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साइबर अपराधियों से आगाह करता है फिल्म ‘घुसपैठिया’

अमरनाथ, मुंबई । साइबर अपराध की घटनाएं आम होती जा रही हैं। कई गिरोह एक साथ कई अज्ञात स्थानों से साइबर अपराध की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। फोन टेपिंग भी इसका अहम हिस्सा बना हुआ है। अपने शिकार पर हाथ डालने वाले साइबर अपराधियों तक पहुंच पुलिस के लिए भी चुनौती बनी हुई है हालांकि पुलिस महकमा भी साइबर अपराधियों को अपनी गिरफ्त में लेने के लिए कई स्तर पर सक्रिय है। सुसी गणेशन द्वारा निर्देशित और विनीत कुमार सिंह, उर्वशी रौतेला और अक्षय ओबेरॉय अभिनीत घुसपैठिया का ट्रेलर साइबर अपराध और फोन टैपिंग से जुड़े खतरों को रोचक तरीके से पर्दे पर पेश करता दिख रहा है। कम से से कम इसके ट्रेलर से तो यही पता चलता है।


घुसपैठिया में, गणेशन साइबर घुसपैठ और डेटा उल्लंघनों पर केंद्रित एक नाटकीय कथा के माध्यम से इन वास्तविक दुनिया के खतरों की कुशलता से पड़ताल करते हुए दर्शकों को सावधान करते हैं। इसकी भयावहता से वह रू-ब-रू कराते हैं। कहानी तकनीकि क्रांति के अंधेरे पक्ष में जाती है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे दुर्भावनापूर्ण अभिनेता व्यक्तिगत लाभ के लिए डिजिटल कमजोरियों का फायदा उठाते हैं।
विनीत कुमार सिंह, उर्वशी रौतेला और अक्षय ओबेरॉय के शानदार अभिनय के साथ, यह फिल्म न केवल मनोरंजन करती है बल्कि दर्शकों को डिजिटल दुनिया के खतरों के भी आगाह करती है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे घुसपैठिया या घुसपैठिया कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिस पर आप पूरी तरह भरोसा करते हैं – आपका सबसे अच्छा दोस्त, पड़ोसी या कोई करीबी परिचित। यह इस अत्यधिक तकनीकी दुनिया में सतर्क और जागरूक रहने के महत्व को रेखांकित करता है।

आज के बढ़ते साइबर खतरों के माहौल में फिल्म की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। जैसे-जैसे संचार, बैंकिंग और व्यक्तिगत संबंधों के लिए तकनीक पर हमारी निर्भरता बढ़ती है, वैसे-वैसे संभावित जोखिम भी बढ़ते हैं। घुसपैठिया डिजिटल क्षेत्र में छिपे खतरों और साइबर खतरों के खिलाफ सतर्कता की आवश्यकता की समय पर याद दिलाता है।
घुसपैठिया डिजिटल युग की बारीकी से पड़ताल करते हुए दर्शकों की समझ को उस स्तर तक ले जाता है जहां वह इससे जुड़े खतरों को भांप सकते हैं। यह एक रोमांचक सिनेमाई अनुभव प्रदान करता है, साथ ही हमारे परस्पर जुड़े जीवन के साथ आने वाली कमजोरियों पर एक गंभीर प्रतिबिंब प्रदान करता है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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