अंडा उत्पादन में बिहार को आगे ले जाने का अभियान
पटना। बिहार राज्य नव प्रवर्त्तन पर्षद, पशु एवं मत्स्य विभाग, कृषि विभाग, बामेती एवं नाबार्ड, क्षेत्रीय कार्यालय पटना और बिहार विद्यापीठ उद्भवन एवं उद्यमिता केंद्र के द्वारा संचालित बिहार के युवा वर्ग को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने तथा बिहार को अंडा उत्पादन में आत्म निर्भर बनाने के लिए बिहार अंडा प्रचुरता अभियान का शुभारंभ आज बिहार सरकार के पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री श्री अवधेश कुमार सिंह ने पटना में किया। इस दौरान 100 किसानों के लॉन अनुदान को स्वीकृति भी दी गई। बिहार अंडा प्रचुरता अभियान की शुरूआत करते हुए श्री अवधेश कुमार ने कहा कि बिहार में रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए यह अभियान काफी कारगर साबित होगा। बिहार विद्यापीठ की स्थापना बापू ने इसलिए ही की थी कि देश के लोगों के रोजगार के लिए यह एक सेंटर बने, जहां से शिक्षा के साथ – साथ लोगों को रोजगार से भी जोड़ा जा सके। ऐसे में अंडा प्रचुरता अभियान की शुरूआत की यहां से शुरूआत होना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि 100 किसानों के लोन को आज स्वीकृति मिल चुकी है और आने वाले दो सालों में 2200 किसानों को स्वाबलंबी बनाने के लिए लोन लेने के लिए प्रेरित किए जाने का लक्ष्य है, ताकि किसानी के साथ – साथ रोजगार भी मिल सके। वहीं, बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष व सेवानिवृत आईएएस अधिकारी श्री विजय प्रकाश ने कहा कि महात्मा गांधी ने गरीबी, अशिक्षा, कुस्वास्थ के खिलाफ लड़ाई की शुरूआत चंपारण से की थी और इसी क्रम में बिहार विद्यापीठ की स्थापना की। जहां देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद 25 सालों तक रहे। अब एक बार फिर से लोगों को रोजगार देने के लिए एक अभियान की शुरूआत यहां से हुई है, जो गांधी जी और राजेंद्र बाबू के सपने को आगे बढ़ाएगी।
दीघा के विधायक संजीव चौरसिया ने बिहार अंडा प्रचुरता अभियान के शुरूआत को राज्य में रोजगार की संभावनाओं के सजृन के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि इस रोजगारन्नोमुखी अभियान का उनके विधान सभा क्षेत्र से शुरूआत होना उनके लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह जी केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के कारण इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, मगर उन्होंने भी इस अभियान के साथ रहने की बात कही है। उन्होंने कहा कि बिहार अंडा प्रचुरता अभियान बिहार विद्यापीठ उद्भवन एवं उद्यमिता केंद्र एक पहल है, जिसका लाभ राज्य के लोगों को मिलेगा। साथ ही यह संस्था केंद्र और राज्य सरकार की विकासोन्नमुखी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए भी अपनी भूमिका निभाएगी।
इससे पहले नाबार्ड के सीजीएम ने कहा कि अंडा प्रचुरता अभियान का उद्देश्य है प्रदेश में कुपोषण की समस्या से संघर्ष करना और युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध करवाना। वर्तमान में बिहार राज्य में 0-5 वर्ष के आधे से अधिक बच्चे कुपोषित हैं और सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों को सप्ताह में दो अंडा देने की योजना कार्यान्वित की है। इसके लिए राज्य में प्रतिदिन 2.8 करोड़ अंडों की खपत है, जबकि राज्य में प्रतिदिन मात्र 10 लाख अंडों का ही उत्पादन होता है। मतलब शेष 2.7 करोड़ अंडा राज्य में अन्य प्रदेशों से आता है। इस प्रकार यदि बिहार विद्यापीठ उद्भवन और उद्यमिता केंद्र एक समन्वयक की भूमिका में कार्य करते हुए राज्य में अंडा के उत्पादन को विकसित करता है तो आने वाले समय में यह राज्य में पोषण की स्थित को तो सुदृढ़ करेगा ही राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में भी महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करेगा। कार्यक्रम में पूर्व आईएएस अधिकारी राणा अवधेश सिंह, स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के कंवेनर आर के दास, प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की पौत्री तारा सिन्हा एवं बिहार विद्यापीठ के सदस्य संजीव श्रीवास्तव उपस्थित थे।