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सामाजिक समरसता के लिए साहित्य संवर्धन जरूरी

सामाजिक समरसता के लिए साहित्य संवर्धन जरूर

कालिदास रंगालय में आयोजित आदिशक्ति प्रेमनाथ खन्ना नाट्य समारोह के अवसर पर कार्यक्रम के दूसरे दिन भजन संध्या सामयिक परिवेश पत्रिका का विमोचन और “अनंता पुस्तक” का हुआ लोकार्पण*

पटना।कालिदास रंगालय में सामाजिक संस्था सामयिक परिवेश, गुरुकुल एवं कला जागरण के संयुक्त तत्वावधान में आदिशक्ति प्रेमनाथ खन्ना नाट्य समारोह का आयोजन किया गया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन सामयिक परिवेश पत्रिका का विमोचन किया गया तथा शिल्पी कुमारी द्वारा रचित “अनंता पुस्तक” का लोकार्पण किया गया। कला जागरण द्वारा ‘बुनकर की बेटी’ की खूबसूरत प्रस्तुति दी गई तथा भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सामाजिक परिवेश की अध्यक्षा श्रीमती ममता मेहरोत्रा ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्य साधना और उसके प्रति रुझान से समाज में समरसता आती है। सामाजिक परिवेश संस्था साहित्य संवर्धन की दिशा में वर्ष 2014 से ही निरंतर प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में नन्हे-मुन्ने बच्चों ने खूबसूरत सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी है। बच्चों के नैसर्गिक विकास हेतु लिट्रा पब्लिक स्कूल कृतसंकल्पित है। उन्होंने बताया कि आदिशक्ति प्रेमनाथ खन्ना की पुण्य तिथि के अवसर पर यह कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता रहा है।
गौरतलब है कि आदिशक्ति प्रेमनाथ खन्ना नाट्य समारोह का समापन आगामी 29 जुलाई को होगा। उक्त मौके पर सामयिक परिवेश की अध्यक्षा श्रीमती ममता मेहरोत्रा, वरिष्ठ साहित्यकार श्री आलोक धन्वा, श्री रामधारी सिंह दिवाकर, लेखिका श्रीमती रीना सिन्हा, श्रीमती शिल्पी कुमारी सहित साहित्य सेवी और लिट्रा पब्लिक स्कूल के बच्चे एवं अभिभावकगण उपस्थित थे।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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