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फिल्म ‘एक छैला छह लैला’ बिहार और झारखंड में हुई रिलीज़, दर्शक दे रहे है खूब प्यार

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में एक बार फिर से फिल्म रिलीज़ का सिलसिला शुरू हो गया है। इस सप्ताह बिहार में रिलीज़ हुई फिल्म ‘एक छैला छह लैला’ को दर्शको का काफी प्यार मिल रहा है। मल्टीस्टारर इस फिल्म को लेकर फैंस पहले से ही काफी उत्त्साहित थे और अब फिल्म के रिलीज़ होने के बाद फिल्म दर्शक भारी मात्रा में देखने सिनेमाघरों तक पहुंच रहे है। बिहार और झारखंड में रिलीज़ हुई इस फिल्म में राजीव सिंह और जोया खान लीड रोल में हैं। और दोनों की केमस्ट्री दर्शको को खूब पसंद भी आ रही है। ज़ोया खान जो भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की जान बन गयी है उनकी इस फिल्म को देखकर दर्शक काफी तारीफ़ कर रहे है।

यह फिल्म प्रियदर्शनम प्रोडक्शन के बैनर तले बनी है । इस फिल्म के ट्रेलर को दर्शकों ने बहुत पसंद किया था, फिल्म का ट्रेलर प्रियदर्शनम प्रोडक्शन के ही ऑफिशियल यूट्यूब चैनल से रिलीज किया गया। अपने अनोखे नाम के साथ इस फिल्म के प्रति लोगों में पहले ही उत्सुकता बनी हुई है। फिल्म के निर्माता प्रियेंद्र सिंह और लेखक निर्देशक रजनीश त्यागी हैं।

बात करे फिल्म की , तो यह पूरी तरह से एक्शन पैक्ड फिल्म के साथ एक मनोरंजक फिल्म भी है। जिसमे एक्टर राजीव सिंह का अंदाज और अभिनय खूब पसंद किया जा रहा है। फिल्म की कहानी दो रसूखदार खानदान के बीच अहंकार के टकराव को प्रदर्शित करता मालूम पड़ता है। इसी बीच राजीव सिंह उन्हीं के परिवार की लड़कियों के साथ फ्लर्ट करते नजर आते हैं।

इस फिल्म की शूटिंग गुड़गांव में की गई है। फिल्म में राजीव सिंह और जोया खान लीड रोल में हैं, जबकि फिल्म में सोनालिका प्रसाद ,अन्नू पांडेय ,बृजेश त्रिपाठी,उमेश सिंह,राज चौहान और संजय भूषण पटियाला जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म में गीत झूलन झील का और संगीत मधुकर आनंद का है। फिल्म के पीआरओ संजय भूषण पटियाला हैं। आर्ट डायरेक्टर श्याम लाल हैं। कोरियोग्राफर स्वर्गीय मयंक श्रीवास्तव हैं। डीओपी राकेश तिवारी हैं और एक्शन हीरा यादव ने किया है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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