लिटरेचर लव
लिखे थे आप पे मैंने, वही क़लाम भेजा है (कविता)
मेरी नज़र ने आपको, मेरा सलाम भेजा है,
क़ुबूल है इश्क आपका, यही पयाम भेजा है।
जो ख़त लिखे थे आपने, उसे महफूज़ रक्खा है,
हर एक हार्फ मेरी दौलत, यही पयाम भेजा है।
न डर है मुझको, जमाने की, तल्खियोँ से अब,
यही ज़ुर्रत, ये होसला, यही अंजाम भेजा है।
मिले थे जब हम एक गुलाब का तोहफा था मिला,
वही गुलाब सी रंगीन, एक शाम भेजा है।
मिले थे मखमली सी शाम की दहलीज़ पे हम,
लिखे थे आप पे मैंने, वही क़लाम भेजा है।