लिटरेचर लव

भारत की अति पुण्य-भूमि है (कविता)

अरविन्द सिंह मोनू,

भारत की अति पुण्य- भूमि है

मोक्ष की गति द्वार ही है

अहिल्या को जहाँ जीवन मिला

बुध को जहाँ ब्रह्म-ज्ञान मिला

वह गौतम- स्थान यहीं है

वह गया – धाम यहीं है

शिव-शम्भू जहाँ स्वयं बिराजे

जहाँ पुरुषोत्तम श्री राम पधारे

बैजनाथ की नगरी यहीं है

शरथ की जनकपुरी यहीं है

भारत की अति पुण्य-भूमि है

मोक्ष की गति द्वार यहीं है

जहाँ विश्व विजयी आकर हारा

जिसके सपूत ने अंग्रेजों को ललकारा

वह वीर-भूमि मगध यहीं है

वह वीर-भूमि सारण यही है

जहा रश्मिरथी की रचना हुई

जहाँ बिस्मिल्लाह की शहनाई बजी

दिनकर का सिमरिया घाट यहीं है

उस्ताद का डुमराव यहीं है

भारत की अति पुण्य-भूमि है

मोक्ष की गति द्वार यहीं है

जय हो जय हो अपना बिहार!

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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