लिटरेचर लव

‘सार्थक’ पहल के साथ जेएलएफ में राजकमल प्रकाशन

गुलाबी शहर में साल की शुरूआत में ही आयोजित होने वाला सबसे बड़ा साहित्य महोत्सव- जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में राजकमल प्रकाशन अपने नए और ख़ास प्रयोगों के साथ अपनी उपस्थित दर्ज़ करने जा रहा है। सार्थक- राजकमल प्रकाशन का उपक्रम, के बैनर तले लप्रेक (लघु प्रेम कथा) श्रृंखला की पहली किताब इश्क़ में शहर होना का लोकार्पण जेएलएफ में 24 जनवरी को होगा। इसके लेखक हैं वरिष्ठ टीवी पत्रकार और ‘रवीश की रिपोर्ट’ से लोगों के दिलों में अपनी अलग पहचान बनाने वाले – रवीश कुमार

प्रेम में होना सिर्फ हाथ थामने का बहाना ढूँढना नहीं होता। दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता रहता है। लप्रेक उसी कशिश और टकराहट की पैदाइश है।

लप्रेक श्रृंखला में अन्य दो प्रमुख लप्रेककार हैं – विनीत कुमार और गिरीन्द्र नाथ झा। श्रृंखला में पहली किताब रवीश कुमार की आ रही है जिसका नाम है- ‘इश्क़ में शहर होना’। इन सभी पुस्तकों की खास बात यह है कि ये सभी कहानियां चित्रात्मक हैं। यानी चित्रों के साथ शब्दों का बेहतरीन मेल इन किताबों में देखने को मिलने जा रहा है। इन किताबों के लिए चित्रकारी की है चित्रकार, कार्टूनिस्ट, छायाकार और जाने- माने फ़िल्मकार विक्रम नायक ने।

24 को उपस्थित रहेंगे रवीश कुमार

‘इश्क़ में शहर होना’  के लेखक रवीश कुमार जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 23-24 जनवरी को मौजूद रहेंगे। अपनी किताब के बारे में कहानी की नई करवट सत्र में वह पत्रकार और लेखिका अनु सिंह चौधरी से 24 तारीख को 3:30 बजे दोपहर में बातचीत करेंगे। सत्र की शुरुआत किताब के लोकार्पण से होगी। लोकार्पण जयपुर के नौजवान विद्यार्थी करेंगे।

पुस्तक प्रेमियों के लिए खुशखबरी

पुस्तक प्रेमियों के लिए खुशखबरी यह है कि लप्रेक प्री-बुकिंग के लिए Amazon पर उपलब्ध है। प्री- बुकिंग में 99 रूपये की किताब मात्र 80 रूपय में उपलब्ध है बगैर किसी डाक खर्च के। प्री-बुकिंग पर यह ऑफर 13 फरवरी तक उपलब्ध है। प्री-बुक की हुईं प्रतियां 28 जनवरी से पुस्तक प्रेमियों को मिलना शुरू हो जायेंगी।

संपर्क
आशुतोष कुमार सिंह
साहित्य प्रचार अधिकारी
राजकमल प्रकाशन समूह
मो. 91-9891228151

www.rajkamalprakashan.com

E-mail : publicity@rajkamalprakashan.com

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button