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बिहार की गंदी सियासत पर ‘केजरीवाल का झाड़ू’ चलाएंगे वी. राज बाबूल

पटना। पटना के सत्ता के गलियारों और चौक-चौराहों से पत्रकारिता की शुरुआत करके देश की राजधानी दिल्ली के लोकसभा और राज्यसभा की खबरों को मजबूती से कवर करने वाले पत्रकार वी. राज बाबुल ने सियासत की दुनिया में कदम रखा है। अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन के दौरान अरविंद केजरीवाल की कार्यप्रणाली से वह बहुत पहले से ही प्रभावित थे। यहां तक कि इस आंदोलन में वह अपने स्तर से काफी सक्रिय रहे थे। अब उन्होंने विधिवत आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है। पत्रकारिता में उनके तर्जुबे, काबिलयत और नेतृत्व कौशल को देखते हुये उन्हें आम आदमी पार्टी की ओर से बिहार में मीडिया प्रभारी के तौर पर कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया है।

पत्रकारिता के शुरुआती दिनों में ही वी. राज बाबुल ने महसूस कर लिया था कि स्वतंत्र पत्रकारिता करने के लिए अपने बल बूते पर खड़ा होना जरूरी है। आम पत्रकारों की तरह उन्होंने मीडिया हाऊसों की नौकरी तलाश करने में समय गंवाने के बजाये खुद अपनी राह बनाने की दिशा में चलने का निर्णय लिया। पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान पत्रकारिता के छात्रों के लिए यंग ओपियन पत्रिका का सफल संपादन और प्रबंधन करके उन्होंने साबित कर दिया था कि उनके अंदर न सिर्फ एक सफल पत्रकार होने के गुण मौजूद थे बल्कि प्रबंधन और नेतृत्व कौशल में उनकी कोई सानी नहीं है।

कहा जाता है कि उड़ान के लिए सिर्फ परवाज की नहीं है बल्कि बुलंद हौसले की भी जरूरत होती है। इनके बुलंद हौसलों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पत्रकारिता के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने पत्रकारों और पत्रकारिता के हितों की रक्षा के लिए यंग ओपिनियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन की स्थापना भी कर डाली। उनके कुशल नेतृत्व में यह संगठन पत्रकारों के हकों और आजादी की लड़ाई सतत लड़ता आ रहा है। चुंकि बड़े-बड़े मीडिया हाउसों की छतरी तले इन्होंने काम न करने का फैसला कर लिया था इसलिए अपनी पत्रकारिता की धार को बरकरार रखने के लिए इन्होंने अपनी खुद की पत्रिका आकलन और राज माया का प्रकाशन शुरु किया। अपनी उड़ाने के आगे बिहार के आसमान को सिकुड़ता देखकर इन्होंने दिल्ली का रुख किया। दिल्ली में भी पत्रकारिता के सामान्य ढर्रे पर चलने के बजाये अपनी अलग राह बनाने की जी तोड़ कवायद करते रहे। इसका नतीजा भी जल्द ही सामने आया। देखते देखते इनकी इंड्री न सिर्फ डायरेक्ट राष्ट्रपति भवन में होने लगी बल्कि राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के कार्यक्रमों पर डोक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की जिम्मेदारी भी इन्हें सौंप दी गई। राष्ट्रपति ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के जीवन पर इन्होंने कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाई जिन्हें काफी सराहा गया।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पहली बार वी. राज बाबुल अन्ना आंदोलन के दौरान प्रभावित हुये। इस आंदोलन में वह काफी सक्रिय रहे और कई बार उन्हें नजरबंद भी किया गया। इसके बावजूद आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी बनी रही।

इस आंदोलन के देश की राजनीति में तेजी से बदलाव आया। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी और देखते-देखते पूरे देश की आवो-हवा बदलने लगी। ऐसे हालत में जब पूरे देश में प्रधानमंत्री मोदी का डंका बज रहा था आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने ठीक पीएम मोदी के नाक नीचे दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने और उसे चलाने में सफल रहे। दिल्ली की अवाम के लिए अरविंद केजरीवाल द्वारा किये गये कार्य ने वी. राज बाबुल को लगातार अपनी ओर आकर्षित किया। यहां तक अपनी काम के बदौलत अरविंद केजरीवाल दोबारा वहां के मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे।

कारोना बीमारी के वजह से पूरे देश में लॉक डाउन लगा तो वी. राज बाबुल ने कुछ समय के लिए बिहार का रूख किया। यहां आने के बाद उन्हें इस बात का अहसास हुया कि बिहार में अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। पारंपरिक सियासतदानों की बयानबाजी और आरोप प्रत्यारोपों वाली राजनीति की हकीकत से वह अच्छी तरह से वाकिफ थे। इसलिए वह उन लोगों के साथ जाने में सहज महसूस नहीं कर रहे थे। लेकिन जब बिहार में आम आदमी पार्टी का विकल्प उनके सामने आया तो हाथ में झाड़ू उठाकर राजनीतिक गंदगी को साफ करने में उन्हें जरा भी हिचक महसूस नहीं हुई। आम आदमी पार्टी के बिहार मीडिया प्रभारी के तौर पर उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया है और अब वह अपनी पूरी ताकत के साथ बिहार में आम आदमी की सरकार बनाने के लिए कमर चुके हैं।

 

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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