इन्फोटेन
अभिनय राम बहादुर रेणु के खून में शामिल है
‘अभिनय करना मेरा कर्तव्य है, चाहे वो रंगमंच हो या फिल्म -सीरियल। जीवन में भीषण परेशानियों को सहलाते ,वाजिव इज्जत देते हुए उसका सामना किया ;पर इसके डर से मैंने अभिनय नहीं छोड़ा है अभी तक। मेरे जिम्मे काम करना भर है।’
-राम बहादुर रेणु
सफलता का कोई शॉटकट नहीं होता और इसे हासिल करने के लिए निरंतर और अथक प्रयास करना पड़ती है। कुछ लोग इस मंत्र को अपनी जिंदगी में पूरी तरह से उतार लेतें हैं फिर क्रमश: सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते जाते हैं। बिहार के मधेपुरा जिला से निकल कर पटना और फिर दिल्ली और फिर मुंबई में अभिनय के क्षेत्र में अपनी खास पहचान बनाने वाले राम बहादुर रेणु ऐसे ही लोगों में शुमार होते हैं। सामान्य ग्राम्य पृष्ठभूमि से महानगर तक का सफर निसंदेह उनके लिए आसान नहीं था। लेकिन जब आंखों में कोई बड़ा ख्वाब उमड़-घुमड़ रहा हो तो उड़ान भरने के लिए परवाज खुद-ब-खुद आ ही जाते हैं। अभिनय को लेकर राम बहादुर रेणु की आंखों में उमड़ने घुमड़ने वाले ख्वाब उन्हें लगातार उकसाते रहे। लेकिन शुरू से ही उन्हें इस बात का अहसास हो चला था कि जिस रास्ते पर वह कदम बढ़ा रहे हैं वह इतना आसान नहीं है और इसे पूरी संजीदगी से लेने की जरूरत है।
मधेपुरा से शुरु हुआ अभियन का उनका सिलसिला पटना में भी चला और फिर 1997 में दिल्ली के राष्टÑीय नाट्य विद्यालय में दाखिला के साथ ही उन्हें रंगमंच का एक व्यापक और व्यवस्थित संसार मिला, जहां कुशल संगततराशों की सोहबत में उनकी प्रतिभा दिन प्रति दिन निखरती गई। राष्टÑीय नाट्य विद्यालय में थियेटर जगत की कई अजीम सख्शियतों के हुनर को उन्हें करीब से जानने और समझने का भरपूर मौका और उनके दिशा निर्देशों में एक कुशल कारीगर की तरह पूरी मेहनत के साथ खुद को तरासने में लगे रहे। नसीरुद्दीन शाह, डीआर अंकुर,जॉन रसेल ब्राउन, राम गोपाल बजाज, अनुराधा कपूर, बंशी कौल, रीता कोठारी, रॉबिन दास, रॉयास्तेन अबेल, त्रिपूरारी शर्मा, लाल बहादुर यादव और अशोक बंथिया जैसे थियेटर के मजे हुये सख्शियतों से साथ वर्कशॉप में हिस्सा लेने और अभिनय की बारीकियों को समझने का मौका मिला।
दिल्ली में अपने अभिनय की धाक जमाने के बाद जब राम बहादुर रेणु ने मुंबई की ओर रुख किया तो उनकी आंखों में अभिनय की दुनिया में कुछ बेहतर करने के सपने थे। हालांकि उन्हें पता था कि एक नवोदित कलाकार के लिए जिसका मुंबई फिल्म जगत में कोई आका नहीं है सबकुछ आसान नहीं होगा। लेकिन रेणु को खुद पर यकीन था। मुंबई में भी वह पूरी तरह से व्यवस्थित होकर अपने फिल्मी कैरियर को आगे बढ़ाना चाहते थे या यूं कहा जाये कि सफलता हासिल करने के लिए उन्हें शुरु से ही व्यवस्थित जीवन शैली में यकीन था। वह खुद को तकदीर के भरोसे छोड़ने के बजाय व्यवस्थित तरीके से अपने अंदर की अथाह उर्जा का इस्तेमाल करने में यकीन करते हैं। यही वजह है कि मुंबई में कदम रखने के बाद उन्हें एक के बाद अपने समय के बेहतरीन फिल्म हिदायतकारों के साथ काम करने का मौका मिलता गया। मशूहर हिदायतकार श्याम बेनगल की फिल्म ‘नेता जी सुभाष चंद्र बोस’, तिग्मांशु धुलिया की फिल्में ‘हासिल’ और ‘चरस’ हन्नी ईरानी की फिल्म ‘अरमान’, सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ दिलीप शुक्ला की फिल्म ‘हैलो, हम ललन बोल रहे हैं’, बाल कृष्ण सिंह की फिल्म ‘पिया तुझसे नैना लागे’ और रवि जैन की अंग्रेजी में बनी फिल्म ‘समव्हेयर टू नो व्हेयर’ में एक के बाद कई किरदार निभाते गये। फिल्मों के अलावा उन्होंने छोटे पर्दे काम करने से गुरेज नहीं किया। कई धारावाहिकों में उन्हें अभिनय किया। इनमें सोनी टीवी पर प्रसारित धारावाहिक सीआईडी, स्टार प्लस पर ‘कृष्णा अर्जून’ और ‘कहानी जुर्म की’, ‘कभी बीवी कभी जासूस’, साई बाबा और ‘कहता है दिल’, जीटीवी पर ‘अग्निचक्र’, सहारा टीवी पर ‘रात होने को है’ आदि प्रमुख हैं।
अमूमन देखा जाता है कि एक बार मुंबई में जम जाने के बाद लोग अपने गांव घर को भूल जाते हैं। लेकिन रेणु को शुरु से ही अपनी गांव की मिट्टी से बेहद लगाव रहा है। सांस्कृति संस्था ‘मेघदूत’ के माध्यम से वह लगातार नये लोगों अभिनय की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यह संस्था देश के मुखतलफ हिस्सों के साथ-साथ बिहार में भी सक्रिय हैं। खुद को निखारने के साथ-साथ वह लोगों के बीच लगातार अभिनय की अलख जगा रहे हैं। बाकौल रामबहादुर रेणु ,‘अभिनय करना मेरा कर्तव्य है, चाहे वो रंगमंच हो या फिल्म -सीरियल। जीवन में भीषण परेशानियों को सहलाते ,वाजिव इज्जत देते हुए उसका सामना किया ;पर इसके डर से मैंने अभिनय नहीं छोड़ा है अभी तक। मेरे जिम्मे काम करना भर है।’ अभिनय के प्रति रेणु के लगाव को देखकर कहा जा सकता है अभिनय उनके खून में शामिल है। यही वजह है हर तरह की मुश्किलों से जुझते हुये वह अभिनय की दुनिया में निरंतर आगे बढ़ते जा रहे हैं।
i read it.i have seen couple of shows of rennu jee.really fentabulas….he is up to the mark.
alok nandan badhai to u.and god bless to mr. rennu.
अलोक जी ,
साधुवाद आपको.
श्री राम बहादुर रेणु जी ने भगैत जैसी उपेक्षित हो रही गायन शैली के लिए भी बहुत किया है.
शायद और से अधिक.मिथिलांचल के सपूत होने का इन्होने फ़र्ज़ बखूबी निभाया है,
शायद आगे भी निभाएंगे;ऐसी आशा है.रेणु के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.
thanks aalok ji.
god bless u.