भारतीय टेलीविजन की दुनिया में धीरज कुमार जी का योगदान अतुलनीय है: विजय के सैनी

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राजू बोहरा, नयी दिल्ली,

छोटे पर्दे के दर्शको के लिए निर्देशक विजय के सैनी  का  नाम किसी खास परिचय का मोहताज नहीं है वह। पिछले करीब दस वर्षों से धारावाहिकों के निर्देशन में सक्रिय हैं और प्राइवेट चैनलों से लेकर दूरदर्शन तक के दर्जनों लोकप्रिय धारावाहिकों का सफल निर्देशन कर चुके हैं। दूरदर्शन के लोकप्रिय धारावाहिक  आम्रपाली से बतौर सहायक निर्देशक के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले विजय के सैनी अब तक बतौर निर्देशक ‘कहानी घर –घर की’, ‘कसम से’, ‘करम अपना अपना’, ‘गणेश लीला’, ‘कयामत’, ‘ख्वाहिश’, ‘क्या दिल में है’, ‘विवाह’, ‘जय माँ वैष्णो देवी’ और ‘साथ-साथ’ , जैसे स्टार प्लस, सोनी टीवी, जी टीवी, सहारा वन, नाइन ऐक्स, और दूरदर्शन के आधा दर्जन से ज्यादा नामी गिरामी चर्चित धारावाहिकों का निर्देशन कर चुके हैं और वर्तमान समय में भी वह एक साथ दो लोकप्रिय डेली सोप धारावाहिकों सहारा वन के नियति और दूरदर्शन के शो, कभी तो मिल के सब बोलो का निर्देशन कर रहे हैं।

सहारा वन के लिए इस लोकप्रिय डेली सोप नियति का निर्माण जहां बॉलीवुड के मशहूर निर्माता, निर्देशक धीरज कुमार कर रहे हैं वहीं दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल डी डी नेशनल पर आफटर नून में सोमवार से शुक्रवार दोपहर 2 .30 बजे प्रसारित होने वाले डेली सोप कभी तो मिल के सब बोलो, का निर्माण अभिनेता से निर्माता बने करन आनंद कर रहे हैं, जो यशराज फिल्म्स की आनेवाली नयी चर्चित फिल्म और सुनील दर्शन की एक नयी फिल्म में भी बतौर अभिनेता काम कर रहे है।

निर्देशक विजय के सैनी ने तेवरऑनलाइन के लिए वरिष्ठ फिल्म.टीवी पत्रकार राजू बोहरा से एक खास बात चीत में बताया कि उनके द्वारा निर्देशित दोनों ही धारावाहिकों को दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं, जहां सहारा वन का नियति जल्द ही 600 एपिसोड का लंबा सफर पूरा करने जा रहा है वहीं दूरदर्शन का डेली सोप ‘कभी तो मिल के सब बोलो’  भी अपना पहला शतक जल्द पूरा करने जा रहा है। निर्देशक विजय के सैनी के अनुसार ‘नियति’ से ‘कभी तो मिल के सब बोलो’ एकदम अलग तरह का शो है लेकिन दोनों ही शो बेहद दिलचस्प विषय पर केन्द्रित है। ‘नियति’ जहां एक काम काजी लड़की के संघर्ष की कहानी है वहीं ‘कभी तो मिल के सब बोलो’ ग्रामीण पृष्ठ भूमि पर आधारित एक गंभीर शो है जो ग्रामीण पंचायती राज व्यवस्था भष्ट्रचार ग्रामीण राजनीति, साक्षरता, और महिला सशक्तिकरण जैसे तमाम गंभीर मुद्दों पर रोशनी डालता है और साथ ही राष्ट्रीय एकता का सामाजिक संदेश भी देता है। धारावाहिक में साधना सिंह, राजेश विवेक, सुधीर दलवी , करन आनंद और गीतांजली मिश्रा जैसे जाने माने कलाकार अभिनय कर रहे हैं।

बतौर निर्देशक कुछ ही वर्षो में छोटे पर्दे पर टेलीविजन इंडस्ट्री में अपनी पुख्ता पहचान बनाने वाले विजय के सैनी मूल रूप से उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के रहने वाले हैं और उन्होंने इलाहाबाद विश्वविधालय से ही अपनी शिक्षा पूरी की उनका बचपन से ही फिल्मों से लगाव रहा है इसलिए वो इलाहाबाद के एक थियेटर ग्रुप से जुड़ गए और उसके बाद अपने फिल्मी कैरियर को गति देने के लिए विजय के सैनी ने भारतेन्दु नाट्य एकेडमी लखनऊ से दो वर्ष का विधिवत प्रशिक्षण लिया और डिप्लोमा लेने के बाद 2001 में वह मुंबई आ गए। मुंबई आने के बाद शुरुआत में उन्होंने कुछ समय के लिए अभिनय के क्षेत्र में भी संघर्ष किया और अपनी सच्ची लगन और मेहनत से कुछ ही वर्षो में निर्देशन में जुड़ गए और अपनी मेहनत से आगे बढते चले गए। बतौर निर्देशक विजय के सैनी की असली निर्देशन प्रतिभा को पहचाना बालाजी टेलीफिल्म की एकता कपूर ने। विजय के सैनी ने बालाजी टेली फिल्म के कई हिट शो का निर्देशन किया और उसके बाद वह धीरज कुमार से जुड़ गए तथा धीरज कुमार ने उन्हें एक के बाद एक कई बड़े निर्देशण करने के लिए दिए। इसका सबसे पुख्ता प्रमाण है सहारा वन, का डेली सोप ‘नियति’, जिसे विजय के सैनी कई वर्षो से डायरेक्ट कर रहे हैं।

धीरज कुमार के साथ काम करने के अपने अनुभव के बारे में विजय कहते है ये मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है कि मैं उनके कई शो को कई सालों से डायरेक्ट कर रहा हूँ। एक डायरेक्टर के तौर पर मैंने उनसे बहुत कुछ सिखा है और अभी भी सीख रहा हूँ। भारतीय टेलीविजन की दुनिया में धीरज कुमार जी का योगदान अतुलनीय है। उनके द्वारा प्रस्तुत किये गए धारावाहिकों को हिंदुस्तानी दर्शक कभी भुला नहीं पायेगे। धारावाहिकों के बाद विजय के सैनी का अगला लक्ष्य फिल्म निर्देशन का है जिसके लिए उन्होंने प्रयास भी शुरू कर दिया है। उन्हें उम्मीद है कि छोटे पर्दे की तरह बड़े पर्दे पर भी एक दिन सफलता जरुर मिलेगी।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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