तुम खुद मिटती हो और खुद बनती हो
समुद्र के छोर पर खड़े होकर लहरों के उफानों को देखता हूं
हर लहर तुझे एक आकार देते हुये मचलती है, तू ढलती है कई...
मैंने देखा (कविता)
-नलिन,
भीड़ देखी,
और भीड़ मेँ तन्हा इन्सान देखा।
घर देखेँ,
और सुनसान मकान देखा।
बस्ती देखी,
और आबाद श्मशान देखा।
रिश्ते देखेँ,
रिश्तोँ का खालीपन देखा।
गैर देखेँ,
गैरोँ का अपनापन देखा।
दोस्त देखेँ,
उनका...
माँ तूं महान है
Rajinder Sharma” Raina”
माँ तूं महान है,
तुझ से रोशन जहान है.
तेरे चरणों में जन्नत,
खुदा तू ही भगवान है.
माँ तू महान है.
तू अंधकार मिटती है,
रोशन जहान...