एसिड पीड़िता ने बिहार सरकार से की खुली अपील, माँगा संपूर्ण पुनर्वास और न्याय…!
Bablu Kumar Prakash//
“संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित पीड़िता ने कहा”।
‘जब मैंने उनलोगों की छेड़खानी का विरोध किया और गलत मांग मानने से इंकार किया तो उन्होंने जबरन मेरे शरीर पर तेजाब फेका।
दिनांक 21.10.12 को पीड़िता उम्र 19 वर्ष जो दलित (पासवान) जाति से है,
ग्राम छितनावा, थाना मनेर, जिला पटना, अपनी बहन के साथ छत पर रात सोई हुई थी। रात १२ बजे के करीब अचानक अनिल राय, घनश्याम राय, बादल राय, छत पर चढ़ गये। अनिल ने पीडिता का मुँह दबा दिया ताकि वह चिल्ला नहीं सके।
घनश्याम एवं राज ने पीड़िता का पांव जकड़ लिया ताकि वो हिले भी नहीं। बादल ने उसके हाथ जकड़ लिये। अनिल ने बोतल से कटोरे में तेजाब डालकर पीडिता के मुँह और शरीर पर डाल दिया। बगल में सोयी उसकी बहन के शरीर पर भी तेजाब गिरा। तेजाब से शरीर जलने लगा तो दोनों बहने चिल्ला उठीं। दोनों की चिल्लाहट सुनकर माँ और पिता छत पर चढे। दोनों को आते देखकर अनिल, घनश्याम, बादल और राज ने एक दूसरे का नाम पुकारते हुए कहा भागो और फरार हो गए। चाचा, पिता के सहयोग से दोनों बेटियों को पी.एम्.सी.एच, पटना में भर्ती किया।
पीडिता का कहना है… अनिल, घनश्याम, बादल और राज घटना के पूर्व से ही मेरे साथ छेड़खानी करते थे।
कम्पूटर कोचिंग करने दानापुर आती-जाती तो ऑटो में चढ़कर, घर के पास बाज़ार जाते-आते रास्ते में दुपट्टा खीचना, अश्लील बातें बोलना, अश्लील हरकते करके मेरे साथ छेड़खानी करते थे, घर के गली में मोटरसाइकिल से चक्कर लगाना, घर का पर्दा बार बार फाड़ देना, इस तरह मेरे घर वालो को उन लोगों ने आतंकित कर दिया था।
कुछ बोलने पर कहता था दुसाध छोटा जात क्या कर लेगी तू “इनलोगों की दबंगई और आतंक से मेरे माता पिता भी डरे सहमे रहते थे।
पीडिता को दबंगो ने धमकाया भी था कि अगर वह उनकी बात नहीं मानेगी तो वे लोग उसका चेहरा बर्बाद कर देंगे।
आखिर उन्होंने अमानवीयता दिखाते हुए मुझ पर और मेरी बहन पर तेजाब फेंक दिया।
मेरा पढ़ लिख कर कम्प्यूटर इंजीनियर बनने का सपना था, जो उन अत्याचारियों के कारण बर्बाद हो गया है।
पीडिता ने कहा मीडिया वालो से कहा कि में अपना चेहरा नहीं छुपाना चाहती हूँ आप मेरा जला चेहरा ही समाज को दिखायें ताकि समाज के लोग मेरे साथ हुए अत्याचार की लड़ाई में मेरी आवाज बुलंद कर मेरा हौसला बढ़ाये।
मैं सरकार से मांग करती हूँ मुझे सपूर्ण पुनर्वास और न्याय मिले, उन दरिंदो को स्पीडी ट्रायल कर सजा मिले
पीडिता के पिता कहते है “पी.एम्.सी.एच. में सही इलाज के लिए काफी सघर्ष करना पड़ा।
मेरी दोनों बेटियों की हालत बहुत ही खराब है, अस्पताल से छुट्टी कर दिया गया है, मेरी बड़ी बेटी की हालत गंभीर है। उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, छोटी बेटी की स्थिति भी काफी खराब है।
हमारा केस अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम 1989 में दर्ज किया गया है, लेकिन हमारे बयान देने के बावजूद पुलिस ने किसी को भी एफ.आई.आर में नामजद नहीं किया। पुलिस ने अभी तक पीडिता और मेरी छोटी बेटी का बयान 164 में भी दर्ज नहीं किया गया है।