राजनितिज्ञों से प्यार में धोखा ही नहीं मौत भी !
राजनितिज्ञों से प्यार में सिर्फ धोखा ही नहीं मौत भी मिलती है। यह देश की नहीं दुनिया की समस्या है। मामले को हाई-प्रोफाइल का नाम देकर हर मौत को रहस्यमयी बना दिया जाता है और अमूमन अनसुलझी रह जाती है हर पहेली।
दुनिया की सबसे खूबसूरत लेडी मर्लिन मुनरो का भी यही गुनाह था कि उसने विश्व के सबसे ताकतवर इंसान (जॉन एफ केनेडी, तत्कालीन अमेरीकी राष्ट्रपति) से प्यार किया था। उसकी मौत आज तक एक रहस्य ही बन कर रह गयी। खूबसूरत राजकुमारी डायना की रहस्यमयी मौत पर कितना कुछ कहा-सुना और लिखा जा चुका है।
भारत के संदर्भ में तो यह और भी खौफनाक तस्वीर पेश करता है। यहां प्यार तक बात छुपी रहती है पर इजहार और तकरार की खबरें जब सुर्खियों में आती हैं तो मामला तुल पकड़ता है। पर तूफान के पहले की शांति की तरह सब कुछ एकदम ठंढा पड़ जाता है, तब प्रेमिका या कथित पत्नी के रूप में चिह्नित महिला की रहस्यमयी मौत एक बार फिर सुर्खियां बनती हैं।
अस्सी के दशक में बॉबी हत्याकांड की याद बहुत कम लोगों के जेहन में हो पर वह वाक्या भी कुछ ऐसा ही था। बिहार विधान सभा की महिला कर्मी बॉबी उर्फ निशा की रहस्यमयी मौत की गुत्थी को सुलझाने के लिये तत्कालीन एस.पी और आज के आचार्य किशोर कुणाल ने कब्र से लाश को निकलवा कर इसका पोस्टमॉर्टम करवाया और इस हाइ- प्रोफाइल हत्या को हर संभव सुलझाने का प्रयास किया। पर ढाक के तीन पात, अनसुलझी ही रही वह पहेली। हालांकि दबी जुबां से कातिल का नाम हर किसी को पता था पर आधिकारिक पुष्टि के बगैर ही मामले को दबा दिया गया। वैसी ही एक घटना गौतम-शिल्पी दोहरा हत्याकांड भी था जिसमें राजनेताओं का नाम तो उछला पर आधिकारिक तौर पर नहीं। हालिया राजकिशोर केसरी हत्याकांड एक अलग ही कहानी बनाता है पर परिस्थितियां लगभग वहीं हैं। बेमेल और बेमानी रिश्ते जिनका कोई बजूद नहीं हो सकता था। सिर्फ अपनी जरुरतों के हिसाब से बनते हैं ये विवाहेत्तर रिश्ते।
तब से अब तक नैना साहनी-सुशील शर्मा, मधुमिता शुक्ला- अमरमणी त्रिपाठी, भंवरी देवी-महिपाल मदेरणा, शिवानी भटनागर-प्रमोद महाजन, शहला मसूद—- और गीतिका शर्मा-गोपाल कांडा से होता हुआ अनुराधा बाली उर्फ फिजा और चंद्रमोहन उर्फ चांद मोहम्मद तक तस्वीर नहीं बदली। भाग्य शाली हैं उज्जवला शर्मा और उन जैसी दूसरी और महिलायें। अथवा उज्जवला शर्मा भी एक ताकतवर महिला( मंत्री की बेटी) थीं इसलिये बचा रहा उनका बजूद और हासिल हुआ उन्हें वह सब (देर से ही) जिसकी वह हकदार बहुत पहले थीं। एडविना और नेहरू का भी गवाह है देश जिनकी कहांनिया आज भी काफी सुनी और सुनायी जाती हैं। पर यहां भी प्यार बराबरी वालों का था।
प्यार में धोखा तक तो ठीक है पर इस तरह की अकाल मौत को क्या कहा जा सकता है? क्यों नहीं थमने का नाम ले रहा यह सिलसिला ? स्त्री पुरूष सदियों से एक दूसरे के नजदीक आते रहे हैं। उनके बीच के अंतरंग संबंधों का गवाह हमारा इतिहास रहा है। ‘दोनों ने किया था प्यार मगर मुझे याद रहा तुम भूल गये…’ कि तर्ज पर सिर्फ एक का ही बलिदान क्यों?
क्या हम यह मान कर चले कि पद, प्रतिष्ठा और प्रॉपर्टी का शॉर्टकट उन्हें मौत के मुंह में धकेल रहा है । क्या राजनितिज्ञों के चेहरे का घिनौना सच इनकी मौत का कारण बन रहा? प्यार में धोखा आम आदमी के जीवन का भी हिस्सा है पर थोड़े आंसू और जीवन भर के दर्द के साथ उनकी राहें अलग-अलग हो जाती हैं। हॉलीवुड से वॉलीवुड तक में रिश्ते बनते बिगड़ते हैं, पर इस तरह के दर्दनाक अंत की कल्पना भी दुखदायी है।
बहर हाल मामला चाहे जो भी हो पर आज भारत का संविधान स्त्री और पुरूष के संबंधों के प्रति काफी लचीला हो चुका है। लिव-इन-रिलेशनशिप की सुविधा के साथ संतान के अस्तित्व को भी जायज करार दिया गया है। जाहिर है जब दो विपरीत लिंगी साथ रहेंगे तो तीसरा आकार लेगा। अत: इसी तीसरे के वजूद की रक्षा के लिये शायद यह निर्णय लिया गया हो। आज पुरूष प्यार तो बांटने के लिये तैयार है पर अपनी संपत्ति नहीं। विवाह के संदर्भ में हम आज भी वहीं खड़े हैं जहां से सभ्यता शुरु होती है। ऐसा अराजक स्थितियों से बचने के कारण हो शायद। प्यार को विवाह का जामा पहनाने और साथी को बेनकाब करने की जिद कहीं इस तरह की मौत का कारण तो नहीं बन रही। न थमने वाले इस बेमेल रिश्ते की कड़ी का अगला शिकार कौन….?
Lekh kafi rochak hai , par kya paise ki is andhi daud me manavta mar chuki hai,Log apni sanskriti bhul gaye hai….yah tabhi hota hai jab jab ‘CHADAR SE PAAIR LAMBI DIKHTI HAI’ Chadar ke under paair dhak do , sab sahi dikhega………..
वस्तुतः यह प्यार या प्रेम होता ही नहीं है तभी ऐसे परिणाम सामने आते हैं। ‘प्यार’ या ‘प्रेम’ मे ‘त्याग की भावना’ मुख्य होती है जो उल्लिखित मामलों मे कहीं नहीं है।
Hi,
This is really a nice piece but I would beg to differ with what is said in the 2nd paragraph.
1- It is absolutely disgusting/easy to write things about famous personalities without checking radical facts, and easiest to write something based on hear-say rumors. Marilyn Monroe (I am not sure if she was even officially declared the most beautiful women of the world) died on Aug. 5 and her autopsy said that she had eight milligram per cent of chloral hydrate and 4.5 milligram percent of Nembutal were found in her system. Hence she died of overuse of prescription and outside drugs. This is a fact as said and rest are considered as theories. Also, she had a history of mental imbalance, drug addiction etc. Thus, just because she sang for the president’s birthday 3 months before, doesn’t prove that she was a victim of love & politics.
2- Diana, first of all, after marriage did not belong to the political family. Instead, she belonged to a royal family not even actively participating in politics. Moreover, she was divorced long back and was in France with Al-Fayyed-Dodi and even her/Fayyed’s and Drivers autopsy stated that were extremely high on Alcohol, especially the driven and that was when he lost control of his extremely high speeding vehicle, which he was speeding to get away from the paparazzi. So here also, it would be wrong to say she was a victim of love& politics. She is still the Late Princess of Wales who died because of drunken driving.
So, I would request you all to please get your facts checked before writing and publish articles which will not spread wrong message. Period!!!
Aaj ke yug mei Pyar ek mazak ban gya hai. Log iska Istemal apni apni Suvidha ke anusar kar rahe hain. College mei time Pass karna hai To Pyar. Shadi mei Aap akele ho to Pyar ho jata. Safar mei Akelapan hai to Usse dur karne ke liye Pyar. Office mei aap Ke paas kaam nahi hai to Pyar. Jab Pyar Sowarthi hoga to woh Pyar nahi Bhuk hai. Jiska Result Fiza, Madhumita, Geetika jaisa hi hoga. Galti Dono Side se hoti hai par sza hmesha Aaurto ko hi kyu milti hai.
अमीर और रसूखवाला आदमी कभी प्यार नहीं कर सकता-उसे अय्याशी के लिए बस एक सुविधा चाहिए-ऐसा मेरा मानना है। अनीता जी ने जिस तरह उदाहरण के जरिए लेख लिखा है उससे भी यही पता चलता है। बहुत दिन बाद इतना सारगर्भित आलेख पढ़ने को मिला।
chand ne fiza ke pyar ko amar kar diya…….isse bada chiz aur wo kuch nhi de sakta tha…..
बुराई का अंत हमेसा बुरा होता है,लालच दुनिया की सबसे बड़ी बुराई है..आजकल प्यार कम और लालच ज्यादा है जिसका अंजाम हमेशा बुरा ही हुआ है
डायना का सफर सड़क से क्राउन तक का था…क्राउन फैमिली से…तो पोलिटिकल तो ऐसे ही हो गई…क्या क्राउन को ब्रिटेन को पोलिटिक्स से अलग करके देख सकते हैं…क्या डायना ने सिर्फ प्यार करने के लिए प्यार किया था या फिर प्यार में शोहरत पाने की ललक भी थी उससमें…और वही उसे उसके डिजास्टर की ओर ले जा रही थी…..फैक्ट्स कहानियां कहती हैं…उन्हीं के सहारे थ्योरी गढ़ी जाती है….मर्लिन म्यूरो भी अपने समय के उन तन्तुओं के साथ मूव कर रही थी….जो रुतबा और पैसा के साथ साथ…कई तरह के कन्नेकशन आप में समेटे हुये थे….फिर भी आपने ध्यान दिलाया, इसके लिए आभार……..
anita g apney puri duniya ke sath-sath subey ke rajniti me v love aur dhokha ki story ko yad dila di h. lekin ek pakh y v hai ki sohrat paney ke liye anuradha bali jasi hastiya rajnitigyo ka sahara leti h. rajnitigay v inko use karene ke bahaney is rishtey ko dosti ka naam detey h.phir ulajh janey per in masumo ka ant is tarah hota h. lekin apney kaya is daur me badlav ko anubhav kiya hoga. aj ki nai pirhi jis savtantrata ke naam pr sahi aur galat ki pahchan nahi ker pati h. ha yeh thik hai ki hum khuley vchar ke ho lekin pahnavey me khuley hoker hi to vichar ka khulapan nahi dikhaya ja sakta. y khulapan to apki chichali jankari ko hi dikhata h. ap student h ya working lady h to iska v to khayal kar le. is liye jaruri hai ki mahilay v jamane ke sath chaleney ke sath paramparikata ko v n bhuley. vasey kahney ka y matlab nahi ki inkey gunahgar dosi nahi h. inko to sabak milani hi chahiyey.
ANITA जी, आपको कामयाबी की बधाई। निश्चित रूप से आपका काम मुझे अन्य तमाम कलाकारों से बहुत बेहतर लगता है। आपकी प्रसिद्धि चरम की ओर बढ़ रही है। कृपया मेरी बधाई स्वीकार करें।
I think you are a very sensitive analyst and go up to root level to those matters which are often left un-noticed. I always like your comments. God bless you. I will try to meet you when return to Patna.
Indian culture does not allow a woman to marry a married person. But most of the women fall in love with married politicians due to excess money and power that leads to meet their doom. Women are more responsible for their plight.
गीतिका हो या भंवरी हो ये मज़बूरी का नाम नहीं है बल्कि निजी-स्वार्थ और निजी-महत्वकांक्षाओं से प्रेरित महिलाओं का नाम है.
Anitaji good attempt on Love politics and power .