चीन की बढ़ती घुसपैठ और अगंभीर मीडिया

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प्रमोद दत्त
पटना में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक का पहला दिन. दोपहर और शाम-पार्टी प्रवक्ता का संवाददाता सम्मेलन. प्रेस वार्ता में नरेन्द्र मोदी प्रकरण हावी. नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार के साथ-साथ छपी तस्वीर पर लालू प्रसाद की प्रतिक्रिया और नीतीश कुमार की आपत्ति फिर मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित भाजपा नेताओं के भोज का रद्द होना. संवाददाता सम्मेलन में पत्राकारों के सारे सवाल जदयू-भाजपा के बीच उठे इस नए विवाद के इर्द-गिर्द. खबरिया चैनल से लेकर प्रिंट मीडिया तक में इसी खबर को प्रमुखता. अगले दिन भी संवाददाता सम्मेलन में इसी विवाद पर अध्कितर प्रश्न.

संसद में प्रमुख विपक्ष भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में महंगाई, आतंकवाद, नक्सलवाद, भोपाल गैस त्रासदी, केन्द्र-राज्य संबंध जैसे गंभीर मसलों पर विचार-विमर्श हुआ और प्रस्ताव पारित किए गए. लेकिन भाजपा-जदयू के विवाद के सामने इन मुद्दों पर मीडिया की खास रूचि नहीं दिखाई दी. भाजपा-जदयू के रिश्ते से तत्काल बिहार में सरकार प्रभावित होती जबकि विचार-विमर्श के अन्य मुद्दे देश से जुड़े थे. देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर जब पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूढ़ी महत्वपूर्ण व गंभीर बातें बता रहे थे तो अधिकतर मीडिया कर्मियों ने नोटिस नहीं लिया. भारतीय सीमा में चीन की बढ़ती घुसपैठ पर विगत जनवरी’10 में भाजपा अध्यक्ष द्वारा गठित पार्टी की उच्चस्तरीय जांच टीम के स्थल दौरे की जानकारी राजीव प्रताप रूढ़ी दे रहे थे, जो खुद भी उस टीम के सदस्य थे. 1962 युद्ध के बाद चीन अरूणाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर, लद्दाख की सीमा में जो अवैध तरीके से घुसपैठ कर रहा है, रूढ़ी इसकी जानकारी दे रहे थे. भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षतावाली इस टीम द्वारा स्थल निरीक्षण के बाद तैयार अंतरिम रिपोर्ट राष्ट्रीय कार्यसमिति में प्रस्तुत की गई थी. भाजपा टीम ने हिमालय के ऐसे दुर्गम क्षेत्रों का दौरा किया जहां आज तक कोई भारतीय जनप्रतिनिधि पहुंचा ही नहीं है. इससे संबंधित स्लाइड जल्दीबाजी में इसलिए दिखाए गए क्योंकि अधिकतर मीडियाकर्मियों की रूचि नहीं थी. राजीव प्रताप रूढ़ी ने भी मीडियाकर्मियों की मानसिकता को पढ़कर जल्दीबाजी में ही पूरी जानकारी देने की कोशिश की. मीडियाकर्मियों का यह व्यवहार सिर्फ इसीलिए क्योंकि भाजपा कार्यसमिति बैठक के पहले दिन के विवाद से उत्पन्न भाजपा-जदयू के रिश्ते की कड़ुवाहट ने उन्हें ‘हाट न्यूज’ दे दिया था.

अभी हाल में एक समाचार पत्र में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का देशवासियों के नाम पत्रा छपा. उन्होंने देश को महान बताते हुए उन बुराइयों की ओर हमारा ध्यान दिलाया जिसे दूर करने की जरूरत है. उन्होंने भारतीय मीडिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि हम नकारात्मक होते जा रहे हैं. इस संदर्भ में उन्होंने कुछ विदेशी अखबारों का उदाहरण भी दिया.

हर भारतीय को देश की एकता, सुरक्षा और सम्मान का पाठ पढ़ाया जाता है. पहले देश तब राजनीति और इसके बाद ही जाति-धर्म। राजनीति की मर्यादा और राजनीतिबाजों के चरित्र में आई गिरावट की चर्चा हम अक्सर करते हैं. इसके बावजूद जब कभी देश पर संकट होता है तब पक्ष-विपक्ष के राजनीतिबाज इस मसले पर एकमत हो जाते हैं. देश का हर नागरिक भी आपसी मतभेद भुलाकर एकमत हो जाते हैं. फिर हम मीडियाकर्मियों को क्या हो गया है? टीआरपी की ऐसी चिंता कि भारतीय होने का आत्मसम्मान भी भूल जाएं. जब हम भाजपा-जदयू विवाद, नरेन्द्र मोदी प्रकरण या भोज प्रकरण को तरजीह दे रहे थे तब भूल गए कि चीन की बढ़ती घुसपैठ, सीमा सुरक्षा या देश की सुरक्षा से संबंधित गंभीर मसले की प्रमाणिक जानकारी को चाहे-अनचाहे हम हाशिए पर कर दे रहे हैं.

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बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले को सबसे पहले समग्र रूप से दुनिया के सामने लाकर खोजी पत्रकारिता को नया आयाम दिया। घोटाला उजागर होने से लगभग छह वर्ष पहले ही इन्होंने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में जिन तथ्यों को उजागर किया था, सीबीआई जांच में वे सारे तथ्य भी जांच के आधार बनाये गये। लगभग तीन दशक से निर्भीक और बेबाक पत्रकार के रूप में शुमार और अपने चहेतों के बीच चलता-फिरता इनसाइक्लोपिडिया कहे जाते हैं। इनकी राजनीतिक समझ तमाम राजनीतिक विश्लेषकों से इन्हें चार कदम आगे रखता है। तथ्यों को पिरोते हुये दूरगामी राजनीतिक घटनाओं को सटीक तरीके से उकेरते हैं।

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