बस एक क्लीक… और दुनिया आपके सामने
भूमिका कलम. भोपाल
आखों के रंगीन सपनों से अलग है…. हकीकत की कहानियों भरी उनकी दुनिया। यह कहानियां उन्होंने शब्दों में नहीं तस्वीरों से बुनी है।
ग्वालियर, भींड और मुरैना जिलों की 29 लड़कियां अपने गांव की गलियों से लेकर आसपास के क्षेत्र की खुबसूरती के साथ उन समस्याओं पर बरबस ही ध्यान आकर्षित कर लेती हैं जिन्हें आमतौर पर शब्दों में भी नहीं कहा जाता।
वे जानती हैं किं यहां लिंगानुपात और लिंग भेद बड़ा मुद्दा है और उसपर घर से बाहर आकर कैमरा चलाना आसान नहीं होगा, लेकिन विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम मिलने के बाद वे दूसरों से बेहतर और आत्मविश्वास से सराबोर हैं। इन स्कूली छात्राओं ने अवसर मिलने पर घरवालों से विरोध के वाबजूद भी कैमरा चलाने का न सिर्फ प्रशिक्षण लिया बल्कि कई ने इसे ही आगे चलकर रोजगार बनाने की भी ठानी है।
महिला बाल विकास विभाग ने यूनिसेफ के माध्यम से ग्वालियर चंबल संभाग में किशोरियों के लिए कैमरा प्रशिक्षण का आयोजन किया था जिसके बाद 29 लड़कियों भविष्य में फोटोग्राफी के लिए भी कैमरा दिए गए। मप्र में यूनिसेफ प्रमुख तानिया गोल्डन के अनुसार प्रदेश में युवा पीढ़ी को मजबूत बनाने के लिए किशोरावस्था में अवसर दिए जाने चाहिए। हाल ही में यूनिसेफ द्वारा जारी विश्व स्तर पर “किशोरावस्था, अवसरों की आयु ” पुस्तक की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि प्रदेश में एक करोड़ 34 लाख किशोरियां हैं जो जनसंख्या का ना सिर्फ बड़ा भाग हैं बल्कि प्रदेश का भविष्य है। इसलिए इन्हें आवश्यक अवसर दिए जाएंगे।
कैमरे की लाइट से अंधेरा दिखाना है...
कक्षा बारहवीं की जया अग्नीहोत्री का कहना है कि कैमरे की लाइट से वे उस अंधेरे को भी अभिव्यक्त करना चाहती है जिसके कारण पढ़ाई में बाधा आती है। गांवों में घंटों बिजली की कटौती हो या, सड़कों की समस्या, खेत की लहलहाती फसलों की खुबसूरती या ग्रामीण इलाकों की उपलब्धि वे सभी को फोटो से अभिव्यक्त करने का विश्वास रखती है।
क्यों नहीं हर गांव में स्कूल?
मुरैना जिले के गांव की निलम शर्मा 11 वीं की छात्रा हैं लेकिन वे अब उन साथियों के लिए सवाल करती हैं कि जिन्हें स्कूल गांव से दूर होने के कारण न चाहते हुए भी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। निलम का कहना है कि वे साथियों की इन परेशानियों को भी उजागर करना चाहती है जो स्कूल नहीं जाने के कारण मजदूरी के लिए मजबूर है।
बच्चियों को घर से निकालना भी चुनौती
ग्वालियर चंबल डिविजन में महिला बाल विकास के संयुक्त संचालक सुरेश तोमर ने बताया कि किशोरियों को इस अवसर देने में यूनिसेफ को सहयोगी बनाया गया है। साथ ही भविष्य में भी ऐसे अवसर मिलें इसके लिए बच्चियों द्वारा खींचे गए फोटो की पुस्तिका बनाई गई है। जिसका विमोचन शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया। स्कूलों में एनएसएस के कोआर्डिनेटर विजय शर्मा के अनुसार इन इलाकों में बच्चियों को घर से बाहर लाना एक बड़ी चुनौती है। माता पिता की लंबी काउंसलिंग के बाद ही 29 लड़कियों को ट्रेनिंग के लिए ग्वालियर ले जा सके।
AAPKA PRAYAS BEHAD SARAHNIYA HAI. MERI SHUBHKAMNAYEN SWEEKAR KIJIYE
AAPKA SHUBHECHHU
SUNIL CHINCHOLKAR
SR SUB EDITOR
DAINIK BHASKAR. BILASPUR
9713559988