हार्ड हिट

कौमार्य का अमुल्य आवरण खुलेआम निलाम

नई दिल्ली, तेवरआनलाइन । भारत जैसे देश में अंडाणु बेचने के धन्धे से जुडी एक खबर आपको हैरानी में डाल सकता है । राजधानी दिल्ली के फर्टिलिटी केन्द्रों पर अंडाणु बेचने वालों की सूची में कुछेक लडकियों की उम्र महज़ 18 साल है । एक ओर जहाँ फर्टिलिटी केन्द्रों पर अंडाणु दान की माँग दिन व दिन बढ़ रही है वहीं दुसरी ओर बाजार में  अंडाणु की कीमत 25,000 से 75,000 हजार के बीच है । इससे दिगर यदि फेयर कोम्प्लेक्शन और अच्छा ब्रीड हो तो मुहँमाँगी कीमत मिल जाती है । कुछ लोग “ब्यूटी व ब्रेन” के कम्बिनेशन वाले अंडाणु की विशेष माँग करते हैं ।

इस बाबत बडी जुगत के बाद अंडाणु बेचने वाली एक नवयुवती से मुलाकात हुई तो नतीजा और भी चौंकाने वाला निकला । “मैं लुच्ची या कमीनी नहीं हूँ । अपनी जरुरत पुरी करने के लिए किसी का गला या जेब नहीं काटती ।” यह राजधानी दिल्ली में रहने वाली रश्मी (बदला हुआ नाम) का कहना है । रश्मी दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा है । बदले जमाने की बदलती जरुरतों को पूरा करने के लिए रश्मी को फर्टिलिटी केन्द्र पर अंडाणु बेचने में कुछ गलत नहीं लगता है ।पूछ्ने पर आगे रश्मी बताती है कि अंडाणु बेचने वाली नवयुवतियों में कुछ तो हाई स्कूल की छात्रा होती हैं और कुछ इसके समकक्ष, जिसने हाल ही में स्कूल की पढाई पूरी कर कालेज मे दखिला लिया होता है । इनमें से अधिकांश अच्छे परिवार से आती हैं ।

यह सच है कि अंडाणु बेचने वाली लड्कियों की तादाद मुट्ठी भर है लेकिन मुद्दा यह है कि समय किस दिशा को आतुर हुई दिखती है । परिवर्तन के नाम पर इस बाजारवादी युग के तथाकथित उपयोगितावादी पीढ़ी ने जिस विद्रुप्तता को परिस्थिति कहकर सहजता के साथ स्वीकारना शूरू कर दिया है वह चिन्ता का सबब है । पाश्चात्य की अन्धानुकरण के इस दौड़ में आज भारत और भारतीय दोनों ही नैतिक दुविधा के भंवर में फँसे दिखते हैं । लगता है जैसे इस बाजारवादी संस्कृति में कौमार्य के अमुल्य आवरण का ना कोई अर्थ बचा है और ना ही लज्जा जैसी निधि ।

इसका सबसे स्याह पहलु यह है कि अंडाणु बेचने बाली अधिकांश कम उम्र लड़कियाँ इससे जुडे खतरों और शरीर पर पड़ने वाले अतिरिक्त प्रभावों से बिल्कूल अंजान होती हैं । वैसे तो नियमतः अंडाणु केन्द्रों को इस बाबत जानकारी उपलब्ध करवाना होता है लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं होता । उल्टे फर्टिलिटी केन्द्र लड़कियों को अन्धेरे में रखता है और इसके बाबत गलत जानकारी देकर अपने धन्धे की रोटी सेंकता है । फिलहाल देश में इन फर्टिलिटी केन्द्रों को उचित तरिके से संचालित करने की कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं है । देखरेख से सम्बन्धित किसी कानून के आभाव में अंडाणु की ये दुकानें “इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च” के दिशा-निर्देशों का खुलेआम उलंघन कर रहा है।

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