लीबिया में लड़ाई जारी, पूरी क्रूरता दिखा रहे हैं गद्दाफी
1969 में रक्तहीन तख्तापलट द्वारा सत्ता संभालने वाले लीबिया के नेता कर्नल गद्दाफी ट्यूनिशिया और मिस्र के बाद लीबिया में उठे जन ज्वार को पूरी निर्दयता से कुचलने में लगे हुये हैं। लड़ाई सड़कों और गलियों में चल रही हैं। सेना खूनी अंदाज में लोगों पर गोलियां चला रही हैं। लोगों के सीने और सिर को निशाना बनाया जा रहा है।
ह्यूमैन राइट वाच के मुताबिक अब तक लीबिया में विभिन्न स्थानों पर हुई हिंसा में 84 लोग मारे जा चुके हैं। विदेशी पत्रकारों को लीबिया में घुसने से मनाही कर दी गई है। कर्नल गद्दाफी के शासन तंत्र की ओर से लीबिया वालों को मोबाईल पर लगातार संदेश देकर देशभक्त बने रहने और प्रदर्शनकारियों से दूर रहने के लिए धमकी दी जा रही है। लीबिया पर अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए कर्नल गद्दाफी अफ्रीकन मर्सनरिज का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो लीबियाईयों के साथ बड़ी क्रूरता से पेश आ रहे हैं। लीबिया के बेंघाजी में अब तक की सबसे बड़ी हिंसा हुई है। जन उभार को पूरी तरह से कुचलने लिए हेलिकाप्टर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। हेलिकाप्टर से भीड़ के ऊपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई जा रही हैं। लीबिया बुरी तरह से गरीबी की चपेट में है। तकरीबन 30 फीसदी लोग बेरोजगार हैं।
खुद को क्रांति का नेता बताने वाले कर्नल गद्दाफी पिछले 42 साल से लीबिया पर काबिज हैं। कर्नल गद्दाफी की कुव्यवस्था से तंग आकर अब लोग सड़कों पर उतरे हुये हैं। लोगों के गुस्सा सबसे पहले बेंघाजी में ही फूटा और फिर देखते देखते यह आग राजधानी त्रिपोली तक पहुंच गई। 1 सितंबर 1969 को बेंघाजी से ही कर्नल गद्दाफी ने देश को अपने नियंत्रण में लेने की शुरुआत की थी, और अब उसी स्थान से कर्नल गद्दाफी के खिलाफ लोगो का विद्रोह भी फूटा है।
सत्ता में आने के बाद से ही कर्नल गद्दाफी का रुख अमेरिका विरोधी रहा है। कर्नल गद्दाफी ने लीबिया पर अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए आयातित विचारों – चाहे वे पश्चिम के हो या फिर पूरब के- से जंग करने की घोषणा की थी। इसके पहले वे अमेरिका और ब्रिटेन के खिलाफ मुसलमानों को एक जुट होकर लड़ने की अपील भी कर चुके थे। फिलहाल लीबिया में न कोई संविधान है, और न ही स्थापित संस्थाएं, जो कुछ है कर्नल गद्दाफी ही हैं।