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Wednesday, April 24, 2024

सोता रहता है “जागते रहो” का संपादक (स्क्रीप्ट शैली, भाग-1)

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यह एक अखबार की कहानी है जिसका  संपादक हैं चरित्र वर्मा। अखबार का नाम है जागते रहो। लेकिन चरित्र वर्मा अपनी कुर्सी पर हमेशा सोया...

जंग खाते अतीत की चमकदार पेंटिंग

दुर्गेश सिंह, मुंबई छुट्टी के दिन के इस कोरस को बॉलकनी में बैठकर चाय की चुस्कियों के बीच बिता देना आसान न होगा। क्योंकि कोरस...

Some pages of a torn diary (Part 1)

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(Dedicated to a painter who inspired me to flow with my pen continously ) 18 January It was a cold evening, and I was in...

काले कागज़ पे काली स्याही असर क्यों छोड़े !(कविता)

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हज़ारों अर्जियों पड़ी हैं उनके  मेज़ पर कब से तेरे अर्जी की दाखिली का वक़्त कल ही आएगा..! खड़े रहो तब-तलक, बनो कतार का हिस्सा.. थक के...

बाइट्स, प्लीज (उपन्यास, भाग-15 )

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30. दफ्तर के अंदर 23 तारीख की सुबह को जब लोगों को पता चला कि रत्नेश्वर सिंह आ रहे हैं, खुसफुसाहट शुरु हो गई। विमल...

क़स्बाई लड़कियाँ (नज्म)

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खुलती हैं रफ़्ता-रफ़्ता मोहब्बत की खिड़कियाँ, कितनी हसीन होती हैं क़स्बाई लड़कियाँ। काजल भरी निगाह में शर्मो-हया के साथ, धीरे से आये सुर्ख़ लबों पर हरेक बात। रंगीन...

विक्की और जैकी

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विक्की और जैकी (कहानी ) आज तो उसका रवैया देख मुझे कुछ समझ नहीं आया. वो दिखावा था, एक माँ का क्षणिक क्रोध था या...

बाइट, प्लीज (part 21)

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44. महेश सिंह और विज्ञापन मैनेजर मंगल सिंह को लेकर पटना दफ्तर में यह अफवाह फैली हुई थी कि दोनों को इस्तीफा देकर जाने को...