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राम मंदिर दर्शनों के लिए आने वाले यात्रियों को होगी सहूलियत

-400 करोड़ रूपयों की लागत से स्टेशन का हो रहा पुर्नविकास

-वृद्ध एवं अशक्तजनों के लिए लगेगी लिफ्ट एवं एक्सेलेटर

आशुतोष शुक्ल, लखनऊ

लखनऊ। राम मंदिर दर्शन के लिए लखनऊ से होकर गुजरने वाले विभिन्न प्रान्तों के तीर्थयात्रियों को 2023 के अक्टूबर-नवंबर माह तक विशेष सुविधाओं का अनुभव होगा। 400 करोड़ रूपयों की लागत से लखनऊ रेलवे स्टेशन पर पुर्नविकास कार्य हो रहे हैं।

भारत सरकार के रक्षा मंत्री एवं सांसद लखनऊ राजनाथ सिंह के प्रतिनिधि दिवाकर त्रिपाठी एवं जनसंपर्क अधिकारी डा. राघवेन्द्र शुक्ला ने रेलवे के विशेष जानकार जितेन्द्र सिंह की टीम ने अभी कुछ ही दिनों पूर्व गोमतीनगर टर्मिनस के निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया है। जिनके साथ एडीआरएम जयन्त चौधरी, रेलवे लैंड के डेवलपमेंट अथॉरिटी के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर सुधीर सिंह, सीनियर डीईएन नीरज शुक्ला तथा स्टेशन डायरेक्टर आशीष सिंह मौजूद रहे। सांसद टीम ने स्टेशन पर चल रहे पुर्नविकास कायों की स्थिति को जाना। इन कार्यों के पूर्ण होने के बाद पार्किंग एरिया से यात्री रैम्प/फ्लाईओवर से चढ़कर प्रवेश द्वार पर पहुंचेंगे। यहां से वे उसी फ्लाईओवर से जाकर बाउंड्रीवाल के अंदर ही पार्किंग एरिया में वाहन खड़े करेंगे। इसके अलावा यहां बेसमेंट पार्किंग सहित बहुमंजलीय बिल्डिंग का निर्माण कार्य भी सुचारू है। जिसमें एक मॉल का निर्माण भी कराया जा रहा है। जोकि अनेकों सुविधाओं से लैस होगा। जहां यात्रियों को सभी सुविधाएं मिलेंगी। रेल अधिकारियों ने टीम को बताया कि वॉशिंग एप्रोन के कार्य को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इन सभी सुविधाओं के साथ-साथ वृद्ध एवं अशक्तजनों की सुविधाओं के लिए लिफ्ट एवं एक्सेलेटर की सुविधा भी की जा रही है। अब कुछ माह बाद ही लखनऊ रेलवे स्टेशन का कायाकल्प का कार्य पूर्ण हो जाएगा।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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