रूकेगी रेल टिकटों की कालाबाजारी ?
नीतू नवगीत, पटना
रेल टिकटों की कालाबाजारी देश में एक बड़ी समस्या रही है । त्योहारों और छुट्टियों के दौरान यह समस्या और विकराल रूप धारण कर लेती है । टिकट के दलाल और कुछ रेलकर्मी आपस में तालमेल करके ऐसा माहौल बना देते हैं कि लगता है जैसे टिकट खिड़की पर कन्फर्म टिकट मिल ही नहीं पायेगा । दूसरी ओर, रिजर्वेशन कार्यालय से बाहर और स्टेशन परिसर में सुनिश्चित बर्थ उपलब्ध कराने वाले अनेक दलाल बोली लगाते मिल जाते हैं । रेलवे द्वारा टिकटों की कालाबजारी पर अंकुश लगाने के लिए प्रयास किये जाने का दावा लगातार किया जाता रहा है । कुछ महीने पहले ही रेलवे ने तत्काल टिकट के नियमों में फेरबदल किया, जिससे तत्काल टिकटों की कालाबाजारी पर बहुत हद तक रोक लगी है । अब सामान्य टिकटों की कालाबाजारी को रोकने के लिए रेलवे ने बड़ा कदम उठाया है । रेल मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार यात्री आरक्षण प्रणाली और इंटरनेट से लिये गये सभी वातानुकूलित वर्ग जिसमें तृतीय वातानुकूलित श्रेणी, द्वितीय वातानुकूलित श्रेणी, प्रथम वातानुकूलित श्रेणी, एसी चेयर कार और एक्सक्यूटिव क्लास शामिल है में यात्रा करने के लिए रेलवे द्वारा स्वीकृत नौ पहचान पत्रों में से किसी एक पहचान पत्र का यात्री के साथ होना अनिवार्य कर दिया गया है । यदि एक टिकट पर दो या अधिक यात्रियों का आरक्षण हो तो किसी एक यात्री के पास पहचान पत्र होना अनिवार्य कर दिया गया है । यदि यात्री के पास पहचान पत्र नहीं मिलता है तो उसे बिना टिकट का मान लिया जायेगा । रेलवे में ऐसी व्यवस्था तत्काल और ई. टिकटों पर पहले से ही लागू है । रेलवे ने जिन नौ पहचान पत्रों को मान्यता दी है उनमें निर्वाचन आयोग भारत सरकार द्वारा जारी मतदाता पहचान-पत्र, आयकर विभाग द्वारा निर्गत पैन कार्ड, पासपोर्ट, आर.टी.ओ. द्वारा निर्गत ड्राइविंग लाइसेंस, भारत सरकार/राज्य सरकार द्वारा निर्गत फोटो पहचान-पत्र, मान्यता प्राप्त स्कूल/कालेज, जिसका वह छात्र है द्वारा निर्गत फोटो पहचानपत्र, राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा निर्गत फोटो सहित पासबुक, बैंकों द्वारा निर्गत फोटोयुक्त लेमिनेटेड क्रेडिट कार्ड और यूनिक पहचान पत्र आधार शामिल हैं । रेलवे का यह नियम 15 फरवरी से पूरे देश में लागू हो जायेगा । इसके बारे में यात्रियों को आगाह करने के लिए रेलवे अपने साफ्टवेयर में बदलाव ला रहा है ताकि कम्प्यूटरीकृत टिकटों पर पहचान पत्र की अनिवार्यता संबंधी निर्देश पहले से मुद्रित रहे ।
वातानुकूलित श्रेणी में पहचान पत्र को अनिवार्य कर दिये जाने के बाद अब उम्मीद की जानी चाहिए कि रेल टिकटों की कालाबाजारी में कमी आयेगी, लेकिन संभावना यह भी है कि टिकट के कालाबाजार वातानुकूलित टिकटों की जगह स्लीपर क्लास की टिकटों की कालाबाजारी में जोर-शोर से लग जायेंगे । रेलवे के आरक्षित श्रेणी में 80 प्रतिषत से अधिक सीट स्लीपर क्लास की ही होती हैं । आम लोग मुख्यतः स्लीपर क्लास में ही यात्रा करते हैं । ऐसे में बहुत जल्दी यह मांग उठनी चालू हो जायेगी कि स्लीपर क्लास में भी पहचान पत्र को अनिवार्य बना दिया जाये । यदि रेलवे ऐसा करती है तो वह रेल यात्रियों के हित में होगा । हालांकि पहचान पत्र के न होने पर कुछ यात्रियों को परेशानी हो सकती है । लेकिन यह देखते हुए कि अब होटलों की बुकिंग से लेकर महॅंगे सामानों की खरीददारी तक में पहचान पत्र को जरूरी बना दिया गया है, रेल टिकटों में पहचान पत्र की अनिवार्यता का ज्यादा विरोध नहीं होगा । फिर रेलवे ने इस अनिवार्यता को पहले वातानुकूलित श्रेणी में लागू किया है । इससे यात्रा के दौरान पहचान पत्र साथ रखने के प्रति देश में जागरूकता बढ़ेगी और बाद में स्लीपर क्लास में भी पहचान पत्र को लागू करना आसान रहेगा ।
पहचान पत्र की अनिवार्यता के बाद टिकटों की कालाबाजारी करने वाले दलाल नकली पहचान पत्र बनाकर अपना गोरखधंधा जारी रखने का प्रयास कर सकते हैं । रेलवे के टिकट चेकिंग कर्मचारियों को ड्यूटी पर सतर्क रहते हुए सख्ती से टिकट और पहचान पत्रों की जांच करनी होगी तभी टिकटों की कालाबाजारी को रोकने में रेलवे को पूरी कामयाबी मिल पायेगी ।