कैमरा शाट

मूर्तियों की दुर्दशा के साथ-साथ जलाशय भी प्रदूषित हो रहे हैं

श्रद्धा भारती

यहां कुछ तस्वीरें संलग्न की गई हैं आपके अवलोकनार्थ. आप इसका अवलोकन करें और अपनी प्रतिक्रिया दें. एक बात मैं य़हां स्पष्ट करना चाहती हूं कि मेरी मंशा किसी का अपमान करना या किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है बल्कि देश भर के सभी नदियों ,तालाबों और समुद्र जैसे बड़े जलाशयों की इन स्थितियों से रूबरू कराना है. इतना ही नहीं अपने उन आराध्यों की मूर्तियों की इस भयावह स्थिति को भी आपतक पहुंचाना है जिन्हें हम बड़े भक्ति भाव और सम्मान से अपने यहां लाते तो हैं और फिर छोड़ देते हैं इस हद में .क्या हमें ऐसी राह नहीं तलाशनी चाहिए, जिससे हम अपनी घार्मिक परंपराओं का निर्वहन भी कर सकें और हमारे आराध्य देव और देवियों की मूर्तियों की यह भयावह स्थिति भी न हो,साथ में जीवन दायनी जल को भी प्रदूषण से बचाया जा सके. नये विकल्प के साथ आपकी प्रतिक्रिया का हमें इतजार है.

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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