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चंपारण दौरे के दूसरे दिन बेतिया और रामनगर पहुंचे प्रशांत किशोर

लौरिया पहुंच कर स्वतंत्रता सेनानी राज कुमार शुक्ला को किया नमन

बेतिया. पश्चिम चंपारण जिले में’जन सुराज’ अभियान के अंतर्गत चंपारण पहुंचे प्रशांत किशोर ने आज दूसरे दिन पश्चिमी चंपारण में लोगों से संवाद किया और जन सुराज की सोच पर चर्चा की। प्रशांत किशोर सबसे पहले स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय राज कुमार शुक्ला के गांव सतवारिया पहुंचे। वहां उन्होंने राज कुमार शुक्ला को श्रद्धा सुमन अर्पित किया और ग्रामीणों के साथ स्थानीय मुद्दों और जन सुराज पर चर्चा की। इसके बाद वे रामनगर में भी सामाजिक कार्यकर्ताओं, पंचायती राज व्यवस्था के जनप्रतिनिधियों, महिलाओं, समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों के साथ जन सुराज पर बातचीत की और उनके सभी सवालों के जवाब भी दिए।

जन सुराज’ लोगों को ढूंढने का अभियान नहीं, साथ चलने वाले लोगों का अभियान है
पश्चिमी चंपारण में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा की ‘जन सुराज’ के माध्यम से 70 हजार से ज्यादा लोगों के हमारे संपर्क में हैं । हमारी कोशिश है कि पदयात्रा से पहले सभी लोगों से मिल लिया जाए। उन्होंने आगे कहा कि जन सुराज कार्यकर्ता बनाने और मेरे पीछे चलने वाले लोगों को ढूंढने का अभियान नहीं है बल्कि यह साथ चलने वाले लोगों को ढूंढने का अभियान है। इस अभियान के माध्यम से हमारा यह प्रयास है कि बिहार के विकास के लिए सही लोग, सही सोच और सामूहिक प्रयास के मंत्र की सोच के साथ लोग आगे आएं।

बिहार के विकास के लिए जितना भी समय लगेगा हम लगायेंगे।
जन सुराज अभियान पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया की बिहार के सर्वांगीण विकास के लिए अपने जीवन के जितने भी साल इसमें लगेंगे वह बिना संकोच लिए उतना समय लगाएंगे। जिन्हें हमारी मंशा पर शक है उनकी स्पष्टता के लिए बता दें कि जब तक बिहार में इस काम को पूरा नहीं कर लेते हम कहीं जाने वाले नहीं हैं, हम थकने वाले नहीं हैं। हमारा लक्ष्य बिहार का संपूर्ण विकास है और इस लक्ष्य को पाने के लिए हम हर संघर्ष करने की लिए तैयार हैं।

बिहार के सभी सही लोगों की सहमति से ही बनाया जाएगा ‘जन सुराज’ दल
प्रशांत किशोर ने जन सुराज के विचार को व्यक्त करते हुए बताया कि जन सुराज के माध्यम से वह लोगों के साथ संवाद स्थापित करना चाहते हैं। प्रशांत किशोर ने कहा, “उद्देश्य है बिहार में एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाना। सत्ता परिवर्तन हमारा मकसद नहीं है। अगर पदयात्रा के बाद सब लोगों की सहमति से कोई दल बनता भी है तो वो बिहार के सभी सही लोगों का दल होगा, प्रशांत किशोर का दल नहीं होगा। सब मिलकर अगर तय करेंगे तो दल बनाया जाएगा। मैं अभी लोगों से बात करने, उनकी समस्याओं को समझने में अपना पूरा वक्त लगा रहा हूं।”

2 अक्तूबर से पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से शुरू करेंगे पदयात्रा
प्रशांत किशोर ने कहा की वह 2 अक्तूबर से पाश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से पदयात्रा शुरू करेंगे। इस पदयात्रा के माध्यम से वो बिहार के हर गली-गांव, शहर-कस्बों के लोगों से मुलाकात करेंगे और उनकी समस्याओं को सुनेंगे। उनसे समझेंगे कि कैसे बिहार को बेहतर बनाया जा सकता है। पदयात्रा में जब तक पूरा बिहार पैदल न चल लें तब तक वापस पटना नहीं जाएंगे, समाज में रहेंगे, समाज को समझने का प्रयास करेंगे। इसका एक ही मकसद है कि समाज को मथ कर सही लोगों को एक साथ एक मंच पर लाना।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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