भूमि अधिग्रहण और आत्मदाह से गरमाई मप्र की राजनीति

मध्य प्रदेश के कटनी जिले में जमीन अधिग्रहण से क्षुब्ध होकर एक महिला द्वारा आत्मदाह किए जाने के मामले से राजनीति गरमा गई है। विरोधी जहां मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग रहे हैं, वहीं सरकार ने विरोधियों पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया है। एक तरफ गिरफ्तार किए गए  किसान समर्थकों को जबलपुर केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया है तो वहीं बुजबुजा व डोकरिया गांव में भारी पुलिस बल को तैनात कर स्थिति नियंत्रण में रखने की कोशिश की गई है।

कटनी जिले की बरही तहसील में वेलस्पन कम्पनी के बिजली संयंत्र के लिए बुजबुजा व डोकरिया गांव के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इसका लंबे अरसे से विरोध चल रहा है। प्रशासन की कार्रवाई से क्षुब्ध होकर सुनिया बाई ने दीपावली की रात अपने बदन पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली । किसान सुनिया के शव के साथ बुधवार की रात से ही धरना दे रहे थे।

पुलिस ने गुरुवार को पहले आंदोलनकारियों को महिला के अंतिम संस्कार के लिए मनाने की कोशिश की, जब किसान नहीं माने तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर शव को कब्जे में लेकर देर शाम अंतिम संस्कार करा दिया। इसके साथ ही पुलिस ने लगभग 50 आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया। गुरुवार की देर रात को पूर्व विधायक सरोज बाला बच्चन सहित 11 को जबलपुर केंद्रीय कारागार भेजा गया ।

महिला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग थी कि जिन अधिकारियों ने सुनिया बाई व गांव वालों को धमकाया था, उनके खिलाफ मामला दर्ज हो और जमीन अधिग्रहण का फैसला वापस लिया जाए तभी वे सुनिया बाई का अंतिम संस्कार करेंगे।

बरही के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम) विनय जैन ने   बताया कि कुछ लोग सुनिया बाई के परिजनों को अंतिम संस्कार नहीं करने दे रहे थे, लिहाजा पुलिस ने कार्रवाई कर सुनिया का अंतिम संस्कार उसके पति छक्का से कराया, साथ ही वे स्थिति सामान्य होने की बात भी कहते रहे।

आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज और गिरफ्तारियां होने के बाद बुजबुजा व डोकरिया में तनाव है। भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। इसके अलावा किसान अब भी आंदोलन की तैयारी में हैं।

विपक्षी दलों ने पुलिस की इस कार्रवाई की जमकर निंदा की है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने राज्य सरकार पर किसानों को छलने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि किसानों की सिंचित भूमि को असिंचित बताकर कम मुआवजा दिया जा रहा है। विरोध करने पर उन पर लाठियां बरसाई जाती हैं।

सिंह के अनुसार वे औद्योगिक विकास के विरोधी नहीं हैं, मगर किसानों को बर्बाद करना उचित नहीं है। सरकार को चाहिए कि खेती के लिए अनुपयोगी जमीन पर उद्योग लगवाए, मगर कटनी में किसानों  बर्बाद किये जा रहे हैं। इतना ही नहीं, वेलस्पन कम्पनी को कोल ब्लॉक नहीं मिला है, पर्यावरण विभाग की मंजूरी नहीं मिली है, इसके बावजूद सरकार जमीन अधिग्रहण करने में लगी है। किसान जान देने पर आमादा हैं, मगर सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।

जनता दल (युनाइटेड) के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद यादव ने सरकार से भूमि अधिग्रहण के फैसले को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बुजबुजा एवं डोकरिया गांव के 80 प्रतिशत किसान उद्योग के लिए जमीन अधिगृहित किए जाने के खिलाफ हैं।

यादव का आरोप है कि प्रदेश सरकार सिर्फ किसानों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाती है। यही कारण है कि दीपावली को एक महिला ने जान दी, वहीं भाईदूज के दिन आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज हुआ। उन्होंने लाठीचार्ज की न्यायिक जांच की भी मांग की है।

मध्य प्रदेश के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कटनी जिले में सुनिया बाई द्वारा आत्मदाह किए जाने की वजह, उद्योग के लिए जमीन का अधिग्रहण मानने से साफ इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि आत्महत्या की वजह पारिवारिक है और कुछ लोग राजनीतिक लाभ उठाने के लिए सरकार को बदनाम करने में लगे हैं।

विजयवर्गीय ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में सरकार का बचाव करते हुए कहा कि सुनिया बाई पारिवारिक हालात के चलते तनाव में थी और इसी वजह से उसने आत्महत्या की है। वहीं एक अन्य किसान रामप्यारे ने तनाव के चलते चूहामार दवा खाई है और उसका इलाज चल रहा है।

मंत्री का यह भी कहना था कि पिछले दिनों इंदौर में हुई इन्वेस्टर्स मीट (निवेशक सम्मेलन) से विरोधी घबराए हुए हैं और वे सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में जमीन अधिग्रहण को सुनिया बाई के आत्मदाह की वजह बता रहे हैं, जबकि ऐसा है नहीं।

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