लोकतंत्र का लूट-खसोट
वी राज बाबुल, नई दिल्ली
देश में महंगाई आसमान पर है। सरकारी क्षेत्र और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कर्मचारियों को तो महंगाई भत्ते और वेतन बढ़ोत्तरी...
काले कागज़ पे काली स्याही असर क्यों छोड़े !(कविता)
हज़ारों अर्जियों पड़ी हैं उनके मेज़ पर कब से
तेरे अर्जी की दाखिली का वक़्त कल ही आएगा..!
खड़े रहो तब-तलक, बनो कतार का हिस्सा..
थक के...
निष्कर्ष (कहानी)
परिचय: पल्लवी वर्मा ग्रास रुट के कंटेट को उठाकर मनोवैज्ञानिक तरीके से कथाएं बुनती चली जाती हैं। फैंटेसी के साथ रियलिज्म का अदभुत रोमांटिक...
सौर शक्ति से चलने वाली लैपटाप मात्र 500 रुपये में
विश्व पटल पर भारत की एक और उपलब्धि
अश्निनी कुमार, नई दिल्ली
अब लैपटाप एरा गांवों की ओर भागने के लिए तैयार है। छोटे-छोटे कस्बे और...
इन्हें मर्यादा व गरिमा जैसे शब्दों से खुजली होने लगती है
अनिकेत प्रियदर्शी, पटना
एक के बाद एक सात गमलों का काम तमाम कर दिया ..ऐसी हुंकारे भर रही थी मानो साक्षात देवी काली प्रलय मचाने...