकसित भारतके सपने को पूर्ण करने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान देश के 11 राज्यों में ग्राम्य स्वस्थ्य मित्रों का मनोनयन करने जा रही हैं। मुम्बई में हुई प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान (पीजेएसएस) के नेशनल एक्जीक्यूटिव कमेटि की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस बावत पीजेएसएस के नेशनल को-आर्डिनेटर आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि दिन-ब-दिन राष्ट्र का स्वास्थ्य खराब होता जा रहा है इसलिए यह जरूरी है राष्ट्र में स्वास्थ्य चिंतन के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए। इसी उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए प्रत्येक गांव में स्वास्थ्य मित्रों के मनोनयन का फैसला किया गया। यह कार्य आगामी 6 महीने में पूर्ण होने जाने की आशा व्यक्त करते हुए आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि हम चाहते हैं कि राष्ट्र स्वस्थ हो ताकि देश को विकसित बनाया जा सके। जिन 11 राज्यों में संस्था ग्राम्य स्वास्थ्य मित्रों का मनोनयन करने जा रही हैं वे हैं- महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, उतरांचल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल। नेशनल एक्जीक्यूटिव कमेटि की मिटिंग में चेयरमैन मनोज सिंह राजपूत, नेशनल को-आर्डिनेटर आशुतोष कुमार सिंह, सरोज सुमन, दिवाकर शर्मा व निर्भय यादव उपस्थित थे।

गौरतलब है कि प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान स्वस्थ भारत विकसित भारतअभियान चला रही हैं। इस अभियान के तत्वाधान में संस्था ने कंट्रोल मेडिसिन मैक्सिमम रिटेल प्राइसकैंपेन चलाया है, जिससे आम लोगों में दवाइयों के बारे में जागरूकता फैली है और सरकार पर भी दबाव बना है।

नेशनल को-आर्डिनेटर

आशुतोष कुमार सिंह

संपर्क-09987904006/ 09987905006

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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