जर्नलिज्म वर्ल्ड

“निमंत्रण” विकास संवाद का पांचवा मीडिया विमर्श

12, 13 और 14 मार्च 2011

सूखे में समाज, विकास संवाद का पांचवा मीडिया विमर्श

बदलावकारी संवाद और सघन हस्तक्षेप के जरिये विकास संवाद कोशिश करता है कि मीडिया लोगों, व्यवस्था और समाज के मूल सवालों को मूल कारणों के परिप्रेक्ष्य में देखें और बहस का हिस्सा बने। मीडिया यानी सूचना और विश्लेषण का व्यापक माध्यम; जिस पर इस समाज को विश्वास करना चाहिये। परन्तु आज वह खुद सवालों के दायरे में है। पिछले 6 वर्षों में हमने विकास संवाद में यह प्रयास किया है कि मौजूद और नैपथ्य में छिपे हुये मुद्दों को पहचानें, उनके बारे में जानकारियां इकट्ठा करें; उनका विश्लेषण करें और मीडिया लेखन के रूपों में ढालें। पत्रकार उन मुद्दों के करीब आये। इस दौरान 150 से ज्यादा छोटे-छोटे दस्तावेज तैयार किये, कुछ अध्ययन किये, अधिकृत स्रोतों से सूचनाओं को जुगाड़ा और जमीन पर बिखेरने की कोशिश की। इसके बाद पत्रकारों से संवाद भी किया और उनके साथ गांवों, जंगलों और शहरी झुग्गी बस्तियों में घूमे। संख्या के कोई मायने नहीं कि कितने पत्रकारों के साथ !

इसी कड़ी में वर्ष 2005 से हमने एक काम किया कि जिन पत्रकारों के साथ हम संवाद कर रहे हैं उनके साथ जिला, अंचल और राज्य स्तर पर सामूहिक रूप से मिल बैठें। शुरूआत अनौपचारिक और बे-एजेण्डा बैठकों से हुई। अब तक चार राज्य स्तरीय (जिनमें बिहार, दिल्ली, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों के पत्रकार साथी भी आये) मीडिया विमर्श विकास संवाद ने आयोजित किये हैं। पिछले वर्ष हम महेश्वर में थे जहां बांध, विस्थापन और विकास के गठजोड़ पर बात हुई और समाज से पत्रकारों का संवाद हुआ। इस बार हम बुंदेलखण्ड की तरफ मुड़े हैं। मकसद है सूखे के संकट में फंस रहे समाज की तड़प को महसूस करना।

इस मर्तबा बुंदेलखण्ड केन्द्रित संवाद में खाद्य सुरक्षा, आजीविका, खेती और पर्यावरण के संकट पर बात करने के साथ-साथ हम यह भी देखने की कोशिश करेंगे कि यह संकट क्यों साकार हुआ और इसे निराकरण करने के कौन से विकल्प हैं!! विकल्प हैं बिल्कुल वही जहां समाज सूखे के संकट से जूझ रहा है। पर्यावरण से जुड़ी जिम्मेदार खेती ने सूखे को हराया है। छतरपुर के गांधी आश्रम में जहां हम सब 12, 13, 14 मार्च 2011 को इकट्ठा होने वाले हैं । वहां की खेती को पाला, कड़ाके की ठण्ड, नुकसान नहीं पहुंचा सकी क्योंकि वहां पर्यावरण से सामंजस्य रखने वाली खेती हुई है। हम चाहते हैं कि इस बार विकास संवाद के मीडिया विमर्श में पत्रकार और सूखे के संकट से रचनात्मक ढंग से लड़कर जीतने वाले लोग एक साथ बैठें। और मीडया तय करे कि वह कौन सा पक्ष अख्तियार करेगा।
आप आयेंगे तो बहुत अच्छा होगा।
विकास संवाद के सभी साथी

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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One Comment

  1. Dear sir
    Greeting from sunil
    I appreciate your efforts for environment and farmers practices . we work since last 2 years for promote responsible farming in central india and apply in field for adoptation of farmers for sustainable agriculture in bundelkhand region . at that time more than 8000 farmers attach in this movement and 2500 farmers is only from Chhatarpur region . if your participiant are happy to see sustainable model of agriculture in chhhatarpur region than contact to our Team Leader Mr. Praveen Sharma . I wait for your prompt reply .
    Thanks & Regards
    Sunil Kumar Jain
    Programme Co- ordinator SOYPSI
    Action For Social Advancement ( ASA)
    E 5/A area colony Bhopal .
    Contact No 9893425279

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