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सड़कों पर दौड़ते मौत के परवाने

दिल्ली की सड़कों पर तेज रफ्तार बाइकर्स लगातार परेशानी का सबब बने हुये हैं। ये लोग खुद की जान को तो जोखिम में डालते ही हैं, दूसरों की जान की •ाी परवाह नहीं करते। अब तो ये  बाइकर्स पुलिस महकमे को •ाी गं•ाीर चुनौती दे रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इन हुड़दंगी बाइकर्स की वजह से दिल्ली आतंकित है। खतरनाक तरीके से स्टंट करने के साथ-साथ राहगीरों के साथ लूटपाट करने से •ाी गुरेज नहीं करते हैं। गत शनिवार की रात को जिस तरह से इन लोगों ने विंडसर पैलेस के पास स्टंट करने के दौरान पुलिस द्वारा चेतावनी देने पर पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया, उससे इनके बढ़े हुये हौसले का अंदाजा लगाया जा सकता है। पुलिस द्वारा जवाबी कार्रवाई में एक बाइक सवार मौके पर ही हलाक हो गया। इस बात को लेकर पुलिस की जबरदस्त आलोचना हो रही है। मीडिया में पुलिस को गैर जिम्मेदार और कातिल ठहराने की होड़ सी लगी हुई है। मजे की बात है कि कुछ दिन पहले हुड़दंगी बाइकर्स  की एक टोली जब इंडिया गेट के पास हंगामा मचा रही थी और पुलिस वाले हाथ पर हाथ धरे बैठे हुये तब •ाी पुलिस की जबरदस्त आलोचना की गई थी। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर मौत से खेलने वाले इन हुड़दंगी बाइकर्स से निपटने का सही तरीका क्या है?
पुलिस की कहानी
दिल्ली में हुड़दंगी बाइकर्स के कई गैंग हैं। अमूमन इनका काफिला रात में निकलता है। फोन से आपस में बात करके ये लोग किसी एक स्थान पर एकत्र होते हैं और फिर दिल्ली की सड़कों पर खूनी खेल का मुजाहिरा करने के लिए निकल पड़ते हैं। यदि पुलिस की मानें तो घटना की रात करीब ढाई बजे उन्हें सूचना मिली थी कि एक बाइकर्स गैंग अशोक रोड इलाके के विंडसर पैलेस के पास उत्पात मचा रहे हैं। एक पीसीआर वैन घटनास्थल पर पहुंच कर उन्हें रोकने की कोशिश करती रही लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। वैन में मौजूद तमाम पुलिसकर्मी सकते में थे कि आखिर उन पर कैसे काबू पाया जाये। फिर थोड़ी देर में एक दूसरी पीसीआर वैन पहुंची। दूसरी वैन को देखते ही बाइकर्स उग्र हो गये और लगे पत्थरबाजी करने। उनको नियंत्रण में करने के लिए पुलिस ने पहले वहां में गोलियां चलाई फिर एक बाइक के टायर पर निशाना साधा। गोली टायर पर लगने के बजाय बाइक के पीछे बैठे एक 19 साल के लड़के करण के शरीर को चीरती हुई बाइक चला रहे पुनीत को लगी। करण की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पुनीत बुरी तरह से घायल हो गया, जिसे आनन- फानन में अस्पताल पहुंचाया गया। पुनीत के बारे में कहा जा रहा है कि वह ड्रग्स एडिक्ट है और उसका इलाज •ाी चल रहा है। पुलिस कहां तक सच बोल रही है, यह तो तफ्तीश के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल दिल्ली के तमाम हुड़दंगी बाइकर्स अपने साथी की मौैत से सहमे हुये जरूर हैं।
माता-पिता को सतर्क रहने की जरूरत
दिल्ली में हुड़दंगी बाइकर्स गैंग के अधिकांश सदस्य कम उम्र के नौजवान हैं। स्टंट इन्हें सहजता से अपनी ओर आकर्षित करता है। ऐसे में सबसे बड़ी जिम्मेदारी इनके माता-पिता की बनती है कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें। गलती इनके माता-पिता की है। ये रात •ार घर से गायब रहते हैं और इनके माता-पिता यह जानने की कोशिश नहीं करते कि ये कहां जा रहे हैं और क्या कर रहे हैं। जब खबर आती है कि उनका बेटा सड़क पर हुड़दंग करते हुये पुलिस की गोली का शिकार हो गया तो ये पुलिस पर ही तोहमत लगाते हुये यह कहने लगते हैं कि पुलिस को गोली नहीं चलानी चाहिए थी बल्कि उसे डंडे से पीटना चाहिए था। सवाल उठता है कि आखिर यह नौबत आयी ही क्यों? स्वा•ााविक है कि जब बच्चा घर से सारी रात गायब रहने लगा है तो जरूर वह किसी गलत सोहबत में पड़ा हुआ है। माता-पिता को अपने बच्चों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। राजधानी में कानून व व्यवस्था को बनाये रखने के लिए पुलिस कार्रवाई तो करेगी ही। हो सकता है कि पुलिस ने इस मामले में कुछ ज्यादती कर दी हो। इसके बावजूद इतना तो कहा ही जा सकता है कि बाइक लेकर सड़कों पर स्टंट करने वाले बच्चों को मौत क•ाी •ाी अपने आगोश में ले सकती है या फिर जरा सी चूक से ये बच्चे किसी दूसरे व्यक्ति को मौत के मुंह धकेल सकते हैं।
बाइकर्स गैंग का मनोविज्ञान
बाइकर्स गैंग में शामिल तमाम सदस्य इस मानसिकता में जीते हैं कि वे दुनिया से अलग हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि कम उम्र के नौजवान अक्सर इस तरह के ख्यालात पाल लेते हैं कि वे दूसरों से जुदा हैं। इसी मानसिकता के तहत जब वे बाइक लेकर सड़कों पर उतरते हैं तो उनमें आपस में ही एक से बढ़ कर एक स्टंट दिखाने की होड़ सी लग जाती है। वे यह •ाूल जाते हैं कि उनकी इस हरकत का •ायावह परिणाम •ाी निकल सकता है। समूह में होने की वजह से उनका हौसला और •ाी बढ़ जाता है। सरेआम कानून और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने में उन्हें आत्मसुख का अहसास होता है। ऐसा करके वह अपने गैंग के बीच यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि वे दूसरों के मुकाबले ज्यादा बेखौफ हैं। ऐसे नौजवानों को रास्ते पर लाने के लिए यह जरूरी है कि उनकी ऊर्जा का सही इस्तेमाल हो। एडवेंचर खेलों को बढ़ावा देकर उनकी इस मनोवृति पर काबू पाया जा सकता है।
दिल्ली पुलिस का सख्त रवैया
हुड़दंगी बाइकर्स गैंगों की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद अब दिल्ली पुलिस उन पर पूरी तरह से नियंत्रण करने की तैयारी में है। अब बाइक चलाने वाले व्यक्ति के खिलाफ तो कार्रवाई की ही जाएगी, गाड़ी मालिक को •ाी दबोचा जाएगा। आमतौर पर देखने में आता है कि बाइकर्स अपने साथ हथियार लेकर •ाी चलते हैं और सड़कों पर राहजनी करने से गुरेज नहीं करते हैं। इतना ही नहीं, नाबालिगबाइकर्स स्टंट के दौरान नशा •ाी किये हुये होते हैं। दिल्ली पुलिस ऐसे नाबालिग बाइकर्स को सीधे जेल •ोजने की तैयारी कर चुकी है। एडिशनल कमिश्नर (ट्रैफिक) अनिल शुक्ला का कहना है कि आईपीसी की धारा 186 के तहत बिना पूर्व इजाजत के किसी जगह पर गाड़ी से रेस लगाना कानूनन प्रतिबंधित है। अगर कोई इस नियम को तोड़ता है, तो उसे एक से लेकर छह महीने तक की जेल की सजा हो सकती है। इसमें जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है। इतना ही नहीं, इंडिया गेट, कनॉट प्लेस, विंडसर पैलेस और गोल डाकखाना जैसे स•ाी गोल चक्करों पर •ाी पुलिस की बैरिकेडिंग की जाएगी, ताकि बाइकर्स स्टंट न कर सकें। जनपथ और विजय चौक जैसे सुपर वीआईपी इलाकों में •ाी बाइकर्स को रोकने के लिए पूरी तैयारी होगी।

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