पहला पन्ना

रिलीज़ हुआ फिल्म “लाईफ ईज गुड” का पोस्टर

फिल्म फायनान्स के कारोबार में लंबे समय से सक्रिय रहे आनंद शुक्ला ने अब फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आगमन करते हुये फ़िल्म “लाईफ ईज गुड” का निर्माण किया है। यह महज फिल्म नहीं पर फ़िल्म इंडस्ट्री में आनंद शुक्ला के लंबे अनुभव का निचोड़ भी है। वे अच्छी तरह से जानते हैं कि संवेदनशीलता फ़िल्म की सफलता कुंजी है और इसी वजह से उनकी यह फिल्म इमोशन्स से सराबोर बन पड़ी है। सुजीत सेन लिखित कहानी पर बनी इस फ़िल्म के निर्देशक हैं अनंत नारायण महादेवन। फ़िल्म के सह-निर्माता राजेन्द्र सिंघवी और केतन जैन हैं। इसके प्रमुख कलाकार हैं जैकी श्रॉफ, बेबी सना, अनन्या, स्वानंद वर्मा, अंकिता, रजित कपूर, सुनीता सेन गुप्ता, दर्शन जरीवाला और मोहन कपूर। इन कलाकारों को चमकाती इस फ़िल्म का पोस्टर 27 सितंबर को रिलीज किया गया।

अपनी फिल्म के रिलीज के कगार पर पहुंचने से खुश आनंद शुक्ला फिल्म के विषय के बारे में कहते हैं कि यहां कहानी में मानवीय संवेदनाएं पिरोयी गयी हैं। कोरोना महामारी से पूर्व अमूमन हर किसी को जिंदगी से शिकायत थी और शिकायत का सुर यही होता था कि उसकी जिंदगी अभावों से भरी पड़ी है और हर चीज की कमी है। पर इस महामारी के चलते लोगों को एहसास हुआ कि जिंदगी ने उन्हें काफी कुछ दिया है और उन्हें जिंदगी का अर्थ समझ में आया। ज़िन्दगी के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में बदलाव आया है और वे जिंदगी को सकारात्मकता के नज़रिये से देखने लगे। मेरी फिल्म भी जिंदगी की सकारात्मकता से देखने का संदेश लिये हुये है और यह सकारात्मकता फिल्म के शीर्षक से भी छलकती है।
फिल्म में निश्छल प्यार की कहानी प्रस्तुत की गयी है और यह दर्शाया गया है कि अकेलेपन की जिंदगी जी रहे एक अधेड़ उम्र के आदमी के परिचय में जब एक मासूम बच्ची आती है तो उनके बीच कैसा लगाव हो जाता है। निस्वार्थ रिश्ते को यहां भावनात्मक अंदाज में प्रस्तुत किया गया है। आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में आपसी संबंध पीछे छूटने लगे हैं, ऐसे में यह फिल्म दर्शाती है कि संबंधों में मधुरता हो तो जिंदगी कितनी खुशनुमा बन जाती है।
“लाईफ ईज गुड” की प्रमुख शूटिंग महाबलेश्वर की नयनाभिराम वादियों में की गयी है और पहाड़ी लोकेशन की खूबसूरती ने फिल्म में चार चांद लगा दिये हैं।
संवेदनशील फिल्में हमेशा से ही दर्शकों की पहली पसंद बनी रही हैं। ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि संवेदनशीलता से लबालब यह फ़िल्म जब 9 दिसंबर को प्रदर्शित होगी तब दर्शक इसे शर्तिया हाथों-हाथ लेंगे।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button