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शाहरुख खान को प्रेरणा मानने वाले अनुराग कुशवाहा ने एक्टिंग फील्ड में रखा कदम

जल्द आने वाले हैं कई प्रोजेक्ट, इससे पहले मॉडलिंग में बना चुके अपनी पहचान

‘अगर पूरी शिद्दत से किसी चीज़ को चाहो तो सारी कायनात आपको उससे मिलाने में जुट जाती है’। बॉलीवुड के किंग खान का यह डायलॉग एक जमाने में खूब फेमस हुआ था, जिसे आज प्रेरणा मान कर एक युवा एक्टिंग के फील्ड में कदम रख चुका है। नाम है अनुराग कुशवाहा, जिसके प्रेरणाश्रोत शाहरुख खान हैं और वो आज उनकी ही तरह बिना किसी गॉड फादर के मायानगरी में अपनी जगह पक्की करने में शिद्दत से लग चुके हैं। अनुराग की एक वेब सीरीज जल्द ही आने वाली है, जिसका नाम ‘शिक्षा मंडल’ है और यह एम एक्स प्लेयर पर रिलीज होने वाली है।

अनुराग को बचपन से एक्टिंग का शौक रहा है। लेकिन उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक मॉडल के रूप में की। इस दौरान उन्होंने आदित्य बिरला, नेटफ्लिक्स, बिग बाजार, जैसे लीडिंग ब्रांड के लिए मॉडलिंग की, जिसे खूब पसंद किया गया। साल 2019 में वे मिस्टर इंडिया का सेमीफाइनलिस्ट भी रहे। लेकिन उनकी मंजिल यह नहीं थी। बचपन से बड़े पर्दे पर नजर आने का शौक था। एक्टर बनने का जुनून था, जिसमें उन्हें अपने परिवार से भरपूर सहयोग मिला। जबकि उनके परिवार का कोई फिल्मी कनेक्शन नहीं है और ना मुंबई से कोई नाता रहा है।

फिर भी एकलव्य की तरह शाहरुख खान और उनकी फिल्मों से प्रेरित अनुराग कुशवाहा अपने सपने को सच करने में दिनरात लगे रहते हैं। पहले मॉडलिंग में अपना नाम बनाया और अब अभिनय की दुनिया में कदम रख चुके हैं। इसमें सिर्फ और सिर्फ उनकी मेहनत और जुनून का योगदान है। बिना किसी गॉड फादर के उन्होंने अब तक जो भी किया, वो अपने बलबूते किया। और आगे भी उनके कई प्रोजेक्ट्स को लेकर बातें चल रही हैं। वे कहते हैं कि आने वाले दिनों में कुछ अच्छा और बड़ा होने वाला है।

अनुराग ने अभिनय थियेटर निर्देशक बैरी जॉन के स्कूल से सीखा, जहां से शाहरुख खान ने भी अभिनय का ककहरा सीखा था। इसके अलावा नोएडा फिल्म सिटी में भी उन्होंने एक्टिंग के क्लास लिए और अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए साल 2018 -19 में मुंबई में आया गए। इस बीच उनका यह विश्वास है कि किसी भी चीज को मेहनत और लगन से करो तो वो पूरी हो जाएगी। वे आज हर तरह के किरदार करने की लालसा रखते हैं। वे युवाओं से ये भी कहते हैं कि जब कोई चीज शुरू करो, तो उसे पूरा करो। बीच में गिव अप मत करो।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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