भाजपा को जेपी का नाम लेने का कोई हक नहीं: विजय कुमार चौधरी
तेवरऑनलाईन, पटना
जिस जेपी ने आजीवन साम्प्रदायिकता का विरोध किया और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के खिलाफ लड़ते रहे आज सांप्रदायिक ताकतें उन्ही की दुहाई देकर नीतीश कुमार पर दोषारोपण कर रही है। यह अपने आप में थोड़ा अटपटा सा लगता है। भाजपा नेताओं को कोई अधिकार नहीं है कि वो जेपी के आदर्शों और सिद्धांतों की बात करें। जहाँ तक बिहार में बने महागठबंधन की बात है यह सभी जानते हैकि जदयू ने कभी अपनी नीतियों और जनता से किये वादों से समझौता नहीं किया है। जदयू ने न्याय के साथ विकास का वादा बिहार की जनता से किया था और आज भी उसपर कायम है। यह बात भाजपा से बेहतर कोई नहीं जानता है। जदयू के सामने जब परीक्षा की घड़ी आयी और सिद्धांत या राज्य में सरकार में से किसी एक को चुनना था तब पार्टी ने सत्ता को दांव पर लगाकर सिद्धांत को चुना। जदयू-भाजपा गठबंधन टूटना इस बात को साबित करता है कि जदयू और नीतीश कुमार सत्ता के लिए सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करते है। पिछले चौदह सालों से भाजपा गठबंधन में रहने के बावजूद जदयू भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडा के साथ नहीं गयी। हमारा किसी के भी साथ गठबंधन रहा हो पर हम सिद्धांतों में किसी से समझौता नहीं करेंगे। जेपी का नाम लेते वक़्त भाजपा को ये सोचना चाहिए कि राज्य और देश की जनता यह जानती है कि कौन जेपी के उसूलों पर चलता है। भाजपा ने हमेशा ही जेपी का नाम प्रयोग किया है पर कभी उनके आदर्शों को जिया नहीं है।