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खुशबू उत्तम के मनमोहक गीतों से झूमा समूचा पंडाल

खीरी प्रयागराज छठ महापर्व उत्सव के उपलक्ष में एम आर एस एजुकेशनल ट्रस्ट एवं युवा शक्ति संघ द्वारा बाबू तारा में बड़ा ही मनोरम कार्यक्रम आयोजित किया गया l जिस कार्यक्रम में भोजपुरी इंडस्ट्री के मशहूर कलाकारों ने अपने बेहतरीन गीतों के माध्यम से पंडालों में उपस्थित महिलाओं, बच्चों, युवाओं और मुख्य अतिथि जन को झूमने पर मजबूर कर दिया l कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर गायिका खुशबू उत्तम ने”बहंगी लचकत जाए”प्रसिद्ध छठ गीत से प्रारंभ किया l पारंपरिक गीतों ने पूरी रात लोगों को बांधे रखा l मशहूर गायिका खुशबू उत्तम के साथ-साथ अमित यादव, बाल कलाकार आर्यन बाबू, विमल तन्हा, दीपक चौबे संघ रोहित रंगरसिया ने अपने गीतों के माध्यम से लोगों को छठ मैया के बारे में और उनकी कृपा का वर्णन किया l कार्यक्रम को देखने हेतु आसपास के दर्जनों गांव से लोगों का जमावड़ा शाम होते ही लग गया l जिसके लिए युवा शक्ति संघ एवं एमआरएस एजुकेशनल ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं द्वारा औरतों एवं पुरुषों को बैठने हेतु उचित व्यवस्था की गई l कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला पंचायत सदस्य राजेश पटेल, ग्राम प्रधान अनिल कुशवाहा, अखिलेश यादव, अजय कुशवाहा द्वारा मंच के माध्यम से उक्त कार्यक्रम एवं कार्यकर्ताओं की भूरी भूरी प्रशंसा की गई और साथ ही साथ अगले वर्ष और अच्छी व्यवस्था के साथ छठ पर्व मनाने की घोषणा भी की गई l कार्यक्रम के मुख्य संयोजक संजय भूषण पटियाला द्वारा कार्यक्रम को सफल रूप से संचालित करने हेतु उपस्थित अतिथियों द्वारा धन्यवाद घोषित किया गया l उक्त मौके पर मुख्य रूप से अजय कुशवाहा, चंद्रभूषण, शिव बालक, राजू कुशवाहा, धनजी शर्मा, नीरज मोर्य, संजीव कुशवाहा, राजीव भूषण, राजेश राव, दशरथ मौर्य, प्रमोद सिंह, अजय कुशवाहा, अशोक कुशवाहा, राजबहादुर, रंगजी कुशवाहा, मदन सिंह, हरी भूषण,अजीत सिंह,जयप्रकाश सिंह,मनोज सिंह,संदीप चौरसिया,मनीष पंडा सहित हजारों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुष मौजूद रहे l

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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