लिटरेचर लव

बाइट, प्लीज (part -19)

40.

दो दिन बाद रत्नेश्वर सिंह पटना पहुंचे। माहुल वीर और अविनव पांडे पहले से ही यहां जमे हुये थे। रत्नेश्वर सिंह ने अनौपचारिक तौर पर माहुल वीर से चैनल हेड का पद संभालने के लिए फोन पर ही कह दिया था, बस अब इसकी घोषणा बाकी थी। सुबह से ही दफ्तर में गहमागहमी थी। हर किसी को यही लग रहा था कि माहुल वीर के नेतृत्व में  चैनल की दशा में सुधार होगा, खबरों को लेकर लोग सजग होंगे। चैनल हेड बनने की खुशी माहुल वीर के चेहरे पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।

रत्नेश्रर सिंह ने सभी अहम पदाधिकारों को अपने केबिन में बुला रखा था। रंजन, सुयश मिश्रा, महेश सिंह, और माहुल वीर रत्नेश्वर सिंह के सामने कुर्सी पर बैठे हुये थे, जबकि विमल मिश्रा लगातार अंदर बाहर कर रहा था।

“मार्केटिंग में हमलोगों को एक अच्छा आदमी रखना ही होगा। मैंने मंगल सिंह से बात कर ली है, एक बार आप भी उससे बात कर लें। मार्केटिंग के लिए वह बिल्कुल सटीक आदमी है। वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रहा है,” माहुल वीर ने रत्नेश्वर सिंह की तरफ देखते हुये कहा।

“मार्केटिंग में आप जिसे रखना चाहते हैं रख लिजीये। अब तक काफी पूंजी मैं इस चैनल में लगा चुका हूं, लेकिन आमदनी कुछ भी नहीं है। यदि गैप बढ़ता गया तो परेशानी हो जाएगी,” रत्नेश्वर सिंह ने अपनी चिंता जताई,“ हरएक चीज पर ध्यान देने की जरूरत है।”

“झारखंड सरकार से ठीक ठाक विज्ञापन मिल जाएगा, मैंने बात कर ली है,” माहुल वीर ने कहा, “यहां भी रिपोटरों को विज्ञापन लाने के लिए कह दिया गया है। अब महेश इस काम को खुद देखेंगे और मंगल की भी विज्ञापन एजेंसियों में अच्छी पकड़ है, उसे भी काम में लगा आज से ही लगा देता हूं। ”

“आपको भी कुछ कहना है?, ” रंजन की तरफ देखते हुये रत्नेश्वर सिंह ने पूछा।

“नहीं सर, सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है,” रंजन ने जल्दी से कहा।

“आपको तो हमेशा यही लगता है, लोग यहां बैठकर क्या करते हैं इस बात की जानकारी भी आपको नहीं रहती है,” रत्नेश्वर सिंह ने कहा।

करीब आधे घंटे बाद माहुल वीर के चैनल हेड बनने की विधिवत घोषणा कर दी गई।

41.

चैनल हेड के तौर पर ताजपोशी की खबर ओपेन फार मीडिया डाट कौम पर प्रमुखता से छपी। इस खबर में माहुल वीर के नेतृत्वकारी गुणों व्यापक चर्चा की गई थी। एडिटर अमलेश ने कंट्री लाइव के दफ्तर में ओपेन फार मीडिया डाट कौम की इस खबर को प्रचारित प्रसारित करने में अहम भूमिका निभाई। हर किसी को वह काफी खुश होकर बताता रहा कि माहुल वीर के चैनल हेड बनने की खबर ओपेन फार मीडिया डाट कौम पर छपी है। अमलेश ओपेन फार मीडिया डाट कौम पर छपने वाली खबरों को लेकर काफी उत्साहित रहता था। इस वेब साइट पर ज्यादातर खबरें पटना के मीडिया हाउसों में चलने वाले प्रेम प्रसंगों पर आधारित होती थी,अमलेश चटकारे लेकर इन खबरों की चर्चा करता था, खासकर संस्थान में काम करने वाली लड़कियों के साथ।

“ तुम्हें पता है शौर्या टीवी में काम करने वाली एक लड़की के बारे में आज ओपेन फार मीडिया डाट कौम पर क्या छपा है? ”, अमलेश ने अपने बगल में बैठी पूजा की तरफ देखते हुये कहा, “ कान्डम की खपत आफिस में बहुत हो गई है। ”

“आपके दिमाग में हमेशा यही सब चलते रहता है। आप जल्दी से मेरा प्रोग्राम एडिट करके मुझे दिखा दिजीये, आज इसे जाना है,” पूजा ने उसकी बात को काटते हुये कहा।

“अरे काम तो होता रहेगा, इन सब की जानकारी भी जरूरी है। बिना समझौता किये लड़कियां पत्रकारिता में आगे नहीं बढ़ सकती, ” अमलेश ने कहा।

“आप तो इस तरह से बोल रहे हैं जैसे आप पत्रकारिता के पिता है और जितनी लड़कियां पत्रकारिता में काम कर रही हैं सब की सब कहीं न कहीं समझौता किये हुये है,” पूजा ने थोड़ी तल्खी से कहा।

“और नहीं तो क्या। मैं तुम्हें पत्रकारिता का गुर सीखा रहा हूं। आज पटना के मीडिया हाउसों में जितनी भी लड़कियां काम कर रही हैं उनमें कईयों को तो मैंने सीखाया है। आगे बढ़ना है तो समझौता तो करना ही पड़ेगा,” अमलेश ने कहा।

“अपनी बकवास अपने पास रखिये और मुझे मेरा प्रोग्राम दिखाइये। मैं अपने प्रोग्राम को देखती हूं और खुद एनालाइज करती हूं कि शूट के दौरान मुझसे कहां क्या गलती हुई। आपकी सोच कितनी गंदी है, पत्रकारिता करने वाली हर लड़की के बारे में आप कितना गंदा ख्याल रखते हैं,” पूजा ने उसे फटकारा।

“एक एंकर को तो एडिटर से मुंह लड़ाना ही नहीं चाहिये। एडिटर के हाथ में ही होता है किसी भी प्रोग्राम को अच्छा या बुरा बनाना। अभी तक तुम्हें इतनी भी तमीज नहीं आई है कि एडिटर के महत्व को समझो। मैं तुम्हें कैरियर में आगे जाने की बात बता रहा हूं और तुम उल्टे मुझे ही उपदेश दे रही हो  ”अमलेश ने झुंझलाते हुये कहा।

अमलेश के बगल में नीलेश उनकी बातों को सुन रहा था, लेकिन पूजा के रुख को देखते हुये बीच में टपकने की जरूरत उसने महसूस नहीं की।

“ मुझे आपके बकवास से कोई लेना देना नहीं है। मैं आपके बगल में सिर्फ इसलिये बैठी हूं ताकि मैं अपना प्रोग्राम देख सकूं,” पूजा ने रुखेपन से कहा।

“मैं नहीं दिखाऊंगा, जाओ जिसे कहना है कहो। मेरा काम है एडिट करना और प्रोग्राम को प्रोड्यूसर को दिखाना। अब तुम मुजे डिस्टर्ब मत करो। अभी जुम्मा जुम्मा दो दिन हुआ है मीडिया में आये हुये और लगी उड़ने, ” अमलेश ने कहा।

“आप अपने जुबान को लगाम दीजिये, नहीं तो ठीक नहीं होगा।”

अमलेश बिना उससे कुछ बोले वहां से उठकर बाहर निकल गया और पूजा बड़बड़ाती रही।

कुछ देर बाद अमलेश लौटा तो पूजा वहां से जा चुकी थी। नीलेश की तरफ देखते हुये अमलेश ने कहा, “सती सावित्री बन रही थी। सौ- सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को वाली बात है। इसकी पूरी कुंडली मेरे पास है। मुझे पता है इसने कहां क्या क्या गुल खिलाये हैं। ”

“किसी का व्यक्तिगत लाइफ कैसा है इससे आपको क्या मतलब है। आप अपना काम किजीये,” नीलेश ने कहा।

“मैं एडिटिंग करता हूं तो मेरे बगल में आकर क्यों बैठ जाती है? प्रोग्राम ठीक से कटा है या नहीं यह देखना प्रोड्यूसर का काम है। अपना काम खत्म करने के बाद मैं प्रोड्यसर को दिखा दूंगा। वह मेरे बगल में बैठती है तो मैं डिस्टर्ब होता हूं, ” अमलेश ने कहा।

“आप कितना डिस्टर्ब होते हैं मुझे पता है, और यहां कौन क्या कर रहा है यह भी मुझे पता है, इसलिये मुझे समझाने की कोशिश मत कीजिये, अभी जो आप कर रहे थे न इसे ही संस्थान के अंदर सेक्सुअल हरासमेंट कहा जाता है। वैसे इस चीज को अभी आप नहीं समझेंगे,” नीलेश ने कहा।

“आप तो हर चीज को अलग तरीके से ही खींचने लगते हैं, आप से तो बात ही करना बेकार है। अच्छा आप ही बताइये बिना समझौता किये कोई लड़की पत्रकारिता में आगे जा सकती है? स्क्रीन पर इसलिये मस्त–मस्त लड़की को लाया जाता है, जो हर मामले में बिंदास हो, पटना के मीडिया हाउस में काम करने वाली ऐसी कोई लड़की नहीं है जो मुझे नहीं जानती है। मैं भी ऊंची चीज हूं। कितने एंकर तो मैंने पैदा किये हैं। शुरुआती दौर में जिस चैनल में मैं था, वहां का सारा काम मैं ही देखता था, पत्रकारिता की पढ़ाई करके या फिर चार लाइन लिखने से कोई पत्रकार नहीं हो जाता है, अच्छे –अच्छे डिग्रीधारियों को मैंने ट्रेनिंग दिया है,” अमलेश ने कहा।

“अपना गुणगान आप बंद किजीये, इससे मैं इंप्रेस होने वाला नहीं हूं।”

“लेकिन मुझसे जो पंगा लेगा उसकी मैं पुंगी बजा दूंगा,” अमलेश ने मुस्कराते हुये कहा।

अगले दिन ओपेन फार मीडिया डाट कौम पर पूजा के संबंध में एक खबर छपी, जिसमें विस्तार से यह लिखा गया था कि कैसे वह अपने साथ काम करने वाले लोगों पर धौंस जमाती है, और इसके पहले कैसे वह पिछले संस्थान में एक प्रोड्यूसर का इस्तेमाल करके आगे बढ़ने की कोशिश की थी, और अपने मकसद में असफल होने पर कैसे उसने उस प्रोड्यूसर से दरकिनारा कर लिया था। कुल मिलाकर उस खबर का लब्बोलुआब यही था कि पूजा अपने कैरियर में सफलता पाने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। ओपेन फार मीडिया डाट कौम पर छपी इस खबर को कंट्री लाइव में लोग काफी चटकारे लेकर पढ़ते रहे और पूजा एक कोने में बैठकर काफी देर तक सिसकती रही।

माहुल वीर द्वारा कंट्री लाइव का कमान संभालने के बाद कंट्री लाइव की खबरें ओपेन फार मीडिया डाट कौम पर लगातार छपने लगी। पटना में स्थित राष्ट्रीय चैनल भारत टीवी का ब्यूरो प्रमुख सुशांत झा की माहुल वीर से पुरानी आजमाई हुई दोस्ती थी, सुशांत झा के कहने पर माहुल वीर ने कई लोगों को कंट्री लाइव में रख लिया था। सुमन और अमलेश को भी सुशांत झा ने ही कंट्री लाइव में सेट कर दिया था। राष्ट्रीय चैनल का ब्यूरो प्रमुख होते हुये सुशांत झा अपने तरीके से पटना के प्रत्येक चैनल में अपने लोगों को नियुक्त कराने की नीति पर लंबे से चल रहा था। यहां तक कि शुरुआती दौर में शौर्य टीवी में भी उसने मजबूत पकड़ बना ली थी। अजीत झा को शौर्य टीवी का प्रमुख बनाया गया था और इसका भरपूर लाभ सुशांत झा को मिला। पटना में सुशांत झा की पहचान एक तेज तर्रात पत्रकार के रूप में थी, यही वजह है कि उसके सर्किल में हर तरह के लोग थे। दारुबाजी की हुनर में भी वह माहिर था, पत्रकारिता की राह पर चलने वाले नये दारुबाजों की एक अच्छी खासी फौज उसके पास हमेशा रहती थी, उस फौज में शामिल लोग उसके एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहते थे।

पटना में मीडिया के लोगों के बीच अपने प्रभाव को बनाये रखने और उसे विस्तार देने के लिए अंदर खाते वह ओपेन फार मीडिया डाट कौम भी संचालन कर रह था। शाम होते ही उसके पास दारूबाज पत्रकारों की जमघट लग जाती थी और बातों ही बातों में पटना के मीडिया हाउसों की कई खबरें निकल आती थी। खबरों की दुनिया में सेक्स बिकाऊ आईटम है, सुशांत झा ने इस बात को गांठ बांध ली थी, इसलिये ओपेन फार मीडिया डाट कौम अमूमन हर खबर में सेक्स को टच किया जाता था, गौसिप स्टाइल में। पत्रकार और पत्रकारिता की गरिमा से उसका दूर दूर तक वास्ता नहीं होता था।

42.

बदलते परिदृश्य में अपनी नई भूमिका की तलाश करते हुये सुयश मिश्रा काफी सक्रिय हो गया। प्रोग्रामिंग में उसने खास रुचि लेनी शुरु कर दी और रिपोटरों से भी तालमेल बैठाने लगा। वैसे रिपोटर अभी भी पूरी तरह से महेश सिंह के प्रभाव में ही थे। यह सोच कर कि सुयश मिश्रा के सक्रिय होने से देर सवेर इसका प्रभाव महेश सिंह पर पड़ेगा ही रंजन ने भी उसे अपना समर्थन देना शुरु कर दिया, साथ ही नीलेश और सुकेश को भी समझाने लगा कि सुयश मिश्रा को सहयोग करने में कोई बुराई नहीं है, कम से कम वह काम तो करना चाह ही रहा है।

प्रोग्रामिंग से जुड़े सभी लोगों को कुछ न कुछ काम दे दिया गया था, लेकिन तृष्णा की अभी भी अनदेखी की जा रही थी। सुयश मिश्रा तृष्णा को अपने कमांड में लेने के इरादे उसे एक –दो जगह रिपोटिंग पर भेजने की कोशिश की लेकिन उसने रिपोटिंग पर जाने से साफ इंकार दिया। स्टेज परफारमेंस देने वाली तृष्णा के लिए रिपोटिंग बूते के बाहर की बात थी। एंकरिंग में कुछ हद तक अपने खूबसूरत लुक की वजह से साफ्ट प्रोग्राम में वह चल जाती थी। अंग्रेजी नावेल हाथ में लेकर घूमने के बावजूद उसकी सामान्य जानकारी औसत से भी कम था। गीत-संगीत में खास रुचि रखने वाले भुजंग ने जब एक बार उससे भीखारी ठाकुर की जयंती पर एक गेस्ट से बात करने के लिए कहा था तो वह भीखारी ठाकुर का नाम सुनते ही जोर-जोर से हंसते लगी थी और फिर अपने को संभालते हुये कहा था, “भीख मांगने वाले व्यक्ति की जयंती मनाने का क्या तुक है? ”

रिपोटिंग का नाम सुनते ही उसके पसीने छूटने लगते थे, वह अपने आप को सिर्फ साफ्ट प्रोग्रामों की एंकरिंग में ही सहज पाती थी। उसका कहना था कि वह यहां एंकर के रूप में ज्वाइन की है इसलिये उससे एंकरिंग ही कराया जाये, जबकि सुयश मिश्रा का कहना था कि एक एंकर को रिपोटिंग पर भी भेजा जा सकता है और एंकर से कहां और कैसे काम लिया जाये यह तय करने का अधिकार उसका है। इस बात को लेकर दोनों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई थी, जिसे रंजन और हवा दे रहा था। चूंकि तृष्णा सीधे रत्नेश्वर सिंह के संपर्क में थी। किसी तरह की समस्या आने पर वह सीधे रत्नेश्वर सिंह को फोन कर देती थी। जब सुयश मिश्रा ने उसे रिपोटिंग में भेजने के लिए बार-बार दबाव बनाया तो उसने इसकी शिकायत रत्नेश्वर सिंह से कर दी। इसे लेकर सुयश मिश्रा भी तृष्णा से काफी नाराज हो गया और उसने खुलेआम यह घोषणा कर दी वह तृष्णा से कोई काम नहीं लेगा। सुयश मिश्रा की परवाह न करते हुये तृष्णा अपने मन मुताबिक चलती रही।

दूसरी तरफ भूपेश सुयश मिश्रा पर मानषी से एंकरिंग कराने के लिए दबाव बनाना शुरु कर दिया। उसे पता था कि रंजन और सुकेश उसकी बात नहीं मानेंगे इसलिये वह सुयश मिश्रा के पीछे पड़ गया। इस मामले में जब सुयश मिश्रा ने सुकेश से बात की तो उसने सपष्ट कर दिया कि चाहे कुछ भी हो जाये मानषी से एंकरिंग नहीं कराया जा सकता है। मानषी को एंकरिंग की कुर्सी पर बैठाने के लिए भूपेश ने हर तरह के तिकड़म करने शुरु कर दिये। तृष्णा के साइड लाइन किये जाने के बाद महिला एंकर के तौर पर सिर्फ पूजा ही स्क्रीन पर आ रही थी। पूजा के न रहने की स्थिति में यहा मौका सीधे मानसी को मिलता, यह बात भूपेश के दिमाग में बैठ गई थी। वैसे भी पूजा के साथ शुरु से ही उसका छत्तीस का रिश्ता बना हुआ था। बातचीत के क्रम में उसने एक दो बार पूजा को स्पर्श करने की कोशिश की थी, जिसे लेकर पूजा ने आक्रमक तरीके से रियेक्ट किया था। इसके बाद भूपेश उसके खिलाफ एक तरह से मोर्चा ही खोल दिया था। यहां तक कि वह पूजा से अप्रत्यक्ष रूप से गाली गलौच भी करने लगा था। दफ्तर में आने के बाद पूजा की यही कोशिश रहती थी कि वह भूपेश के सामने न पड़े।

जब सुयश मिश्रा ने भी मानषी को एंकर बनाने के मामले में भूपेश की कोई भी मदद करने से इंकार कर दिया तो भूपेश की बौखलाटह और बढ़ गई। इसी बीच ओपेन फार मीडिया डाट कौम पर सुयश मिश्रा और पूजा के अंतरंग संबंधों को विस्तार से उकरेती हुई एक और खबर छपी। इस खबर में सीधे तौर पर यह लिखा गया कि सुयश मिश्रा पूजा पर कुछ खास मेहरबान  है, और पूजा भी अपने कैरियर को बनाने के लिए सुयश मिश्रा का जमकर इस्तेमाल कर रही है। इस खबर को पढ़ने के बाद पूजा पूरी तरह से असहज हो गई।

नीलेश अपनी कंप्यूटर पर बैठा हुआ था, पूजा उसके बगल में आकर थोड़ी देर तक सुबकती रही। नीलेश तिरछी नजर से उसे देखा लेकिन टोकने की जरूरत नहीं समझी। नीलेश के साथ वह थोड़ी खुल गई थी। लगातार काम करने के दौरान उसे इस बात का अहसास हो गया था कि नीलेश को पत्रकारिता की अच्छी समझ है और अनावश्यक बातों में वह नहीं पड़ता है। जो भी बोलना होता है बेबाक बोलता है। नीलेश धैर्य के साथ पूजा के बोलने का इंतजार करता रहा।

“सर मेरे बारे में ऐसा क्यों लिखा जा रहा है जबकि मैं इन सब चीजों से पूरी तरह से दूर हूं। सुयश सर के बारे में तो मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती ,” पूजा ने नीलेश ने पूछा, लगातार रोने की वजह से उसकी आंखें लाल हो गई थी।

“सीधी सी बात है तुम लोकप्रिय हो रही हो, तुम पर खबरें छप रही हैं, तुम्हें तो मिठाई खिलानी चाहिए,” नीलेश ने हंसते हुये कहा, तो वह थोड़ी सहज हुई।

“ ये सब पढ़कर बुरा लगता है।”

“अपना काम करती रहो, लिखने वालों को लिखने दो। जो लोग ऐसा लिखवा रहे हैं उनका सीधा सा मकसद है तुम्हें परेशान करना, यदि तुम परेशान होती हो तो वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे। ”

“ये लोग मुझे नहीं जानते हैं सर, मैं सबकी बैंड बजा दूंगी। यहां मुझे मात्र तीन हजार रुपये मिलते हैं, मेरी दीदी कितनी बार मुझसे कह चुकी है कि मैं दिल्ली उसके पास चली आऊं। वह वहां एक कंपनी में एक्सक्यूटिव के पद पर है, मुझे अच्छी नौकरी लगवा देगी, लेकिन मैंने सोच रखा है कि मुझे पत्रकारिता करनी है। पत्रकार लोग तो जिम्मेदार होते हैं न सर, खुद के प्रति भी, अपने अगल-बगल के लोगों के प्रति और समाज के प्रति भी !” पूजा ने कहा, “ मेरे दादा जी किसान हैं, मेरे पिता जी भी यही काम करते हैं। लेकिन मेरी शुरु से ही इच्छा थी कि मैं एक पत्रकार बनूं। इसके लिए मैंने खूब मेहनत की है और आज भी करती हूं। इस तरह से किसी के चरित्र पर उंगली उठाना पत्रकारिता नहीं हो सकता, यह तो मैं भी समझती हूं।”

“ज्यादा सेंटिमेंटल होने की जरूरत नहीं है, लोग उंगली उठाये या फिर पैर, तुम ठीक हो, तो बस ठीक हो.”

“ आपको नहीं लगता, कुछ लोग बेहद कमीनी हरकत करते हैं। लड़कियों के मामले सबसे कारगर यही होता है कि उनकी इज्जत उछाल दो। लेकिन मैं इनको जवाब दूंगी, जरूर दूंगी।”

“ तो तुम रिवेंज लोगी?, भाई तुम तो खतरनाक लड़की हो, तुमसे संभलकर रहना चाहिये ” नीलेश ने कुछ अंदाज में कहा कि पूजा के होठों पर मुस्कराटह दौड़ गये।

दूसरी तरफ इस खबर को पढ़ने के बाद सुयश मिश्रा भी दिन भर परेशान रहा। इस मामले पर रंजन से उसकी कई बार बात हो चुकी थी और रंजन बार-बार यही समझाने की कोशिश कर रहा था कि इस झूठी खबर को लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इस दफ्तर में कौन कैसा है एक दूसरे को पता है, लोग अच्छी तरह से जान रहे हैं कि किसी ने झूठी खबर छपवाई है। शाम तक जब सुयश मिश्रा को यह पता चला कि सुशांत मिश्रा की सुकेश से अच्छी दोस्ती है तो उसने नीलेश और रंजन की मौजूदगी में सुकेश से कहा, “जिसके भी कहने पर यह खबर लिखी गई है उसका मकसद ठीक नहीं है। ओपेन फार मीडिया डाट कौम कि यह खबर रत्नेश्वर सिंह तक भी पहुंचा दी जाएगी। आप एक बार सुशांत से इस खबर को हटाने के लिए एक बार बात कीजिये, नहीं तो मुझे ले चलिये उनके पास, मैं बात कर लूंगा।”

सुकेश ने कहा, “मैं बात कर लूंगा, उस आदमी को समझाना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन मेरी बात जरूर मानेगा।”

“अरे सच्ची खबरों को इग्नोर करने से उसका असर खत्म हो जाता है, फिर यह तो सरासर झूठी खबर है। यदि आप लोग सुशांत के पास जाएंगे तो उसे लगेगा कि उसकी खबरों का असर हो रहा है। यदि आपके कहने पर वह यह खबर हटा भी देता है तो आने वाले दिनों में इस तरह की टुच्ची खबरों की बरसात कर देगा। उसके पास जाओ ही मत, और उस साइट की चर्चा यहां भी मत करो, ” नीलेश ने कहा।

“मैं नीलेश की बात से सहमत हूं। इग्नोर किजीये उसको, ” रंजन ने अपनी सहमति जताई।

“मैं सुबह से उस लड़की से आंख भी नहीं मिला पा रहा हूं, ” सुयश मिश्रा ने कहा। “मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि यह खबर उस साइट से हट जाये। प्लीज सुकेश जी आप एक बार बात कीजिये, ” सुयश मिश्रा ने जोर देते हुये कहा।

सुयश मिश्रा के कहने पर सुकेश ने रात में सुशांत मिश्रा से  मुलाकात की और लंबी जिरह के बाद इस अहसास के साथ कि ओपेन फार मीडिया डाट कौम को नोटिस लिया जा रहा है सुशांत ने उस खबर को हटा दिया।

to be continue——

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