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भ्रष्टाचार पर रतन टाटा की दोगली नीति

देव मक्कड़,  न्यू जर्सी

 रतन टाटा को यह समझना चाहिए कि नीरा राडिया के टेप की बातचीत का अधिकत्तर हिस्सा रुपये के लेनदन, दलाली और  चयनित नेताओं और नियुक्त अधिकारियों को प्रभावित करने, जिन्हें आफेंस करने के लिए साजिश का टर्म दिया जा सकता है, की   जांच होनी चाहिए और सार्वजनिक किया जाना चाहिए।     

 एक ओर रतन टाटा ऊंचे नैतिक मूल्यों की बात करते हैं और दूसरी ओर राडिया के मामले में पारदर्शिता से इन्कार करके भारतीय गणतंत्र  के अधिकार को नकारते हैं, क्योंकि राडिया टाटा ग्रुप आफ कंपनीज की पीआर (पब्लिक रिलेशन) थीं। क्या टाटा एक साधारण प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जब उनके पास  वेतनभोगी बेहतर एमबीए,इंजीनियर और मीडिया प्रोफेशनल्स है तब उन्होंने राडिया को अपनी कंपनियों का पीआर करने के लिए क्यों हायर किया। संभवत घूस वाले धन को हैंडल करने के लिए और टाटा ग्रुप आफ कंपनीज की ओर से सरकारी विभागों से डील फाइनल करने के लिए।    

 जैसा कि भारत को संगठित गैंटेस्टरों द्वारा चलाया जा रहा है, जिनमें राजनीतिज्ञ, ब्यूरोक्रैट्स, ज्यूडिसीयरी, धार्मिक नेता और मीडिया शामिल है, इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि जनहित में इसका खुलासा हो कि कैसे एक महिला, जिसके पास व्यवहारिक रूप से कोई भी   प्रोफेशनल डिग्री नहीं है, लेकिन अरबो की डिलींग केंद्रीय और राज्यीय मंत्रियों, टाप ब्यूरोक्रट्स  प्रोमिनेंट जर्नलिस्टों के साथ करती हैं, जो भारत के टाप इंडस्ट्रियल घरानों की ओर से काम कर रही थीं।    

 श्रीमान टाटा डेमोक्रेसी में पारदर्शिता और एकाउंटैबिलिटी की जरूरत होती है। यदि आपके पास छुपाने को कुछ नहीं है, तो कृपया नीरा राडिया और उसकी कंपनी के साथ अपनी कंपनी के किये समझौतों का  दस्तावेज सामने रखें।  

 देव मक्कड़

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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