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मानसिक संतुलन खो बैठे हैं सम्राट चौधरी : नचिकेता

लालमोहन महाराज,मुंगेर । 14 मई को मुंगेर में जदयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के द्वारा पोलो मैदान में महागठबंधन के सभी साथियों के सम्मान में हुए भोज को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के दिए गए बयान पर पलटवार करते हुए जदयू जिला अध्यक्ष नचिकेता मंडल ने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। उन्होंने कहा कि भोज में शामिल हुए महागठबंधन के कार्यकर्ता दलित, महादलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा वर्ग को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा शराबी बताया जाना अत्यंत दुखद है। उन्होंने कहा कि भोज में अगर शराब परोसा गया तो उसको प्रमाणित करें । शराब जिस व्यक्ति के द्वारा परोसा जा रहा था उसके बारे में पुलिस या उत्पाद विभाग को भाजपाई सूचना क्यों नहीं दिए। मनगढ़ंत ,बेबुनियाद आरोप लगाकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने नरेंद्र मोदी को दफन करने का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष गुरुवार के दिन रात्रि में मुर्गा खोजने वाले छद्म हिंदू के वेश में घूमते देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि महागठबंधन सदैव अपने कार्यकर्ताओं को सम्मान देने का कार्य करती है जबकि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं का शोषण करती है। जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में विकास तो हो ही रहा है और कार्यकर्ताओं को सम्मान भी दिया जा रहा है ।उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन के साथियों के सम्मान में दिए गए भोज पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जाएगा । वही तारापुर के जदयू विधायक राजीव कुमार सिंह ने भी पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सम्राट चौधरी अपने पिता शकुनी चौधरी के बताए गए रास्ते पर चल रहे हैं। कई दलों में रहने के बाद अब भाजपा में आकर भाजपा को मिट्टी में मिला देने का काम सम्राट चौधरी कर रहे हैं। महागठबंधन के कार्यकर्ता व मतदाता 2024 के होने वाले चुनाव में अनर्गल बयान करने वालों को सबक सिखाएगी।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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