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हिन्दुओं की आवाज दबाने का षडयंत्र कर रहा है ‘फेसबुक’: टी. राजासिंह

पटना। अनेक प्रक्षोभक भाषण देनेवाला और आतंकवाद को बढ़ावा देनेवाले जाकीर नाईक, 15 मिनिट में 100 करोड़ हिन्दुओं को नष्ट करने की भाषा करनेवाले अकबरुद्दीन ओवैसी जैसे अनेक देशविरोधी उग्रवादी संगठन और व्यक्तियों के ‘फेसबुक अकाउंटस्’ धडल्ले से चल रहे हैं; परंतु राष्ट्र, धर्म और समाज हित के लिए ही सोशल मीडिया का उपयोग करनेवाले मेरे जैसे हिन्दू नेता एवं हिन्दू धर्म और राष्ट्र के प्रति जनजागृति करनेवाले संगठनों के ‘फेसबुक पेजेस्’ पर प्रतिबंध लगाकर हिन्दुओं की आवाज दबाने का फेसबुक का षड्यंत्र है। यह सब उसके हिन्दू विरोधी शक्तियों के दबाव में आने से हो रहा है। ‘फेसबुक’ यह ध्यान रखे कि अब उस पर भी कानूनन कार्यवाई हो सकती है। ये बातें तेलंगाना के भाजपा के हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक. टी. राजासिंह ने कही है। वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘फेसबुक का पक्षपात : हिन्दुओं के ‘पेज’ बंद, आतंकियों के चालू !’ विषय पर परिसंवाद में बोल रहे थे।
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता और ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस के प्रवक्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन बोले, ‘जानकारी-तंत्रज्ञान कानून की धारा 66 के अनुसार ‘फेसबुक’ द्वारा राष्ट्रहित के लिए कार्य करनेवालों के ‘फेसबुक अकाउंटस्’ बंद कर एक प्रकार से ‘सायबर आतंकवाद’ का ही आरंभ हुआ है। ‘फेसबुक’ के इस आतंकवाद के विरोध में देशभर में किसी भी न्यायायालय में याचिका प्रविष्ट की जा सकती हैं। ‘फेसबुक’ ने सनातन संस्था, टी. राजसिंह के ‘फेसबुक पेजेस्’ बंद कर लाखों लोगों की आवाज बंद की है। अब केंद्र सरकार को ‘फेसबुक’ पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।’
‘सोशल मीडिया’ के अभ्यासक अभिनव खरे बोले, ‘हाल ही में केंद्र सरकार ने चीन के अनेक एपस् पर प्रतिबंध लगाया है, वैसा ही ट्वीटर और फेसबुक के साथ भी हो सकता है, यह भय उनमें निर्माण होना चाहिए। यदि इन सामाजिक माध्यमों को भारत में काम करना हो, तो हमारे बहुसंख्यक लोगों का विचार करना ही होगा।’ सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस बोले, ‘सनातन संस्था संवैधानिक, कानूनन और सुसंस्कृत भाषा का प्रयोग कर जगभर में अध्यात्मप्रसार का कार्य करनेवाली अग्रणी संस्था है; परंतु ‘फेसबुक’ ने सनातन संस्था के 5 ‘फेसबुक पेजेस्’ और संस्था के अनेक साधकों के व्यक्तिगत ‘फेसबुक अकाउंट्स’ पर प्रतिबंध लगाया है। इससे यही सिद्ध होता है कि ‘हिन्दू धर्म के प्रसार’ पर फेसबुक को आक्षेप है ।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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