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नाटक बेशऊर की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीता

अमरनाथ, मुम्बई
पिछले दिनों मुंबई महानगर में रंग प्रेमियों के लिए नाटक बेशऊर खासा आकर्षण के केंद्र में रहा l जिसकी शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीत लिया l बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता बचन पचहरा द्वारा लिखित और जाने माने फिल्म संपादक राहुल तिवारी द्वारा निर्देशित तथा सरकार फिल्म से चर्चा में आए संगीत निर्देशक टूटूल भट्टाचार्य के संगीत निर्देशन की वजह से इस नाटक का रंग प्रेमी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे l शायद यही वजह थी कि 21 जुलाई को आराम नगर स्थित वेदा चौबारा में आयोजित 5 बजे और 7 बजे का दोनों शो हाउसफुल रहा l भारी बारिश के बावजूद दर्शकों की उपस्थिति ये बता रही थी कि इस नाटक का रंग प्रेमी कितनी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और नाटक की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों को निराश नहीं किया l

अवधी फ्लेवर में हास्य व्यंग से पूरी तरह लबरेज नाटक अपने सशक्त कथावस्तु की वजह से दर्शकों से जहां सीधा संवाद करती है वहीं अपने अंत में दर्शकों को एक बहुत बड़ा मैसेज देकर जाती है कि प्रेम का रिश्ता आस्था और विश्वास पर टीका होता है l जिसकी आज बहुत कमी समाज में देखी जा रही है l नाटक का मुख्य पात्र कालिदास सरल और सीधा इंसान है जो छल प्रपंच नहीं जानता है | अपने इस आदत की वजह से अपनी पत्नी चंद्रमुखी से दुत्कारा जाता है और शउर की तलाश में निकल पड़ता है l जिसे अंजली का सहारा मिलता है l जो उसे शउर सीखती है l लेकिन इस घटना क्रम में जहां हास्य का माहौल पैदा होता रहता है वहीं समाज के विकृत मानसिकता की परतों को एक एक कर खोलने में भी कामयाब रहता है l और अंत में एक दर्शकों को अपने संदेश से भावविभोर कर जाती है l

गली गली थिएटर के बैनर तले प्रस्तुत इस नाटक के सभी कलाकार बचन पचहरा, राहुल तिवारी , हिमांशी लखमानी, प्रियंका उपाध्याय, दोयल सेनगुप्ता, पंकज कश्यप, निखिल टंडन, राज संकलेश , दर्शन सर्वप्रियदर्शी , गुंजन यादव , विनोद मिश्रा, काजल जायसवाल , अर्जुन तिवारी, चंद्रभान सिंह , सविता तिवारी, शगुन तिवारी तथा अन्य सभी कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय से प्रस्तुति को कालजई और यादगार बना दिया l कालिदास के मुख्य भूमिका को जहां राहुल तिवारी ने जीवंत बना दिया वहीं नंदकिशोर की भूमिका में बचन पचेहरा आकर्षण के केंद्र में रहे l इसके साथ साथ टूटूल भट्टाचार्य के संगीत और कुमार वार्षिकेय की गायकी ने प्रस्तुति को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी l विमलेश बी लाल का कला निर्देशन भी कबीले तारीफ रहा l

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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