नेचर

किल कर सकता है पेन किलर !

                 

(प्रियंका कुमारी)

माइकन जैक्सन की मौत ने दुनियां को हैरान कर दिया था । अपनी नृत्य क्षमता के दम पर सभी को झूमने पर मजबूर करने वाले नायक की अस्वाभाविक मौत के मूल में था पेन किलर । दर्द से फौरन छुटकारा पाने की चाहत में आज तमाम चेतावनियों के वावजूद धड़ल्ले से पेन किलर का इस्तेमाल हो रहा है । जरा सा दर्द भी भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग बर्दास्त नहीं करना चाहते । दवा सेवन के लिये, लोगों की सफाई में काम की व्यस्तता , समय की कमी , शरीर का सुकोमल हो जाना पेन किलर्स के प्रयोग के लिये तर्कसंगत नहीं है ।

 चिकित्सकों की मानें तो पेन किलर्स वे दवायें हैं जिनका प्रयोग दर्द से छुटकारा पाने के लिये किया जाता है। दरअसल पेन किलर रोग-मुक्ति का साधन नहीं है। यह तो वह प्रक्रिया है जिसमें दवा के इस्तेमाल से दर्द का ब्रेन को जाने वाला सिग्नल अवरुद्द हो जाता है और मरीज को यह अहसास होता है कि उसे अब दर्द से बिल्कुल छुटकारा मिल गया है। दवा का असर खत्म होते ही तकलीफ जहां  की तहां रह जाती है साथ ही दवाओं के लागातार इस्तेमाल से इंसान इसका आदि हो जाता है। व्यक्ति का शरीर और मस्तिस्क पेन किलर पर पूरी तरह निर्भर हो जाता है। ऐसा मानना है कि यदि कोई व्यक्ति अपने पूरे जीवन काल में 1000 से अधिक पेन किलर्स का इस्तेमाल करता है तो उसके किडनी खराब होने की संभावना 99 प्रतिशत तक निश्चित हो जाती है।

पेन किलर्स में पाये जाने वाले तत्व, नारकोटिक्स और नान नारकोटिक्स किडनी के साथ साथ लिवर को भी नुकसान पहुचातें हैं। पेन किलर के लागातार इस्तेमाल से मरीज में ब्लडप्रेशर कम होना , सुस्ती , उल्टी सा लगना कब्जियत एवं और भी दूसरी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं।

डाक्टरों का सख्त निर्देश होता है कि बिना चिकित्सकों की सलाह के कभी पेन किलर न लें । खास तौर से दिल की बीमारी , ब्लड प्रेशर , डायबिटिज एवं किडनी के मरीज कभी भी बिना अनुमति पेन किलर का इस्तेमाल न करें । अत्यंत आवश्यक होने पर पेन किलर को पानी के साथ ही लें। यूं तो किसी भी दवा का इस्तेमाल खतरनाक होता है परंतु शरीर को सर्वाधिक नुकसान पेन किलर्स से ही होता है। छोटी मोटी तकलीफों में प्राकृतिक तरीके से रोग मुक्ति का उपाय करना चाहिये । अत्यंत आवश्यक होने पर ही पेन किलर लें वह भी डाक्टरों की देखरेख में ।

एस्पिरिन नामक दर्द निवारक दवा आज लोगों की जिंदगी में रोजमर्रा की जरुरतों में शामिल है। बिना किसी सलाह के लोग इस दवा का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। चिकित्सकों के अनुसार यह दवा मनुष्य के शरीर पर सबसे बुरा असर डालती है। इसके दुष्रभाव को ऐसे भी समझा सकता जा सकता है कि यदि व्यक्ति लागातार इसका सेवन करता है तो उसका खून विषैला हो सकता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता का निरंतर ह्रास उसे मौत के करीब पहुंचा सकता है। चिकित्सकों एवं मनोंचिकित्सकों की राय पर यदि गौर फरमाया जाये तो एक ही बात निकल कर सामने आती है कि दर्द से फौरन छुटकारा पाने की चाहत कहीं, इन दवाओं का आदि न बना दे । पेन किलर का सेवन अल्कोहल का विकल्प नहीं है। इसकी लत अच्छी नींद लाने का उपाय भी नहीँ है। यह तो मरीजों को मजबूरी में दी जाने वाली वह दवा है जब असहनीय दर्द का कोई विक्लप नहीं बचता ।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

3 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button